पूर्व जन्म विचार(Part-1)
ऋषिओं मुनियों ने अपनी दिव्य दृस्टि द्वारा यह निष्कर्ष निकाले की इस जन्म की कुण्डली द्वारा कैसे जाना जा सकता है की मनुष्य पिछले जन्म में किस योनि में था। लग्नस्थ गुरु इस बात का सूचक है की बालक पिछले जन्म में वेदपाठी ब्राह्मण था और अगर गुरु उच्च का हो कर लग्न को देखता हो तो बालक पूर्व जन्म में धर्मात्मा , विवेकशील साधु अथवा तपस्वी था। ऐसा ऋषिओं का कथन है। लग्न यां सप्तम भाव में अगर शुक्र हो तो पूर्व जन्म में बालक प्रसिद्ध धनवान था और भोगी जीवन बिताने वाला था ऐसा कथन किया गया है। Mob 91 9417355500
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