लालकिताब के बारे में जितना ज्ञान मुझे प्राप्त हुआ है के मुताबिक सबसे पहले यह किताब 1939 में छपी जिस में कुल 383 पेज थे, दूसरी लालकिताब 1940 में छपी जिसके 156 पृष्ठ थे और नाम था "लाल किताब के अरमान" इस के बाद 1941 में तीसरी लालकिताब मार्किट में आयी जिसके कुल 428 पेज थे इसके बाद 1942 में एक और लाल किताब आयी जिसमे 384 पेज थे और 1952 में अंतिम किताब छपी जिस में 1171 पृष्ठ थे।
लालकिताब में कुछ बातों की मनाही की गई है जैसे हवाई ख्याल का, बुनियादी दीवार का मजमून बेशक ज्योतिष करने वाले को पता लग भी जाए तब भी किसी को ना बताया जाए (१) मौत का दिन (२) माता के पेट में लड़का है या लड़की (३) किसी के रहस्य। अगर ज्योतिष और इस विद्या को समझने वाला ऐसा जानबूझकर करेगा तो उसे खून की बीमारयां होंगी। ज्योतिष मुलभुत जानकारी का ज्ञान, सही रास्ता और दिशा दिखाने वाला ज्ञान है कोई दावा ऐ खुदाई नहीं, कोई मन्त्र- तन्त्र नहीं। सबसे बड़ी बात आत्मा की शांति का स्रोत है। मगर किसी दूसरे पर हमला करने का हथिआर नहीं है।
पानी की भरी नाली में अगर कोई पत्थर गिर कर पानी की धारा में रूकावट पैदा कर रहा हो और उस पत्थर को निकाल बाहर किया जाए तो पानी की रवानी ठीक होने से पानी मंजिल तक पहुँच सकेगा। पानी की धारा को ठीक करने की कोशिश की जा सकती है मगर पानी की मिक़दार यां किस्मत के मैदान में कोई कमी पेशी नहीं की जा सकती हाँ इतना जरूर है की अपनी बरकत से और लालकिताब में दिए उपायों द्वारा प्राणी पर हमला करने वाले जालिम शेर के सामने एक ऐसी गैबी दीवार खड़ी की जा सकती है जिससे की वह शेर उसका कुछ बिगाड़ न सकेगा। इसी तरहे कोई ग्रह रुकवाट पैदा कर रहा हो तो अपने आप को उसके रास्ते से हटा कर कार्यसिद्धि की जा सकती है।
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