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Saturday, 2 February 2019

रत्नों (Gem stones) की महिमा

ज्योतिष में कई प्रकार के उपायों से ग्रहों के बुरे प्रभाव से बचाव किया जाता है। जिन में से रत्न धारण करना भी लाभप्रद होता है। रत्न 84 प्रकार के मने जाते है। कौन सा रत्न मनुष्य को धारण करना चाहिए यह दुर्लभ अनुभव द्वारा ही जाना जा सकता है। कई बार गलत रत्न धारण करने से फायदे की जगह नुकसान उठाना पड़ता है। रत्न धारण सबंधी कई नियम है।  मेरे  अनुभव में  आया है की जो ग्रह लग्न का स्वामी हो या पांचवे और नौवे भाव का स्वामी और योगकारक ग्रह हो इन में से कोई दो ग्रहों के नग या रत्न धारण करने से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। दक्षिण भारत के और उत्तर भारत के ज्योतिषयों के विचारों में अन्तर देखने को मिलता है।  रत्न दशा या अन्तर्दशा का भी धारण किया जा सकता हे,  मगर बगैर कुंडली के गहन अध्यन के धारण करने से लाभ की अपेक्षा हानि होने की संभावना रहती है। अलग अलग प्रकार के रत्नों का प्रभाव मनुष्य पर अलग अलग तरह से होता है। रत्न डालने से पहले जाँच लेना चाहिए की उस में कोई दाग़ न हो रंग साफ़,कटाई ठीक, काला धब्बा, चोरी किया हुआ, छीना हुआ, रास्ते में पड़ा हुआ मिला होना नही होना चाहिए। रत्नों से शुभ ग्रहों के अच्छे फल में आने वाली बाधाओं को दूर करने में मदद मिलती है और अशुभ ग्रहों के बुरे प्रभावो में कमी आती है। 
        ग्रह से सम्बन्धित रत्न धारण करने से  ग्रह की रश्मिओं को इकठा कर के शरीर में प्रविष्ट करवाने  से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जैसे बरसात को रोका नहीं जा सकता मगर छतरी बरसात के पानी से बचाने में सहायता कर सकती है। ऐसे ही रत्न धारण करने से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। पुरषार्थ के बिना भाग्य नहीं बदला जा सकता मगर सफल होने के लिए भाग्य और पुरषार्थ दोनों अतिजरूरी है।  रत्न धारण करते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना जरुरी है, नहीं तो लाभ की अपेक्षा हानि ही होगी।  अच्छी तराश वाला रत्न जल्दी और ज्यादा लाभ करता है। रत्न खण्डित न  हो और धारण करने से पहले शुद्धिकरण करवाना जरुरी है, रत्न के वजन का निर्धारण पुस्तके पढ़ कर यां टी वी और यू टयूब देख कर नहीं करना चाहिये। रत्न का रँग फीका यां गाढ़ा कुंडली में ग्रह की डिग्री देख कर निर्धारित करना चाहिये। शनि का रत्न नीलम और शुक्र का रत्न हीरा परीक्षा करने के बाद ही पहनें, नहीं तो नुकसान की आशंका होगी। उचित धातु में रत्न धारण करने से धातु का लाभ भी मिलता है। 
      रत्न धारण करने की एक ख़ास विधि होती है जैसे इस को धारण करने से पहले  प्राणप्रतिस्ठा करना या सिद्ध करना, धारण करते मुँह किस दिशा में हो?, सही समय, शुक्लपक्ष यां सिद्धयोग, खास घड़ी पल में धारण करना  फलकारी होता है। रत्न उस जातक को शुभ फलकारी नही होते जिस का आपने ईस्टदेवता, अपने ऊपर या ज्योतिषी के ऊपर पूर्ण विश्वास न हो। अगर रत्न पहनते हैं तो आस्था भी जरुरी है। 
       

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