सौंदर्य लहरी आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित्त एक महान रचना है। यह एक अनमोल ग्रन्थ है जिसके दो खण्ड माने जाते है " आनन्द लहरी "और "सौंदर्य लहरी"जिसमे सिद्ध यन्त्र बारे वर्णन है। ब्रह्मा की शक्ति शिव है , शिव और शक्ति में कोई भेद नहीं, शक्ति की आराधना का मतलब ब्रह्मा की आराधना ही है। एक अनुभूत यंत्र का यहाँ वर्णन विस्तार पूर्वक किया जा रहा है। पहले इस यंत्र का भेद सिर्फ अघोरिओ या साधु संतो के पास था और आज यह विद्या बुधिजीविओ के पास आ गई है। इस यंत्र को सिद्ध करने के उपरांत अपने पास रखने से व्यवसाय व्यापार में वृद्धि होती है।
उपरोकत मन्त्र को सिद्ध करके इस यंत्र को रोजाना 21 दिन 1000 बार लिखे। इस को लिखने के लिए अनार की कलम, स्वर्ण पत्रा और केसर की जरुरत होती है। आजकल सवर्ण पत्र की जगह भोजपत्र पर यह यंत्र बनाया जाता है। ये यंत्र अत्यंत प्रभावशाली और चमत्कारी है। इस का प्रयोग अगर पूर्ण श्रदा और विश्वास 11 दिन ही करना है जिससे व्यवसाय व्यापार में समुचित प्रगति होती है। किसी सिद्ध महूर्त में चंद्र ग्रहण , सूर्य ग्रहण , दिवाली या होली पर सिद्ध किया जाना चाहिए।
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