सोने का दवाई के रूप में प्रयोग करना वेदों में भी बताया गया है जिस से शरीर को रिष्ट पुष्ट और मजबूत बनाने में मदद मिलती है। औषदि प्रयोग में किसी भी औषदि का प्रयोग बिना अभिमंत्रित किए प्रयोग नहीं करना चाहिए। लालकिताब में सोने के प्रयोग बारे दो हालातों में वर्णन आता है।
चन्द्र खाना नंबर 11: चन्द्र ग्यारहे के समय केतु कमजोर हुआ करता है। ईसलिए जब व्यक्ति में बच्चा पैदा करने की शक्ति में कमी हो तो उस वक़्त शुद्ध सोने यानि चौबीस कैरट गोल्ड की एक तार बनवा ली जाए और लगातार रात को इस तार को गर्म करके दूध में बुझा लें और उस दूध को रोजाना पिया जाए, इसके पिने से लड़का पैदा हो सकता है। यह अम्ल 11 बार करें यानि हर दफा सोने की सलाख को गर्म करें और जब यह सुर्ख लाल हो जाए तो दूध में डुबो दी जाए। इस से व्यक्ति की नर औलाद पैदा करने और उसमे मर्दाना ताकत पैदा होगी। अगर केतु निहयात ही मन्दा हो चुका हो यानि ऐसे प्राणी को जोड़ो का दर्द, गठिया वगेरा हो चुका हो तो सोने की सलाख को पानी में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे मर्दाना ताकत की बहाली होगी। चन्द्र के साथ गुरु ( सोना ) हो तो कभी मन्दा फल ना होगा और ना ही दुश्मन से मार खाते है।
शुक्र खाना नंबर 11: शुक्र ग्यारहे वाला बच्चों जैसे भोले सवभाव का होता है। यहाँ पर शुक्र होने से पति पत्नी में कामवासना की कमी हो जाया करती है। ऐसे व्यक्ति पैसे के पीछे ज्यादा पड़े रहते हैं। जब केतु भी शुभ ना हो यानि खाना 6, 7 , 8 या 11 मेँ हो और यदि मर्दाना कमजोरी हो वीर्यपात जैसी बीमारयां हों तो फौलाद यानि लोहे का कुश्ता, चांदी का कुश्ता, मछ्ली का तेल आदि दूसरी ताकत देने वाली जड़ीबूटी का 43 दिन लगातार इस्तेमाल करना फायदेमंद रहेगा।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.