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Saturday, 2 March 2019

ब्रह्महत्या दोष

एक पौराणिक कथा में महादेव शिवशंकर द्वारा ब्रह्मा का एक सिर काटने का वर्णन आया है इसकी दोष मुक्ति के लिए १०० तीर्थस्थानों पर स्न्नान करने बारे भी बताया गया है। हम में इतना समर्थ और शक्ति नहीं के हम महादेव की कुंडली का विश्लेषण कर सकें। चोरी, हत्या, पड़ोसी से दुश्मनी, परस्त्री से संबंध, शराब व् कोई भी नशा करना, जीवहत्या से भी यह दोष लगता है।    ब्रहमहत्या का मतलब महापाप और धार्मिक ग्रंथो में यह दोष मनुष्य को तब लगेगा जब कुंडली में यह योग हों: 
  • जब गुरु ग्रह पर शनि की पूर्ण दृस्टि हो या दोनों ग्रह इकठे बैठे हों।
  • गुरु ग्रह पर राहु का प्रभाव हो तो चांडाल योग बनता है। 
  • शुक्र, मंगल शनि और बुध ग्रह कुंडली में आठवें भाव में हों।
  • राहु पहले भाव में और सूर्य तीसरे भाव में हो। 
  उपाए:- कपाल मोचन धार्मिक स्थल बिलासपुर,  यमुनानगर जिला हरिआणा पर जा कर स्नान करना। चन्द्र की पूजा करना। 
लालकिताब में बृहस्पती- शनिश्चर को सन्यासी फ़क़ीर की माया जिस का भेद न खुल सके बताया है। इस ब्रहमहत्या के दोष का कोई खराब फल न होगा जब टेवे वाला सबके मालिक से सिर्फ अपनी किस्मत का हिसा मांगने वाला होगा यानि शुक्र करने वाला होगा तो शनि पहले घर में नीच और  बृहस्पती दसवें घर में नीच मन्दे का असर ना देगा। 
मन्दी हालत में शराब खोरी से शनिश्चर का नेक असर ना करें, औरत का माल ले कर खाने वाला या दूसरों के माल पर  रखने वाला बुड़ापे में तकलीफ पावे। इन बातों को ध्यान में रखें तो इस दोष से मुक्ति मिल सकती है। 

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