अगर कुंडली में अचानक धन मिलने का योग हो तभी मनुष्य की लाटरी निकलने की उम्मीद की जा सकती है। आज के युग में बिना मेहनत करे हर कोई जल्दी से अरबपति बनना चाहता है। इसके लिए लाटरी, सट्टा, जुआ और शेयर बाजार और शेयर बाजार की और ध्यान आकर्षित होना लाजमी है। लाटरी-सट्टा जुआ का ही रूप है जिसमे जित कर भी मनुष्य हार जाता है। पहले कभी हार कभी जीत का क्रम चलता है और इस का अन्त तबाही और कर्ज की दलदल में फसा देता है मनुष्य सब कुछ गवा बैठता है।
- जातक की कुंडली में अगर राज योग हो तभी लाटरी, सट्टा, जुआ और शेयर बाजार से लाभ होता हे। राज योग में धन भाव (दूसरा भाव) या लाभ स्थान एकादश भाव और दसवे घर क स्वामी उच्च राशि के बैठे हों और उन पर सौम्ये ग्रह की दृस्टि हो तो लाटरी निकलने की प्रबल संभावना होती है।
- लाटरी खरीदने के वक़्त बुध ग्रह अपने भाव मित्र राशि में उच्च का बैठा और गोचर में वेद ना हो तो लाटरी निकलती है अगर बुध जन्म कुंडली में उच्च का न हो तो लाटरी, सट्टा, जुआ और शेयर बाजार से हानि होती है।
- महादशा, अंतर और प्रत्यंतर दशा योगकारक ग्रह या उच्च के ग्रह की हो तो लाटरी निकलने की सभावना होगी।
- योगनी दशा में मंगला, सिद्धा चल रही हो तो अचानक धन लाभ होता है।
- लालकिताब की वर्ष कुंडली में अगर बुध उच्च का 1, 2, 4, 5, 6, 7 खाना में बैठा होऔर उस पर दुश्मन ग्रह की दृस्टि ना हो और आठवीं दृस्टि की टक्कर ना हो तो लाटरी निकलने की संभावना प्रभल होती है। जुआ, लाटरी, सट्टा, बुध से ही देखा जाता है।
- जिस जातक के लग्न में बुध उच्चराशिगत हो, मकर में मंगल, धनु राशि में गुरु, चन्द्रमा,और शुक्र बैठे हों तो राजयोग होता है ऐसे योग में उत्पन बालक को अचानक धन लाभ होता है।
- जातक के जन्म कुंडली में चन्द्रमा सूर्य के नवमांश में हो तो कभी लाटरी, सट्टा, जुआ से लाभ ना होगा।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.