आखिर क्यों पंचक को अशुभ माना जाता है ?
कल 1 अप्रैल प्रातः 8 : 21 से 5 अप्रैल सुबह 5 :55 तक पंचक है। अधिक जानकारी के लिए या कुण्डली अध्ययन के लिए सम्पार्ह करें +91 9417355500
किसी भी शुभ कार्य करने से पहले अच्छा महूर्त देखा जाता है जिसमे पंचक का काफी महत्व होता है। चन्द्रमा एक राशि में ढाई दिन रहता है और चन्द्रमा ढाई दिनों में कुम्भ और मीन राशि में रहता है तो उसे पंचक कहा जाता है। आप सभी जानते है की कुल 27 नक्षत्र होते है और अंतिम 5 नक्षत्र दूषित माने गए है। यह नक्षत्र धनिष्ठा, शतभिक्षा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती होते है। हर नक्षत्र के चार चरण होते है। पंचक धनिष्ठा के त्रितये चरण से प्रारंभ हो कर रेवती नक्षत्र के अंतिम चरण तक होता है। तो यह पांच दिन पंचक होता है। पंचक यानि पांच दिन। पंचक दिनों में यां नक्षत्रों में लकड़ी तोड़ना, तिनके तोडना, दक्षिण दिशा की तरफ यात्रा, दाह संस्कार , मकान की छत डालना, चारपाई बुनना, पंचकों में हानि, लाभ एवं व्याधि,आधी पांच गुना , त्रिपुष्कर में तिगुना लाभ या हानि होती है। विधिवत नक्षर पुजा, दान एवं भोजन करवाना शुभप्रद होता है। प्रेत दाह अथवा किसी अन्य कारण से हानि की आशंका हो तो किसी विद्वान से पुजा अर्चना कर के शांति करवानी चाहिए
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