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Friday, 15 March 2019

नवग्रहों के दशांश हवन का महत्व

संसार में जो भी घटित होता है उस के अनेक कारण बतलाये जाते है जैसे जीव का प्रारब्ध अथवा पुरषार्थ , ईश्वर की इच्छा  जिस को समझना बहुत कठिन है, प्रकर्ति का नियमित प्रवाह। ज्योतिषशास्त्र में कहा गया है की ग्रह किसी नवीन फलका विधान नहीं करते , अपुति प्रारब्ध के अनुसार घटनेवाली घटना को पहले ही सूचित कर देते है - ग्रहा  वै  कर्मसूचका : ग्रहो की स्थिति , गति यानि गोचर ( Transits of planets) को समझने वाला ज्योतिष किसी भी व्यक्ति के जीवन को सही सही समझ कर सही भव्ष्यिवानी कर सकता है। 

प्रत्येक ग्रह का मन्त्र है जिस को निशिचत संख्या ने जप करने  लाभ होते देखा गया है।  मेरे अनुभव में देखने को आया है की अगर  दशांश हवन किया जाए तो लाभ जरूर होता है। दशांश हवन किस लकड़ी से किया जाए जिससे पूर्ण लाभ प्राप्त हो?। पूजा और हवन द्वारा  ग्रह को खुश कर के उस से लाभ प्राप्त करने का आसान तरीका है। जिस ग्रह का जो वर्ण हे उस ग्रह के वर्ण का रंग प्रयोग में लाया जाता है। भिन्न- भिन्न समिधायँ हवन करने में प्रयोग में लायी जाती है। सूर्य के लिए मदार यानि आक , चन्द्रमा के लिए पलाश, मंगल के लिए खैर, बुध के लिए अपामार्ग , गुरु के लिए पीपल, शुक्र के लिए गूलर , शनि के लिए शमी , राहु-केतु  के लिए दूर्वा और कुश  का प्रयोग होता है। इन  समिधायों से हवन करने से ग्रह देवता प्रस्सन होते है और जातक का किसी प्रकार का अनिष्ट नहीं करते। 

                                                   कर  भला  तो  हो  भला  अंत  भले  का  भला 

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