अथर्ववेद में काण्ड 19 सूक्त 7 में चित्रा णीसा क़...इत्यादि मन्त्रों में नक्षत्रों के वृक्षों के बारे में बताया गया है। इन पौधों की सेवा करने से स्नान, पूजा करने से आरोग्ये, आयु, यश, सुख,ऐष्वर्य की प्राप्ति होती है। इन वृक्षों को तोड़ने, काटने, उखाड़ने, इन के पास पेशाब करने से आयु, यश घटता है। प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हे मगर एक नक्षत्र का एक वृक्ष होता है। जिस को पूजने और सेवा करने से पापों से मुक्ति व आगे रास्ता साफ़ होता है।
जन्म नक्षत्र के वृक्ष के निचे बैठ कर जप,तप,सिद्धि करने से कई गुणा लाभ मिलता है। नक्षत्रों के वृक्ष इस प्रकार हैं -
- अशिवनी नक्षत्र का वृक्ष है कुचला 14. चित्रा नक्षत्र का वृक्ष है बेल
- भरनी नक्षत्र का वृक्ष है आँवला 15. स्वाती नक्षत्र का वृक्ष है अर्जुन
- कृतिका नक्षत्र का वृक्ष है गूलर 16. विशाखा नक्षत्र का वृक्ष है बबूल
- रोहिणी नक्षत्र का वृक्ष है जामुन 17. अनुराधा नक्षत्र का वृक्ष है नागकेशर
- मृगशिरा नक्षत्र का वृक्ष है खैर 18. ज्येष्ठा नक्षत्र का वृक्ष है सेमर
- आर्द्रा नक्षत्र का वृक्ष है अगर 19. पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का वृक्ष है बेंत
- पुनर्वसु नक्षत्र का वृक्ष है बाँस 20. उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का वृक्ष है कटहल
- पुष्ये नक्षत्र का वृक्ष है पीपल 21. श्रवण नक्षत्र का वृक्ष है मदार
- अश्लेषा नक्षत्र का वृक्ष है चमेली 22. धनिष्ठा नक्षत्र का वृक्ष है शमी
- मघा नक्षत्र का वृक्ष है बरगद 23. शतभिक्षा नक्षत्र का वृक्ष है कदम्ब
- पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र का वृक्ष है पलाश 24. पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का वृक्ष है आम
- उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का वृक्ष है पिलखन 25.उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का वृक्ष है नीम
- हस्त नक्षत्र का वृक्ष है जई 26. रेवती नक्षत्र का वृक्ष है महुआ
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