786 अंक हम सब ने कहीं न कहीं देखा होगा और इस अंक के बारे में अलग अलग विचार भी सुने होंगे मगर इसकी सच्चाई का बहुत कम लोगों को ज्ञान होगा। असल में क्या है इस शुभ अंक का रहस्य ? क्यों इस्लाम में यह अंक शुभ माना जाता है ? इस को जानने के लिए मैने बहुत से मुस्लिम विद्वानों से बात की मगर पूरी सचाई ना मालूम हो पाई। हिमाचल के एक क़स्बा में मैने एक गमला बनाने वाले के बोर्ड पर इसे लिखा पाया तो पूछने पर सच्चाई साहमने आई। मुझे कुछ रास्ता मिला और आगे खोजबीन करने पर पूरी सच्चाई पता चली।
आप सब ने कीरो अंक शास्त्री, हस्त रेखा माहिर भविष्यवक्ता के बारे में सुना होगा। जैसे A, B, C, D .. Alphabets को नंबर दिए गए, वैसे ही Arabic alphabets को नंबर दिए गए। हिन्दु अरबिक नम्बर्स से पहले अरबी भाषा में प्रयोग होने वाली Abjad नंबर्स का चलन था। जिसे गणित में प्रयोग किया जाता था। अब्जद नंबर्स में पहले अक्षर अलिफ़( Alif) को 1 नंबर दिया गया , बा(Ba) अक्षर को 2 नंबर, या(Ya) को 10 नंबर, कैफ(Kaf) को 20 अंक, कफ(Qaf) को 100 अंक दिए गए.. और ऐसे ही 28 अक्षरों को नंबर्स दिए गए।
यह अब्जद अक्षरों के बारे में इस लिए बताया गया है क्योंकि 786 अंक का सीधा सम्बन्ध अब्जद लिपि में दिए अंकों के साथ है।
इस्लाम धर्म को मानने वाले 786 को बिस्मिलाह का रूप मानते है। कुरान में आयत है "बिस्मिल्लाह इर रहमान इर रहीम" (Bismillah-ir- Rahman-ir Rahim) से भाव है शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम पर जो बहुत दयावान है और अपनी दया हम तक पहुंचाता है। कोई भी काम शुरू करने से पेहले बिस्मिल्लाह केहने का मतलब है की में यह काम अल्लाह के नाम से शुरू कर रहा हूँ या इस काम में अल्लाह की मदद चाहता हूँ। इस आयत में अक्षरों का जोड़ अब्जद अंकों में दिए गई अक्षरों को दिए अंकों का जोड़ 786 बनता है। जैसे ब अक्षर को 2 अंक कैफ को 20 अंक दिए गए हैं। इसी लिए 786 को बहुत पवित्र अंक माना जाता है। मगर कुरान में इस का कोई उल्लेख नहीं मिलता।
कई हिन्दू भी इसे ॐ का रूप मानते है, मगर मैने कभी मंदिरों में 786 अंक को लिखे हुए नहीं देखा। हमेशा मुस्लिम दरग़ाहों या पीरों की जगह पर ही लिखे देखा है। बाकि यह सब विश्वास की बात हे , जब परमात्मा एक ही माना जाता है तो सब रास्ते परमेश्वर की तरफ ही जाते है, कोई भी रास्ता चुनो सभी उस एक जोत से मिलाते है।
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