अंग्रेजों ने स्वतंत्रता आंदोलन के आगे नतमस्तक होते हुए १९४७ में हिन्दुस्तान को छोड़ने का निर्णेये लिया और देश को आजादी १५ अगस्त १९४७ को रात्रि १२:०२ बजे मिली। इस समय की कुंडली में बृषभ लग्न में राहु विराजमान है। दूसरे भाव में मारक मंगल, तीसरे भाव में बुध,शुक्र,चंद्र,सूर्य और शनि पांच ग्रह इकठे बैठे हुए है। छटे भाव में गुरु और सातवें भाव में केतु विराजमान है।
लग्न ८ अंश, सूर्य २७ अंश आत्मकारक, चंद्र ०. ४ अंश, मंगल ०. ७ अंश, बुध १३ अंश, गुरु २५ अंश, शुक्र २२ अंश,शनि २० अंश और राहु और केतु ०. ५ अंश पर बैठे है।
पाकिस्तान युद्ध से पहले २० अक्टूबर से २१ नवंबर तक १९६२ में भारत और चीन का युद्ध हुआ था उस समय भारत की कुंडली में शनि में राहु की दशा और प्रत्यंतर सूर्य का था तो कालसर्प दोष कुंडली के कारण यह युद्ध हुआ था। शनि और सूर्ये में दुश्मनी पिता पुत्र की लड़ाई मानी गई है।
पाकिस्तान के साथ पहला युद्ध अप्रैल से सितम्बर १९६५ में हुआ था उस समय विंशोत्तरी दशा शनि की थी, अंतर गुरु का और प्रत्यंतर राहु का था।
शनि के साथ सूर्य और चन्द्रमा की युति पिता पुत्र और माता की आपस में लड़ाई दर्शाता है। कुंडली में कालसर्प दोष होने से राहु की इस युद्ध को करवाने में अहम भूमिका रही थी।
३ दिसंबर १९७१ से १६ दिसम्बर १९७१ में भारत और पड़ोसी देश पाकिस्तान में फिर युद्ध हुआ था। उस समय बुध की दशा में सूर्य का अन्तर और सूर्य का ही प्रत्यंतर चल रहा था। सूर्य और शनि की कुंडली के तीसरे भाव यानि पराकर्म भाव में युति होने से पिता पुत्र की लड़ाई दर्शाता है।
कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के साथ मई-जुलाई १९९९ में हुआ था उस समय भारत की कुंडली में शुक्र की महादशा राहु का अन्तर और राहु का ही प्रत्यंतर चल रहा था। राहु भारत की कुंडली में लग्न में बैठा होने से यह युद्ध भी कालसर्प दोष कारण हुआ था।
आज २२ फ़रबरी २०१९ को भारत की कुंडली का अध्यन किया जाए तो चन्दमा में गुरु का अन्तर और बुध का प्रत्यंतर चल रहा है और बुध के प्रत्यंतर में युद्ध की सभावना नजर नहीं आती मगर दशा, अन्तर्दशा और प्रत्यंतर दशा का विचार किया जाय तो भारत पाकिस्तान में युद्ध की संभावना अगस्त से दिसम्बर २०१९ में मार्च-अप्रैल २०२० और प्रभल योग जनवरी-अप्रैल २०२१ में बनता है जब कुंडली में चन्द्र में शनि का अंतर् और राहु का प्रत्यंतर चलेगा।
मेरी कर्मकांड करने वालों,ज्योतिषिओं, साधु सन्तो, मोलवीओं से अनुरोध है की परमपिता परमात्मा के आगे अरदास की जाए की युद्घ ना हो।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.