मंगल का अर्थ है कल्याण,भलाई शुभ और आनंद तो मंगल को अमंगलकारी बना कर डराने का कार्य किया जाता है। कुंडली का पूर्ण विश्लषण करने उपरांत ही मंगल या मांगलिक योग का पता चलता है।
जिस कन्या की कुंडली में जन्म का मंगल 1, 4, 7, 8, या 12 भाव में हो, तो वह कन्या पति के लिए हानिकारक मानी जाती है और ऐसा ही मंगल अगर पुरष की कुंडली में बैठा हो तो मांगलिक योग बनता है और पत्नी को हानि कारक माना जाता है।
चन्द्र, शुक्र और लग्न से मंगल की स्तिथि देख़ने से पूर्ण जानकारी मिल सकती है।
मंगल दोष कैसे ख़त्म होता है?
- पुरष और स्त्री दोनों की कुंडली में मंगल 1 , 4 , 7 , 8 , 12 वे स्थान में हो तो मांगलिक दोष नहीं लगता।
- लड़की की कुंडली में जिस स्थान पर मंगल हो तो लड़के की कुंडली में उस स्थान पर शनि, सूर्य, राहु, आदि कोई पाप ग्रह हो तो मांगलिक दोष नहीं लगता। ऐसा ही लड़के की कुंडली में देखना चाहिए।
- मेष राशि का मंगल लग्न मे बृश्चिक राशि का चौथे भाव में , मकर का सातवे भाव में , कर्क का आठवें भाव में , धनु का मंगल अगर बाहरवें भाव में हो तो मंगल दोष नहीं लगता।
- मीन का मंगल सातवें भाव में और कुम्भ राशि का मंगल अस्थम भाव में हो तो मांगलिक दोष नहीं होता।
- यदि दूसरे भाव में चन्द्र-शुक्र का योग हो और राहु केन्द्र 1 ,4 ,7 , 10 वे भाव में हो और मंगल को देखता हो तो मंगल दोष नहीं लगता।
- बलवान गुरु या शुक्र अगर लग्न में हो तो मंगल दोष नहीं लगता।
- केंद्र और त्रिकोण में शुभ ग्रह हो और त्रिक भावों 6 , 8 , 12 वे स्थान में पापी ग्रह हो मंगल दोष नहीं लगता।
- यदि लड़की और लड़के की कुंडली मिलान में 27 से ज्यादा गुण मिलते हों और ग्रह मैत्री हो तो मांगलिक दोष नहीं लगता।
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