किसी भी औषदि का बिना योग्य वैद के परामर्श किये प्रयोग करने से विपरीत परिणाम हो सकते हैं। आज शिवरात्रि के विशेष पर्व पर एक ऐसी जल चिकित्सा बताई जा रही है जिस को प्रयोग में लाने से किसी प्रकार की हानि की संभवाना नहीं है। लाभ ही लाभ होता है।
किसी प्रवहशील नदी या कुआँ का जल 400 ग्राम लेकर आग पर रखें और उस में शुद्ध सोने का 5-6 ग्राम का टुकड़ा डाल कर तब तक उबालें जब तक पानी एक चौथाई यानि 100 ग्राम के करीब रह जाए और पानी ठण्डा होने पर सोने का टुकड़ा पानी से बाहर निकाल लें। इसके बाद इस स्वर्णघटित जल पर अथर्वेदीय काण्ड 3 , सूक्त 13 से अभिमंत्रित करें और 43 दिन लगातार पीने से प्रभु कृपा बनी रहती है जिससे शरीर आरोग्ये रहता है। यदि रोज अभिमंत्रित करने में असुविधा हो तो इस जल पर 21 बार ॐ अचुताये नमः , ॐ आनन्दये नमः , ॐ अनन्ताये नमः , ॐ ऋषिकेशाये नमः , ॐ गोबिंदाये नमः का जप कर के पिने से असाध्ये रोग शांत हो जाते हैं
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