2019 में क्या नरेंद्र मोदी फिर बनेगे भारत के प्रधानमंत्री और के सिर पर फिर सजेगा ताज या यह डगर इतनी आसान न
होगी ? यह सवाल आज पर्त्येक भारतीय के मन में आ रहा है। वर्तमान समय के प्रधानमंत्री का जन्म 17 सितंबर 1950 को
11 बजे सुबह मेहसाना, गुजरात में हुआ था। उनका जन्म वृश्चिक लग्न में हुआ इस लग्न में पैदा जातक जिद्दी सवभाव का
होता है जिस कार्य को करने की ठान ले उसे पूरा करता है। लग्न में स्थिर राशि होने से लम्बे समय तक कार्य करने की
क्षमता होती है। मंगल सवराशि होने से साहस कुट कुट कर जातक में भरा होता है। लग्न में चन्द्र नीच राशि का है मगर
मंगल साथ होने से नीचभंग हो जाता है।
जन्म कुण्डली श्री नरिंदर मोदी
26 मई 2014 को उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी इस समय चन्द्र की विशोत्तरी महादशा में अन्तर राहु का
29-4 -2013 से 29 -10 -2014 तक था। अब चन्द्र में केतु का अंतर् 1 मार्च 2019 से 29 सितंबर 2019 तक रहेगा।
योगनी दशा धान्या 26 जनवरी 2018 से 26 जनवरी 2021 तक चलेगी जो की बहुत ही उत्तम फलदायक रहेगी। योगनी
दशा धान्या में अंतर् उल्का का 26 जनवरी 2019 से 26 जुलाई 2019 तक चलेगा। जिसमें बहुत सावधानी से कार्य करने
होंगे क्युकि इल्जामात बहुत लगेंगे। मेहनत ज्यादा करनी पड़ेगी। जोड़ तोड़ कर के सरकार बन पायेगी। केतु असिथरता
पैदा करेगा। केतु वैराग्ये की भावना उत्पन करेगा। मन में टिकाव नहीं रहेगा। आरोप लगेंगे।
17 सितंबर 2015 से 17 सितंबर 2021 तक कुम्भ की चर दशा चलेगी। कुम्भ सिथर राशि है और जन्म राशि वृश्चिक से
मित्रता नहीं रखती। जो हर कार्य में अड़चन पैदा करेगी। अपने लोगो से दुश्मनी बड़ेगी। 2014 के चुनावों जितनी सफलता
नहीं मिलेगी। मगर ज्योतिष विश्लेषण में योगिनी दशा धान्या के कारण फिर से प्रधानमंत्री की कुर्सी प्राप्त होगी पर केतु
मन में विरह की भावना देगा इससे यह भी संभव है की और किसी व्यक्ति को यह पद दिलाने का मन में विचार आ जाए।
कर भला तो हो भला अंत भले का भला
26 मई 2014 को उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी इस समय चन्द्र की विशोत्तरी महादशा में अन्तर राहु का
29-4 -2013 से 29 -10 -2014 तक था। अब चन्द्र में केतु का अंतर् 1 मार्च 2019 से 29 सितंबर 2019 तक रहेगा।
योगनी दशा धान्या 26 जनवरी 2018 से 26 जनवरी 2021 तक चलेगी जो की बहुत ही उत्तम फलदायक रहेगी। योगनी
दशा धान्या में अंतर् उल्का का 26 जनवरी 2019 से 26 जुलाई 2019 तक चलेगा। जिसमें बहुत सावधानी से कार्य करने
होंगे क्युकि इल्जामात बहुत लगेंगे। मेहनत ज्यादा करनी पड़ेगी। जोड़ तोड़ कर के सरकार बन पायेगी। केतु असिथरता
पैदा करेगा। केतु वैराग्ये की भावना उत्पन करेगा। मन में टिकाव नहीं रहेगा। आरोप लगेंगे।
17 सितंबर 2015 से 17 सितंबर 2021 तक कुम्भ की चर दशा चलेगी। कुम्भ सिथर राशि है और जन्म राशि वृश्चिक से
मित्रता नहीं रखती। जो हर कार्य में अड़चन पैदा करेगी। अपने लोगो से दुश्मनी बड़ेगी। 2014 के चुनावों जितनी सफलता
नहीं मिलेगी। मगर ज्योतिष विश्लेषण में योगिनी दशा धान्या के कारण फिर से प्रधानमंत्री की कुर्सी प्राप्त होगी पर केतु
मन में विरह की भावना देगा इससे यह भी संभव है की और किसी व्यक्ति को यह पद दिलाने का मन में विचार आ जाए।
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