एक पौराणिक कथा में महादेव शिवशंकर द्वारा ब्रह्मा का एक सिर काटने का वर्णन आया है इसकी दोष मुक्ति के लिए १०० तीर्थस्थानों पर स्न्नान करने बारे भी बताया गया है। हम में इतना समर्थ और शक्ति नहीं के हम महादेव की कुंडली का विश्लेषण कर सकें। चोरी, हत्या, पड़ोसी से दुश्मनी, परस्त्री से संबंध, शराब व् कोई भी नशा करना, जीवहत्या से भी यह दोष लगता है। ब्रहमहत्या का मतलब महापाप और धार्मिक ग्रंथो में यह दोष मनुष्य को तब लगेगा जब कुंडली में यह योग हों:
- जब गुरु ग्रह पर शनि की पूर्ण दृस्टि हो या दोनों ग्रह इकठे बैठे हों।
- गुरु ग्रह पर राहु का प्रभाव हो तो चांडाल योग बनता है।
- शुक्र, मंगल शनि और बुध ग्रह कुंडली में आठवें भाव में हों।
- राहु पहले भाव में और सूर्य तीसरे भाव में हो।
लालकिताब में बृहस्पती- शनिश्चर को सन्यासी फ़क़ीर की माया जिस का भेद न खुल सके बताया है। इस ब्रहमहत्या के दोष का कोई खराब फल न होगा जब टेवे वाला सबके मालिक से सिर्फ अपनी किस्मत का हिसा मांगने वाला होगा यानि शुक्र करने वाला होगा तो शनि पहले घर में नीच और बृहस्पती दसवें घर में नीच मन्दे का असर ना देगा।
मन्दी हालत में शराब खोरी से शनिश्चर का नेक असर ना करें, औरत का माल ले कर खाने वाला या दूसरों के माल पर रखने वाला बुड़ापे में तकलीफ पावे। इन बातों को ध्यान में रखें तो इस दोष से मुक्ति मिल सकती है।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.