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Thursday, 28 February 2019

SUN-SATURN CONJUNCTION

In a horoscope when Sun and Saturn are in a same house then revealed that both good and bad results may come out as Sun and Saturn are enemies with each other. Saturn is son and dark in colour and Sun is father and bright in colour.Sun is light and gives noble deeds. Sun confers wealth, long life, hearts health, famousness and favour from the government and Saturn is the lord of law, theft and evil. As per the Red Book they both remain together up to 45 years.
Good Effects:- when both are in 1st house and Mars aspected favourably on them, both will give good effects; jewellery business or dealing with gold and silver will be beneficial.
in 1st, 5th, 6th, 7th, 12th house both will confer good effects and in 2,3,4,8 house the individual effects will be considered. Aspects of other planets may be considered before reaching for the final results.
Bad effects:- If giving bad effects then the person watching burning his own house, like two headed snake i e effects of malefic mars and debilitated Rahu. Vachellia nilotica, scientific name Acacia karoo or Kikar tree in the house will detroy everything.
Remedies:- Throw almonds and Coconut in running water at the time of solar eclipse.
Keep Gold(Jupiter), Copper(Sun) and Red Coral(Mars) together in house or use as triangular on the woman s hair.

दाम्पत्ये जीवन में सुख के लिए टोटके

पति पत्नी में अक्सर वैचारिक मतभेद देख़ने को मिलते है और अगर यह मतभेद हद से ज्यादा बढ़ जाए को नौबत आपस में मार कुटाई तक और अंत में बात तलाक तक पहुँच जाती है। दाम्पत्ये जींवन को सुखमय बनाने के लिए कुछ टोटके अपनाने से लाभ देखा जा सकता है।
  • प्रेत्यक बुधवार को पति पत्नी को सुबहे तीन घण्टे तक मौन रखना चाहिए और आपस में अगर जरुरी हो तभी बात करें। 
  • दाम्पत्ये जींवन को सुखमय बनाने के लिए पत्नी को उसकी नाम राशि से सातवीं राशि का जप करना चाहिए। 
  • दहेज़ में मिला पलंग अगर संभाल कर रखा जाए तो भी पतिपत्नी में विवाद नहीं बढ़ता।
  • दाम्पत्ये जींवन में अगर पत्नी या पति का शंकालु सवभाव हो तो सोने वाले कमरे में मोरपंख रखें जो सोते समय साहमने नजर आएं। 
  • सोने वाले कमरे में मुँह देखने वाला शीशा नहीं होना चाहिए अगर हो तो उसे परदे से ढक कर रखें। 
  • पतिपत्नी रोजाना नियम से घर में पाठपूजा करें।  अगर आप की पत्नी आप पर बेवजहे शक करती हे तो शुक्रवार को गाए को हरा चारा डाले। 
  • अगर पत्नी का शक सच्चा हो तो पति का पहना हुआ अंडरवियर शनिवार को जला कर उसकी राख घर के दरवाजे के बहार गिरा कर उसे पैर से मसल दे और अपने इस्ट्देव से पति के सुधरने की प्रार्थना करें। 
  • डबल बेड पर हमेशा एक ही गददा लगायें, दो अलग अलग गददे लगाने से आपस में दरार बढ़ती है। 
  • जीवनसाथी का सवभाव अगर उग्र हो तो ऐसे व्यक्ति को ससुराल से चांदी का आभूषण लेकर पहनना चाहिए। 
  • आपस में तनाव को कम करने के लिए शयन कक्ष में एक मुठी गेहूं, गुड़, छुहारे और चांदी के दो सिक्के सफ़ेद कपड़े में बांध कर रखें। यह साधारण टोटके है जिसे जीवन में अपना कर सुधार किया जा सकता है। कुंडली का अध्यन करने के उपरान्त ही पूर्ण लाभ प्राप्त किया जा सकता है।  कुंडली का पूर्ण अध्यन करवाने के लिए संपर्क करें 91 9417355500 







Wednesday, 27 February 2019

LOSU GRID: CHINESE ASTROLOGY

A river in China named LO was considered as auspicious as god. Once thousands year back flooded, inundating the local population. As per the mythology a turtle was surfaced on the river and people of that time saw a square on the shell of the turtle, a grid of nine square,and in this square no matter the digits written in this square which way the dots were added across the rows either horizontally, vertically or diagonally, the sum was fifteen. This diagram was called LO SHU or " LO RIVER WRITING"                
                                         The Shape and digits in the square are like this
                                                                   
                                                                
                                                               South
                                         
                                                             4----9----2
                         East        3----5----7        West
                                        8----1----6

                                            North


For example natives date of birth is 1 Oct, 1959 and in the empty square we will fill the digits shown in the date of birth. Now if we fill the digits on the square then we find the missing numbers are 4, 3, 8,(south-east side is hollow) and south-west side is also hollow as number 2, 7, 6 are missing as these numbers are missing in the day, month and year of birth. 

9 represents south direction, element fire and red colour reputation and fame.
5 represents centre strength and stability, element earth and yellow colour,home.
1 number denotes north direction, career, element water dark blue colour, career.
2 south west, element earth and pink colour, marriage and relationship.
7 west, element metal, colour white, creativity and children.
6 north west, element metal, colour grey and mauve, spirituality, friends and foreign travel.
4 south west, wood element, colour purple and gold, wealth and prosperity.
3 east, wood green, family and health to be considered from this number.
8 north east, wood, green, education and knowledge will be considered from this number.

If any number is missing from the date of birth means missing the element and facilities and missing spaces will be remedied by planting garden or keeping the water feature in that direction.
For full analysis of  remedies as per the LOSHU GRID contact 919417355500 (Https://m.facebook.co./daljitastro)


शुभ भाग्य के लिए घोड़े की नाल (Horseshoe And Good Luck)


                     
घोड़ा एक ऐसा पशु है जिस में लम्बे समय तक बगैर थके कार्य करने की क्षमता होती है।  आज किसी भी कार, मोटरसाईकल, ट्रक, बस की क्षमता मापने के लिए घोड़े का नाम(Horse Power) प्रयोग होता है। प्राचीन समय में घोड़ा लड़ाई में वाहन के रूप में प्रयोग होता था इस का मतलब यह सब से ज्यादा वफादार और शक्तिशाली प्राणी है। 

घोड़े के पैरों में लगने वाली धातु की नाल क्यों भाग्यशाली मानी जाती है? आप ने देखा होगा की घोड़े के खुरों में नाल को कीलों से ठोका जाता है मगर घोड़े को दर्द नहीं होता। यह नाल घोड़े के पैरों में जूतों का काम करती है। तो फिर घिसा हुआ जूता कैसे भाग्यशाली हुआ ? मनुष्य के पैरों में चमड़े, रेक्सीन, रबढ़  का जूता या चप्पल पहनी जाती है।  जो घिसने के बाद किसी काम नहीं आती। मगर लोहा, ताम्बा, कलई, पीतल की नाल घिसने के बाद और भी ज्यादा बरकत वाली हो जाती है। 
सबसे पहले घोड़े की नाल इट्रस्केन टॉम्ब( Etruscan Tomb) जिसे Tomb of the Reliefs भी कहा जाता है में 1897 को मिली थी जो की कांसा धातु (Bronze) से बनाई गई थी, और इस में कीलें लगाने के लिए सुराख़ भी थे। 
घोड़े के दौड़ने से यह नाल घिस जाती है और इस को घर में रखना प्राचीन समय से ही शुभ माना जाता है। घर, दुकान,कारखाने  में बाहरी दरवाजे के पास लगाने से शुभ मानी जाती है। जिससे घर में रहने वाले लोग ज्यादह काम करने वाले मेहनती बनेंगे और एक दूसरे के वफादार रहेंगे, ऐसा ही कारखाने या दूकान में होगा। घोड़े की शक्ति इस नाल में होने से बुरी आत्माओं का भी घर दुकान में प्रवेश नहीं होता। 
घोड़े की नाल को घर के दरवाजे यां बाहरी दीवार पर इंग्लिश के अक्षर यु (U) की तरहे लगाना शुभ माना जात्ता था की इस तरहेँ नाल लगाने से भाग्ये बाहर ना जा सकेगा। मैंने अनुभव किया है की नाल का खुला मुँह निचे की तरफ कर के लगाने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है इस में कोई संशय नहीं है। कई देशो में नाल को अंग्रेजी के अक्षर C की तरहें लगाना भी शुभ माना जाता है। 
 पूरा काले रंग के घोड़े की नाल को घर में रखना, दरवाजे पर लगाना और इस द्वारा बनी अंगूठी छल्ला पहनना शनि के बुरे प्रभाव से बचाता है। 
U U U U U U U U U U U U U..............................................................U U U U U U U U U U U U U 

Tuesday, 26 February 2019

कर्ज-प्रकोप

गरीब मनुष्य कर्जा लेता हे अपनी रोजी रोटी चलाने को और अमीर लेगा और अमीर बनने को, मगर पहले एक कहावत कही जाती थी " कर्जा भला न बाप का " यानि अपने पिता से भी लिआ कर्जा भी भला नहीं होता। कर्ज से पीड़ित लोगो पर मानसिक,शारीरक, सामाजिक दुष्प्रभाव पड़ते है उदहारण के तोर पर किसानो द्वारा की जा रही आत्महत्या। इस लिए कर्जा उठाते कई बार सोचना चाहिए। अख़बारों में हम ने देखा की कई लोग कर्जा न उतारने कारन देश छोड़ कर विदेश भाग गए।
ज्योतिष शास्त्र पर आधारित  कई ऐसे योग कुंडली में होते है जिस से मनुष्य कर्ज तो लेता हे मगर उतार नहीं पाता जैसे दरिद्री योग, केमद्रुम योग,भिक्षुक योग, अकस्माक धन हानि योग। 
 केमद्रुम योग तब होता हे जब कुंडली में चन्द्रमा अकेला बैठा हो ,चन्द्र से दूसरे और बाहरवें घर में कोई ग्रह ना हो और कोई शुभ ग्रह की दृस्टि भी ना हो।  यह योग जिसकी कुंडली में होता है वह कर्ज की मार में दरिद्र होता है।  शास्त्रों में कहा गया है " द्रव्ये दाते तु चन्द्रमा:" भाव धन प्रदान करने में चन्द्रमा की मुख्य भूमिका होती है। कुंडली में कितने भी राजयोग यां धन योग हो तब भी उन का पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं होता। 
 महादरिद्री योग तब बनेगा जब लाभेश यदि छटे, आठवे और बारवें भाव स्थान में हो और लाभेश नीच या अस्त हो तो महा दरिद्री योग बनता है। कुंडली में जब यह योग हो तो मनुष्य धनहीन हो कर कर्ज लेता है। 
भिक्षुक योग तब बने गा जब दसमेश, तृतीयेश, भाग्येश नीच राशि में या अस्त हो तो जातक के धन का नाश होता हे और जब धन नाश होगा तो जीवनयापन के लिए कर्ज लेना पड़ेगा। यह कुंडली नेट से प्राप्त की है जो की श्री विजय मालया की है और इस कुंडली में केमद्रुम योग,भिक्षुक योग, अकस्माक धन हानि योग और महादरिद्री योग नहीं बनता। इस लिए कर्ज लेने के बाद भी आराम की जिंदगी जी रहा है और अगर इन योगों में से कोई भी योग होता तो आज स्थिति कुछ और होती। 







धन नाशक योग होगा जब लग्नेश अल्पबली हो, धनेश सूर्य के साथ बाहरवे स्थान में हो और  बाहरवे स्थान का स्वामी नीच राशि का हो और उस पर पापी ग्रह की दृष्टि हो तो राजा द्वारा दण्ड मिलता है और धन का नाश होता है  जिस कारन कर्ज लेना पड़ता है।
सम्पति नाशक योग हो तो भी कर्ज लेना पड़ता है। धनेश और लाभेश अगर नीच राशि में हों और छटे,आठवे या बाहरवें में हों ग्यारवें भाव में मंगल और दूसरे भाव में राहु हो तो यह योग बनेगा। 
किसी योग्य ज्योतिष को कुंडली दिखा कर उपाए करने से कर्ज के लिए मजबूर करने वाले इन  योगों से छुटकारा पाया जा सकता है। 

Monday, 25 February 2019

गड़ा धन(Treasure trove) मिलने के योग

गुप्त खजाना प्राप्त करके मालामाल होने का सपना कई व्यक्तिओं का होता है और आजकल मेरे देखने में आया हे की कई लोगो को गड़ा धन दिखाने  और निकलवाने में  कई झूठे तांत्रिक, लोगों को लूट रहे हैं। अगर आप के आस पास जमीन में  गड़ा धन है तो कैसे पता लगेगा के वाकई खजाना है या नहीं ? एक अख़बार में मैंने लिखा पाया की गड़े धन के चक्र में एक परिवार के लोग आपस में झगड़ा करने लगे की तांत्रिक ने उन्हें बताया की उनके  घर के पास जमीन में सोना दबा हुआ है मगर तांत्रिक लोग खजाना ले कर भाग गए। इससे यह पता लगा की गड़ा धन उनकी किस्मत में ना था। किन लोगो की किस्मत में गड़ा धन मिलने के योग होते हैं ? जिन के ग्रह में अचानक धन प्रप्ति का योग हो। लालकिताब में अचानक धन मिलने बारे कहीं-कहीं पर रमजो यानि पहेलियों (Riddles) में बताया गया है। 
  •  बृहस्पति और सूर्य का कुंडली में इकठे और उच्च का होने से लालकिताब में शाही धन लिखा है।  बृहस्पति के  साथ सूर्य  होने के वक्त किस्मत का ताल्लुक गैरों के साथ नैक मगर रूहानी होगा और दुनयावी कामों में कामयाबी जरूर मिलेगी। अगर नेक तो किस्मत के मैदान में राजा योगी होगा।
  •  बृहस्पति- चन्द्र अगर कुंडली में नेक हालत में इकठे हो तो हर कार्ये में सफलता छुपे धन की प्राप्ति होगी। वह बोहड़ के पेड़ जैसा होगा जो दूसरों को छाया देगा। 
  •  बृहस्पति-शुक्र युति में औरतों की मदद हमेशा मिलती रहे इसको बुर के लडू यान दिखावे का धन लिखा गया है मगर नेक होने पर बहुत धन की प्राप्ति होती है।  
  •  बृहस्पति-मंगल युति हो तो श्रेष्ट ग्रहस्त धन या नेक "मंगल हो किरणे सोने की - जगत भंडारी होता हो" ऐसा लिखा गया है। ऐसे मनुष्य के पास धनदौलत और जमीन जायदाद जरूर होगी। 
  • सूर्य - मंगल का कुंडली में नेक असर होने से आकस्मिक दान प्राप्ति का योग बनता है। सूरज हमेशा उच्च का होगा जब मंगल नेक हालत पर होगा ऐसे टेवे में चन्द्र (माता) माता भाग्य खजाना वगेरा चंद्र की चीजें का असर मंदा न होगा। माया बहुत होगी अगर दोनों खाना नंबर 3 में हों। शर्त यह है की मकान के चारों कोने 90 अंश के हो। 
  • चन्द्र-मंगल को श्रेष्ट धन कहा गया है।  मीठी गुजर हो दूध शहद की,लाल चांदी धन माया हो। आयु उत्तम और शक्ति पूरी , दान देने से बढ़ता हो। अगर दोनों को बृहस्पति देखे तो श्रेष्ट धन और लक्ष्मी योग कहा गया 
इस तरहे मंगल-शनि और शनि-गुरु का योग भी ध्यान में रखना चाहिए। समझदार को इशारा ही काफी है और मुर्ख को समझना मुश्किल है।

लाटरी निकलने का योग

अगर कुंडली में अचानक धन मिलने का योग हो तभी मनुष्य की लाटरी निकलने की उम्मीद की जा सकती है। आज के युग में बिना मेहनत करे हर कोई जल्दी से अरबपति बनना चाहता है।  इसके लिए लाटरी, सट्टा, जुआ और शेयर बाजार और शेयर बाजार की और ध्यान आकर्षित होना लाजमी है।  लाटरी-सट्टा जुआ का ही रूप है जिसमे जित कर भी मनुष्य हार जाता है। पहले कभी हार कभी जीत का क्रम चलता है और इस का अन्त तबाही और कर्ज की दलदल में फसा देता है मनुष्य सब कुछ गवा बैठता है।
  • जातक की कुंडली में अगर राज योग हो तभी लाटरी, सट्टा, जुआ और शेयर बाजार से लाभ होता हे। राज योग में धन भाव (दूसरा भाव) या लाभ स्थान एकादश भाव और दसवे घर क स्वामी उच्च राशि के बैठे हों और उन पर सौम्ये ग्रह की दृस्टि हो तो लाटरी निकलने की प्रबल संभावना होती है। 
  • लाटरी खरीदने के वक़्त बुध ग्रह अपने भाव मित्र राशि में उच्च का बैठा और गोचर में वेद ना हो तो लाटरी निकलती है अगर बुध जन्म कुंडली में उच्च का न हो तो लाटरी, सट्टा, जुआ और शेयर बाजार से हानि होती है। 
  • महादशा, अंतर और प्रत्यंतर दशा योगकारक ग्रह या उच्च के ग्रह की हो तो लाटरी निकलने की सभावना होगी। 
  • योगनी दशा में मंगला, सिद्धा चल रही हो तो अचानक धन लाभ होता है। 
  • लालकिताब की वर्ष कुंडली में अगर बुध उच्च का 1, 2, 4, 5, 6, 7 खाना में बैठा होऔर उस पर दुश्मन ग्रह की दृस्टि ना हो और आठवीं दृस्टि की टक्कर ना हो तो लाटरी निकलने की संभावना प्रभल होती है। जुआ, लाटरी, सट्टा, बुध से ही देखा जाता है। 
  • जिस जातक के लग्न में बुध उच्चराशिगत हो, मकर में मंगल, धनु राशि में गुरु, चन्द्रमा,और शुक्र बैठे हों तो राजयोग होता है ऐसे योग में उत्पन बालक को अचानक धन लाभ होता है। 
  • जातक के जन्म कुंडली में चन्द्रमा सूर्य के नवमांश में हो तो कभी लाटरी, सट्टा, जुआ से लाभ ना होगा। 

Sunday, 24 February 2019

राहु राशि परिवर्तन 7 मार्च 2019 : राजनीति में सफलता किसे देगा ?

राहु और केतु छाया ग्रह है मगर राहु को राजनीति में सफलता या असफलता का कारक भी माना जाता है, मगर इस का यह मतलब नहीं है की दूसरे सारे ग्रहो का असर ना होगा। कुंडली में सारे ग्रहों का अध्यन करने के उपरांत ही फल ब्यान किया जा सकता है। शक की गुंजाइश नहीं के राहु की राजनीती में अहम् भूमिका होगी। 
                Liewellyn Georage described Rahu and Ketu, " The point of the zodiac where a planet crosses from south to north latitude is called North node and vice versa" The motion of the Moon,s node is retrograde about 3 degree per day.(https://m.facebook.com/daljitastro)

जॉर्ज के कथन अनुसार राहु और केतु हमेशा वक्री गति में ही चलते हैं। तो अब मार्च 7 2019 से राहु मिथुन राशि में भ्रमण करेंगे 
और इनका चन्द्रमा की राशि से प्रत्येक राशि पर प्रभाव इस तरहे होगा:
  • मेष राशि वालों का राहु गोचर में अपनी राशि से तीसरे भाव में होगा जिससे उन के पराकर्म में वृद्धि होगी।  नौकर चाकर रखने वाला मान सन्मान पाने वाला और राजनीति में सफलता मिलेगी। अगर बड़ा भाई हो या भाई को नुकसान होता है। 
  • वृष राशि वालों का राहु गोचर में अपनी राशि से दूसरे भाव में होगा तो जातक अहंकार कारण नुक्सान होगा सफलता नहीं मिलेगी। 
  • मिथुन राशि वालों का राहु गोचर में दशम भाव में होने से जातकना होने पर भी साहस रखने वाला मगर राजनीति में ज्यादा लाभ ना होगा। 
  • कर्क राशि वालों का राहु गोचर में अपनी राशि से बारहवें भाव में होगा तो जातक पापी, धर्महीन होगा राजनीति में सफलता पाठ पूजा करवाने के बाद ही मिले। 
  • सिंह राशि वालों का राहु गोचर में अपनी राशि से एकादश भाव में होगा तो जातक क्षमाशील होगा राजनीति मे सफल रहेगा। 
  • कन्या राशि वालों का राहु गोचर में दशम भाव में होने से जातक मेहनत तो बहुत करेगा मगर सफलता मेहनत से आधी मिलेगी। 
  • तुला राशि वालों का राहु गोचर में नवम भाव में होने से जातक अपने भाग्ये को आप खराब करे समय पर किसी की मदद न करने वाला मगर राजनीति में सफल होगा। 
  • वृशिचक राशि वालों का राहु गोचर में अष्टम भाव में होने से जातक पापकर्म करने वाला रोगी, चिंतित और सफलता प्राप्ति में देरी होगी। 
  • धनु राशि वालों का राहु गोचर में अपनी राशि से सप्तम भाव में होगा तो जातक की फॅमिली लाइफ ख़राब दूसरी स्त्रिओं से सबंध होने से लाभ काम बहन हानि ज्यादा होगी और सफलता में कमी होगी। 
  • मकर राशि वालों को राजनीति में काफी सफलता मेहनत और धन खर्च करने पर मिलेगी। राहु गोचर में छटे घर में होने से सफलता मिले। 
  • कुम्भ वालों का राहु गोचर में अपनी राशि से पंचम भाव में होगा तो जातक क्रोधी होगा राजनीति मे सफलता बच्चों की वजहे से नहीं मिलेगी। 
  • मीन राशि वालों का राहु गोचर में अपनी राशि से चौथे भाव में होगा तो जातक विश्वासहीन, हर कार्य में पीछे रहने वाला और राजनीती में सफलता कम होगी। 

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शुभ अंक 786 का रहस्य

786 अंक हम सब ने कहीं न कहीं देखा होगा और इस अंक के बारे में अलग अलग विचार भी सुने होंगे मगर इसकी सच्चाई का बहुत कम लोगों को ज्ञान होगा। असल में क्या है इस शुभ अंक का रहस्य ? क्यों इस्लाम में यह अंक शुभ माना जाता है ? इस को जानने के लिए मैने बहुत से मुस्लिम विद्वानों से बात की मगर पूरी सचाई ना मालूम हो पाई। हिमाचल के एक क़स्बा में मैने एक गमला बनाने वाले के बोर्ड पर इसे लिखा पाया तो पूछने पर सच्चाई साहमने आई।  मुझे कुछ रास्ता मिला और आगे खोजबीन करने पर पूरी सच्चाई पता चली। 
आप सब ने कीरो अंक शास्त्री, हस्त रेखा माहिर भविष्यवक्ता के बारे में सुना होगा। जैसे A, B, C, D .. Alphabets को नंबर दिए गए,  वैसे ही Arabic alphabets को नंबर दिए गए। हिन्दु अरबिक नम्बर्स से पहले अरबी भाषा में प्रयोग होने वाली Abjad नंबर्स का चलन था। जिसे गणित में प्रयोग किया जाता था। अब्जद नंबर्स में पहले अक्षर अलिफ़( Alif) को 1 नंबर दिया गया , बा(Ba) अक्षर को 2 नंबर, या(Ya) को 10 नंबर, कैफ(Kaf) को 20 अंक, कफ(Qaf) को 100 अंक दिए गए.. और ऐसे ही 28 अक्षरों को नंबर्स दिए गए। 
यह अब्जद अक्षरों के बारे में इस लिए बताया गया है क्योंकि 786 अंक का सीधा सम्बन्ध अब्जद लिपि में दिए अंकों के साथ है। 
इस्लाम धर्म को मानने वाले 786 को बिस्मिलाह का रूप मानते है। कुरान में आयत है "बिस्मिल्लाह इर रहमान इर रहीम" (Bismillah-ir- Rahman-ir Rahim)  से भाव है शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम पर जो बहुत दयावान है और अपनी दया हम तक पहुंचाता है।  कोई भी काम शुरू करने से पेहले बिस्मिल्लाह केहने का मतलब है की में यह काम अल्लाह के नाम से शुरू कर रहा हूँ या इस काम में अल्लाह की मदद चाहता हूँ। इस आयत में अक्षरों का जोड़ अब्जद अंकों में दिए गई अक्षरों को दिए अंकों का जोड़ 786 बनता है। जैसे ब अक्षर को 2 अंक कैफ को 20 अंक दिए गए हैं। इसी लिए 786 को बहुत पवित्र अंक माना जाता है। मगर कुरान में इस का कोई उल्लेख नहीं मिलता। 
कई हिन्दू भी इसे ॐ का रूप मानते है, मगर मैने कभी मंदिरों में 786 अंक को लिखे हुए नहीं देखा। हमेशा मुस्लिम दरग़ाहों या पीरों की जगह पर ही लिखे देखा है।  बाकि यह सब विश्वास की बात हे , जब परमात्मा एक ही माना जाता है तो सब रास्ते परमेश्वर की तरफ ही जाते है, कोई भी रास्ता चुनो सभी उस एक जोत से मिलाते है।  


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Saturday, 23 February 2019

मांगलिक दोष से डरने की जरुरत नहीं

मंगल का अर्थ है कल्याण,भलाई शुभ और आनंद तो मंगल को अमंगलकारी बना कर डराने का कार्य किया जाता है। कुंडली का पूर्ण विश्लषण करने उपरांत ही मंगल या मांगलिक योग का पता चलता है। 
जिस कन्या की कुंडली में जन्म का मंगल 1, 4, 7, 8, या 12 भाव में हो, तो वह कन्या पति के लिए हानिकारक मानी जाती है और ऐसा ही मंगल अगर पुरष की कुंडली में बैठा हो तो मांगलिक योग बनता है और पत्नी को हानि कारक  माना जाता है। 
चन्द्र, शुक्र और लग्न से मंगल की स्तिथि देख़ने से पूर्ण जानकारी मिल सकती है। 
मंगल दोष कैसे ख़त्म होता है? 
  • पुरष और स्त्री दोनों की कुंडली में मंगल 1 , 4 , 7 , 8 , 12 वे स्थान में हो तो मांगलिक दोष नहीं लगता। 
  • लड़की की कुंडली में जिस स्थान पर मंगल हो तो लड़के की कुंडली में उस स्थान पर शनि, सूर्य, राहु, आदि कोई पाप ग्रह हो तो मांगलिक दोष नहीं लगता।  ऐसा ही लड़के की कुंडली में देखना चाहिए। 
  • मेष राशि का मंगल लग्न मे बृश्चिक राशि का चौथे भाव में , मकर का सातवे भाव में , कर्क का आठवें भाव में , धनु का मंगल अगर बाहरवें भाव में हो तो मंगल दोष नहीं लगता। 
  • मीन का मंगल सातवें भाव में और कुम्भ राशि का मंगल अस्थम भाव में हो तो मांगलिक दोष नहीं होता। 
  • यदि दूसरे भाव में चन्द्र-शुक्र का योग हो और राहु केन्द्र 1 ,4 ,7 , 10 वे भाव में हो और मंगल को  देखता हो तो मंगल दोष नहीं लगता। 
  • बलवान गुरु या शुक्र अगर लग्न में हो तो मंगल दोष नहीं लगता। 
  • केंद्र और त्रिकोण में शुभ ग्रह हो और त्रिक भावों 6 , 8 , 12 वे स्थान में पापी ग्रह हो  मंगल दोष नहीं लगता। 
  • यदि लड़की और लड़के की कुंडली मिलान में 27 से ज्यादा गुण मिलते हों और ग्रह मैत्री हो तो मांगलिक दोष नहीं लगता। 

Friday, 22 February 2019

लालकिताब अनुसार मकान कब बनेगा ?

आज के युग में मकान होना अनिवार्य होता जा रहा है। संयुक्त परिवार प्रथा खत्म होती जा रही है। मकान कब बनेगा यह लालकिताब में लिखे अनुसार पता किया जा सकता है।
वर्षफल के अनुसार शनि जब राहु-केतु के संबंध से नेक सवभाव का सिद्ध हो और दृस्टि के अनुसार अथवा वैसे ही राहु-केतु के साथ बैठा हो तो मकान बनेगा। लेकिन जब राजू-केतु के साथ बुरे असर का हो तो मकान तो बनेगा मगर फल अच्छा ना होगा और बिकवा देगा। ऐसा मकान जब शनि के साथ राहु केतु का नेक असर वर्षफल में आएगा तो मकान बिकवा देगा।
अचे सिद्ध नक्षत्र में बनाया मकान उत्तम व शुभ होगा।  मकान पूर्ण हो जाने पर पर उसकी प्रतिस्ठा पर दान करना अनिवार्य व शुभ होगा।
जब  जन्म कुंडली में शनि कुंडली के खाना नंबर 1 में हो तो टेवे वाला अगर मकान बनाए काग रेखा जब शनि मंदा हो तो टेवा वाला कौवे की तरहे खुराक को तरसता हो।
शनि खाना नंबर 2 : मकान जब और जैसा बने बनने दें।  शुभ होगा।
शनि खाना नंबर 3 : तीन कुत्तों की पालना करने से शुभ मकान बनेगा।
शनि  खाना नंबर 4 : मकान की नीव खोदते ही मामा खानदान बर्बाद  तंग होगा।
शनि खाना नंबर 5 : शनि से सम्बंदित वस्तुए( भैंसा इत्यादि) दान देने के बाद ही मकान शुरू करें नहीं तो संतान पर भारी।
शनि खाना नंबर 6 : 24 से 39 उम्र तक मकान मत बनाए।
शनि खाना नंबर 7 : बने बनाये मकान ही शुभ रहेंगे।
शनि खाना नंबर 8 : अपने नाम से मकान मत बनाएं।
शनि खाना नंबर 9 : अपनी कमाई से बनाया मकान पिता पर भारी।
शनि खाना नंबर 10 : अपना मकान बनाने पर आमदन में कमी होगी।
शनि  खाना नंबर 11 : मकान 55 साल उम्र के बाद बनेगा। दक्षिण दरवाजे वाला  मकान बहुत अशुभ।
शनि  खाना नंबर 12 : सांप और बंदर यानि शनि और सूर्य कभी अपना बिल यां घर नहीं बनाते मगर टेवे वाला को चाहिए जैसा
भी मकान बने बनने दें रोके मत।
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प्रेम सम्बन्ध के योग।

शुक्र और चन्द्र ग्रह का प्रभाव
ज्योतिष विद्या के अनुसार ग्रहो का प्रभाव हर किसी की मनोदशा को प्रभावित करता है। जन्म के समय ग्रहो की जैसी स्थिति होती है वैसा हीं मनुष्य का स्वभाव हो जाता है। जन्म कुण्डली में शुक्र को प्रेम का कारक ग्रह माना जाता है। यह भौतिक सुखो का कारक भी माना जाता है। शुक्र प्रधान जातक विलासितापूर्ण जीवनशैली का अनुगामी होता है, जबकि शुक्र पर्वत की अनुपस्थिति जातक को वैरागी बना देती है। शुक्र को वैवाहिक जीवन का कारक भी माना जाता है। जन्म कुण्डली में शुक्र की विभिन्न ग्रहो के साथ युति इसके फलो में विविधता लाती है। 
शुक्र+मंगल : शुक्र और मंगल की युति से व्यभिचारी योग का निर्माण होता है। मंगल रक्त, क्रोध और उत्तेजना का कारक ग्रह होता है। यह जिस ग्रह के साथ युति करता है उस ग्रह से संबंधित गुणो को भड़का देता है। चूँकि शुक्र प्रेम और वासना का कारक माना जाता है अत: शुक्र की मंगल के साथ उपस्थिति शुक्र के गुणों को अनियंत्रित कर देती है। परिणामस्वरूप इस युति में जन्म लेने वाला जातक अपने जीवन मे एक से अधिक या अनेक संबंध बनाता है। वह एक जीवनसाथी से संतुष्ट नहीं रहता है और नये नये संबंध तलाशता रहता है। इस युति पर गुरु की पूर्ण दृष्टि या युति हो जाये तो सब कुछ ठीक रहता है, किन्तु गुरु की पूर्ण दृष्टि या युति न हो तो यह योग अशुभ फल देता है। चूँकि शुक्र प्रेम का कारक ग्रह है और मंगल प्रेम भंग करने वाला ग्रह माना जाता है अत: इन दोनो के एक साथ होने से प्रेम भंग हो जाता है। वैवाहिक जीवन पर इस युति का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पुन: मंगल और शुक्र नैसर्गिक सम और तात्कालिक शत्रु मिलकर पूर्ण शत्रु बन जाते है। इसमें भी यह देख लेना आवश्यक है कि यह युति किस ग्रह के घर में बन रही है। यदि यह युति गुरु के घर(धनु,मीन) में बन रही है तो अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ता है। इसी तरह बुध के घर(मिथुन,कन्या) में भी इसका प्रभाव न्यून रहता है कारण कि बुध को नपुंसकता का ग्रह माना जाता है। किन्तु यदि यह युति स्वयं शुक्र के घर(वृष,तुला) या शनि के घर(मकर,कुम्भ) में बन रही हो तो जातक के चरित्र बिगड़ने की अधिक संभावना रहती है। परिणामस्वरूप ऐसा जातक अपने अवैध संबंधों के लिये अपनी प्रतिष्ठा का कोई ध्यान नहीं रखता और शर्म और लज्जा भी उसमें कम होती है, विशेषकर तब जब गुरु और सूर्य भी निर्बल हो। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यदि गुरु की युति या दृष्टि हो तो गुरु एक बड़ा ग्रह होने के कारण यह सब ढ़क लेता है जिससे जातक का चारित्रिक दोष ढ़क जाता है क्योंकि कई बार ऐसे संबंध प्राय: दूर के न होकर परिवार के नजदीकी रिश्तों के होते है। व्यभिचारी योग के हीं कुछ फल आंशिक रूप से तब भी मिलते है जब मंगल और शुक्र का दृष्टि संबंध हो अर्थात दोनो एक दूसरे से सातवे घर मे हो या मंगल और शुक्र का गृह परिवर्तन योग हो अर्थात मंगल शुक्र के घर(वृष,तुला) और शुक्र मंगल के घर(मेष,वृश्चिक) मे हो। यदि मंगल या शुक्र दोनो मे कोई वक्री हो तो इसका प्रभाव कम हो जाता है। शुक्र के अस्त होने से या सूर्य के साथ होने से भी इसका प्रभाव कम हो जाता है। इस योग का प्रभाव पहले, सातवें और ग्यारहवें घर में अधिकतम होता है। छठे घर में न्युनतम प्रभाव होता है। यदि आठवें या बारहवें घर में हो तो ऐसा जातक अपने अवैध संबंधों के कारण अपयश प्राप्त करता है। ग्यारहवें घर में हो तो अवैध संबंध व्यवसायिक और आर्थिक कारणो से या व्यवसायिक और आर्थिक हितों के लिये होते है। मंगल की शुक्र के साथ युति स्वयं मंगल के गुणों के लिये भी अनुकूल नहीं होती है। कारण कि मंगल युद्ध, साहस और वीरता का कारक ग्रह है और इसकी युति स्त्री कारक ग्रह शुक्र के साथ होने पर यह जातक को कायर, भीरु और डरपोक बना सकता है। निष्कर्ष्त: शुक्र और मंगल की युति जन्म कुण्डली मे प्रेम और वैवाहिक जीवन के लिये अशुभ होती है। प्रत्येक घर तीस अंश का होता है। एक हीं घर में मंगल और शुक्र जितने कम अंश तक पास-पास होते है उतना हीं अशुभ फल मिलता है। 
शुक्र+राहु : कुण्डली में शुक्र और राहु की युति भी सामान्यत: अशुभ मानी जाती है। राहु का यह गुण है कि यह जिस ग्रह के साथ होता है उस ग्रह को या उस ग्रह से संबंधित गुणों को दूषित कर देता है। चूँकि राहु छल-कपट और धोखा देने वाला ग्रह है अत: यदि शुक्र की युति राहु के साथ हो जाये तो ऐसा जातक प्रेम मे धोखा देने वाला होता है तथा स्वयं भी प्रेम मे धोखा खाता है। ऐसे जातक का चरित्र भी संदेहास्पद होता है। वह विशाल भवनो, इमारतों और विलासितापूर्ण जीवनशैली की ओर बहुत आकर्षित होता है। वह अधिक से अधिक धन-दौलत संचित करने के लिये इच्छुक और प्रयासरत रहता है। 
शुक्र+केतू : केतु का यह स्वभाव है कि यह जिस ग्रह के साथ होता है उस ग्रह की शक्ति को बहुत बढ़ा देता है कारण कि केतु धड़ भाग है जिसमें सोचने विचारने की शक्ति नहीं होती है। केतु जिस ग्रह के साथ युति करता है या जिस ग्रह की दृष्टि मे होता है या जिस ग्रह के घर मे होता है उसी के अनुसार फल देता है। शुक्र की युति केतु के साथ होने की स्थिति मे इन दोनो ग्रहों पर राहु की पूर्ण दृष्टि पड़ती है जिससे शुक्र और राहु की युति के फल भी आंशिक रूप से मिलते है। यदि इस युति पर गुरु की पूर्ण दृष्टि या युति हो जाये तो यह शुभ फल देता है।
शुक्र+शनि : यह युति शुभ मानी जाती है क्योंकि शुक्र और शनि परस्पर मित्र होते है। यदि शुक्र प्रबल हो अर्थात वृष/मिथुन/तुला/मकर/कुम्भ/मीन राशि का हो और शुभ भाव मे हो तो इसके शुभ फल मिलते है। साथ हीं शुक्र पर शनि का प्रभाव होने से कुछ चारित्रिक दोष हो सकता है। यह युति भौतिक सुखो को दिलाती है। 
शुक्र+सूर्य : यदि शुक्र की युति पापग्रह सूर्य के साथ हो तो ये नैसर्गिक शत्रु और तात्कालिक शत्रु मिलकर पूर्ण शत्रु बन जाते है। सूर्य के साथ होने से शुक्र का तेज क्षीण हो जाता है जिससे शुक्र के प्रभाव और गुणों मे कमी आ जाती है। 
शुक्र+चन्द्र : जन्म कुण्डली मे चन्द्र मन का कारक ग्रह माना जाता है। यह विशुद्ध प्रेम का कारक होता है। यदि चन्द्र की युति शुक्र के साथ हो जाये तो ऐसा जातक प्रेम करने वाला, प्रेम मे कोमल स्वभाव वाला, मधुर वाणी बोलने वाला, विनोदी, रसिक और कवि होता है। कुछ ऐसा हीं फल तब भी मिलता है जब शुक्र और चन्द्र का दृष्टि संबंध हो या इनका गृह परिवर्तन योग हो। 
शुक्र+गुरु : यदि शुक्र की युति गुरु के साथ हो तो ऐसा जातक पवित्र प्रेम मे विश्वास रखता है। ये दोनो ग्रह शुभ और परस्पर शत्रु होते है और दो शत्रु ग्रहो की युति से अशुभ फल तथा दो शुभ ग्रहो की युति से शुभ फल मिलता है किन्तु यहाँ पर यह देख लेना आवश्यक है कि दोनो मे कौन कितना प्रबल है तथा युति किस भाव मे बन रही है क्योंकि दोनो मे जो प्रबल होता है उसी के अनुसार फल मिलता है। ऐसा जातक अपनी भावनाओ को नियंत्रित रखता है। 
शुक्र+बुध : ये दोनो शुभ ग्रह परस्पर मित्र होते है अत: इनकी युति अत्यन्त शुभ होती है। यदि इन दोनो मे से कोई एक भी प्रबल हो अर्थात् वृष/मिथुन/सिंह/कन्या/तुला/मकर/कुम्भ/मीन राशि का हो तथा किसी शुभ भाव १/२/३/४/५/७/९/१०/११ में हो तो इनके शुभ फलो मे वृद्धि होती है। ऐसे मे यह युति जिस घर मे हो और इनसे सातवाँ घर जिस पर शुक्र और बुध की पूर्ण दृष्टि पड़ती है और जिन घरो के ये स्वामी होते है उनसे संबंधित शुभ फल मिलते है। चूँकि बुध ग्रह बुद्धि का कारक होता है अत: प्रेम के कारक ग्रह शुक्र के साथ इसकी युति हो जाने से जातक प्रेम के क्षेत्र मे बहुत सोच विचार कर कदम रखता है और अपने निजी हितों का ध्यान रखता है और प्रेम मे सफल होता है। 
लग्न कुण्डली,चन्द्र कुण्डली और नवांश कुण्डली मे शुक्र की स्थिति जातक के चरित्र की सही जानकारी दे देती है। इनमें शुक्र का ठीक से विश्लेषण कर लेने पर किसी के भी चरित्र के बारे मे सही से पता लग जाता है किन्तु इस पर देश, काल और परिस्थिति का भी प्रभाव पड़ता है। परन्तु कुछ जन्म कुण्डलियाँ ऐसी भी होती है जिनमे शुक्र के निर्दोष होने पर भी चरित्र खराब होता है। ध्यान से देखने पर यह पता चलता है कि यदि सूर्य तुला राशि मे नीच का हो और गुरु+राहु का चण्डाल योग हो तो भी चरित्र खराब होता है। ऐसा इस कारण होता है कि सूर्य प्रतिष्ठा का कारक ग्रह होता है और यदि यह प्रेम और वासना के कारक शुक्र के घर तुला में नीच का हो जाये तो ऐसा जातक अपने अवैध संबंधों के कारण अपनी प्रतिष्ठा का ध्यान नहीं रखता और इसे गिरा देता है साथ हीं गुरु+राहु के चाण्डाल योग के कारण नीच और क्रूर कर्मो मे आसक्ति होती है। चाण्डाल योग दो प्रकार का होता है। पहला प्रकार वह जिसमें गुरु निर्बल और राहु प्रबल होता है। यह अत्यन्त अशुभ होता है। ऐसा जातक अपने गुरु को धोखा देता है और पापकर्मो मे आसक्ति होती है। दूसरा प्रकार वह जिसमें गुरु प्रबल और राहु निर्बल होता है। ऐसे मे गुरु की प्रबलता के कारण धर्म और अध्यात्म मे सफल होने लगे फिर भी राहु के साथ युति के कारण उसे पूरी सफलता नहीं मिल पाती है। 
चन्द्र का प्रेम पर प्रभाव :
चन्द्र ग्रह भी प्रेम का कारक ग्रह होता है। शुक्र की तरह इसका प्रिय रंग भी श्वेत होता है। यह मन का कारक ग्रह होता है और प्रेम हमेशा मन से होता है। इसी कारण प्रेम के क्षेत्र में चन्द्रमा का महत्वपूर्ण स्थान होता है। यह सामान्यत: शुक्ल पक्ष की अष्टमी से कृष्ण पक्ष की सप्तमी तक प्रबल और कृष्ण पक्ष की अष्टमी से शुक्ल पक्ष की सप्तमी तक निर्बल होता है। इसमें भी पूर्णिमा का अति प्रबल और अमावस्या का अति निर्बल होता है। राशियो मे यह सामान्यत: मेष/वृष/कर्क/सिंह/धनु/मीन मे प्रबल और मिथुन/कन्या/तुला/वृश्चिक/मकर/कुम्भ मे निर्बल होता है। शुभ ग्रहो की राशि वृष/मिथुन/कर्क/कन्या/तुला/धनु/मीन में शुभ और पापग्रहो की राशि मेष/सिंह/वृश्चिक/मकर/कुम्भ में अशुभ फल देता है। यह शुभ ग्रहों के साथ युति करने पर शुभ फल तथा पापग्रहो के साथ युति करने पर अशुभ फल देता है। 
चन्द्र का विभिन्न ग्रहो के साथ युति का परिणाम : 
चन्द्र+शनि : चन्द्रमा की शनि के साथ युति अशुभ फल देती है। ऐसा जातक मानसिक रूप से असंतुलित होता है। मन मे नकारात्मक विचार हावी रहते है। विवाह मे बाधा आती है और विवाह देर से होता है। जीवनसाथी से मनमुटाव हो जाता है। यदि चन्द्र पर शनि की तीसरी, सातवी या दसवी पूर्ण दृष्टि पड़ती है तो भी ये सभी फल आंशिक रूप से मिलते है। इसमें भी शनि की सातवीं शत्रु दृष्टि अधिक अशुभ होती है। इस युति मे शनि और चन्द्र जितने पास-पास होते है उतना हीं अधिक अशुभ फल मिलता है। 
चन्द्र+राहु : चन्द्रमा की युति राहु के साथ अत्यन्त हीं खराब मानी जाती है। यदि एक हीं घर मे चन्द्र और राहु नौ अंश तक पास हो तो चन्द्र ग्रहण योग का निर्माण होता है। चन्द्रमा जल तत्व का कारक होता है और राहु विष का कारक होता है अत: इनकी युति अशुभ फल देती है। इसी प्रकार यदि सूर्य की युति राहु के साथ हो और दोनो नौ अंश तक पास हो तो सूर्य ग्रहण योग का निर्माण होता है। 
चन्द्र+केतू : केतू धड़ भाग होता है जिसमें सोचने विचारने की शक्ति नहीं होती है। यह जिस ग्रह के साथ युति करता है उसकी शक्ति को बहुत बढ़ा देता है। इस युति पर राहु की पूर्ण दृष्टि होती है। 
चन्द्र+मंगल : इस युति के कारण मन मे क्रोध की वृद्धि होती है। वाणी और स्वभाव मे कठोरता आती है। ऐसा जातक अपने कार्य मे कठोर व्यवहार करता है साथ हीं साथ चन्द्रमा का जल तत्व अग्नि तत्व के मंगल को शांत भी करता है जिससे जातक अधिक कठोर नहीं बन पाता। शुभ स्थिति मे होने पर यह युति शुभ फल भी देती है। 
चन्द्र+सूर्य : ये दोनो ग्रह आपस में घनिष्ठ मित्र होते है। चन्द्रमा जब सूर्य से बारह अंश आगे जाता है तो एक तिथि बदलती है। चन्द्रमा और सूर्य का एक हीं अंश पर मिलन अमावस्या की तिथि को होता है और तीस अंश के एक घर मे चन्द्रमा सूर्य से अधिकतम तीस अंश की दूरी तक हीं हो सकता है। अत: चन्द्रमा जब भी सूर्य के साथ होता है तो वह अमावस्या के आस-पास का हीं होता है अर्थात क्षीण स्थिति मे होता है। 
चन्द्र+बुध : ये दोनो शुभ ग्रह परस्पर शत्रु होते है फिर भी इनकी युति या दृष्टि संबंध शुभ फलदायी होती है। चन्द्रमा मन और बुध बुद्धि का कारक होता है। इनकी युति से जातक मृदुभाषी, कोमल स्वभाव का, सहृदय, कुशल वक्त़ा और समझदार होता है। मन और बुद्धि मे संतुलन बना रहता है। 
चन्द्र+शुक्र : इनकी युति या दृष्टि संबंध शुभ फलदायी होती है। मन के कारक ग्रह चन्द्रमा का संयोग जब प्रेम के कारक ग्रह शुक्र के साथ हो जाता है तो जातक का मन प्रेम के विचारो से भरा रहता है। यदि इन पर किसी पापग्रह विशेषकर शनि या राहु का प्रभाव न हो तो जातक प्रेम मे भावनापूर्ण, भावुक, मिलनसार, मृदुभाषी, कवि और विनोदी स्वभाव का होता है। मस्तिष्क रेखा यदि चन्द्र पर्वत पर चली गयी हो या मस्तिष्क रेखा मे से कोई शाखा चन्द्र पर्वत पर जाती हो या चन्द्र पर्वत पर वर्ग या अायत हो तो भी ये सभी गुण मिलते है पर आयु के जिस भाग से ऐसी मस्तिष्क रेखा आयु रेखा से दूर हटने लगती है उस आयु से निराशा हावी होने लगती है। यहाँ पर ध्यान रखने की बात यह है कि ऐसी मस्तिष्क रेखा मणिबन्ध को न छूती हो। 
चन्द्र+गुरु : जन्म कुण्डली मे नवग्रहों के आपसी संयोग से जितनी भी युति बनती है उन सब मे गुरु+चन्द्र की युति सर्वाधिक शुभ होती है। यदि गुरु या चन्द्र प्रबल हो और यह युति किसी शुभ भाव मे बन रही हो तो यह जातक को जीवन मे काफी ऊँचा उठा देती है। ऐसा जातक दयालु, निष्ठावान, विनम्र, कर्मठ, विश्वासी, आस्थावान, परोपकारी, उदार और ऊँचे विचारो वाला होता है। वह विपरीत परिस्थितियों मे भी अपने आदर्शों और विचारो से कोई समझौता नहीं करता है। 
केमद्रूम योग : यदि चन्द्रमा अकेले हो और उसके आगे-पीछे का घर भी खाली हो तो केमद्रूम योग का निर्माण होता है। घरो के खाली होने मे राहु-केतु का विचार नहीं किया जाता है अर्थात यदि चन्द्रमा के साथ या आगे-पीछे के घरो मे राहु या केतु हो तो भी केमद्रुम योग लगता है। इस योग मे जन्म लेने वाले जातक का मन अस्थिर रहता है। केमद्रुम योग का फल यह होता है कि जातक को आर्थिक प्रतिकूलता का सामना करना पड़ता है साथ हीं वैवाहिक जीवन पर अल्प प्रभाव पड़ता है। ऐसा चन्द्र यदि किसी शुभ ग्रह की राशि में हो तथा उस पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो केमद्रुम योग का प्रभाव न्युनतम होता है। यदि यह चन्द्र किसी पापग्रह की राशि मे हो तथा इस पर किसी पापग्रह की दृष्टि हो तो केमद्रुम योग का प्रभाव अधिकतम होता है। यदि इस चन्द्रमा की युति राहु या केतु के साथ हो जाये तो स्थिति और भी खराब हो जाती है। 
सातवे घर का प्रभाव :
सातवाँ घर पुरुष की जन्म कुण्डली मे पत्नी का घर और स्त्री की जन्म कुण्डली मे पति का घर होता है। सातवे घर से जीवनसाथी के प्रति प्रेम का पता चलता है। 
सातवें घर मे विभिन्न ग्रहों की स्थिति का फल : 
सूर्य : यदि सूर्य सातवें घर मे तो यह लग्न को पूर्ण दृष्टि से देखता है। सातवें घर मे सूर्य हो तो क्रोधी स्वभाव का जीवनसाथी मिलता है। 
चन्द्र : चन्द्र के सातवें घर मे होने से विभिन्न स्थितियों मे अलग-अलग फल मिलता है। यदि चन्द्रमा सातवें घर मे किसी पापग्रह कि राशि का हो तथा इस पर किसी पापग्रह की पूर्णदृष्टि या युति हो तो झगड़ालु स्वभाव का जीवनसाथी मिलता है किन्तु यदि यह किसी शुभग्रह की राशि का हो तथा इस पर किसी शुभग्रह की पूर्णदृष्टि या युति हो तो प्रेम करने वाला जीवनसाथी मिलता है। शुक्लपक्ष और कृष्णपक्ष तथा समसंख्यक और विषमसंख्यक राशियो के अनुसार चन्द्रमा की विभिन्न स्थितियों मे अलग-अलग फल होते है। 
मंगल : सातवें घर मे मंगल का होना अशुभ होता है। ऐसे मे जन्म कुण्डली प्रबल मंगली हो जाती है। मंगली होने की अन्य स्थितियों मे तो मंगल केवल पूर्ण दृष्टि से सातवें घर को देखता है किन्तु सातवें घर मे होने पर इसका सीधा अशुभ प्रभाव वैवाहिक जीवन पर पड़ता है। परिणामस्वरूप ऐसा मंगल वैवाहिक जीवन के लिये अशुभ फलदायी होता है। इस मंगल पर यदि किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि या युति हो जाये तो इसके अशुभ फलो मे और वृद्धि हो जाती है किन्तु यदि इस मंगल पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि या युति हो तो इसके अशुभ फलो मे कमी आती है। 
बुध : सातवें घर मे बुध की स्थिति से बुद्धिमान और विनम्र जीवनसाथी मिलता है। बुध जन्म लग्न पर पूर्णदृष्टि डालता है जिससे ऐसा जातक आकर्षक व्यक्तित्व का होता है। वह बहुत सोच-विचारकर प्रेम करता है। जीवनसाथी से प्रेम मिलता है। किन्तु यदि इस बुध की युति किसी पापग्रह के साथ हो जाये तो यह अशुभ फल भी दे सकता है कारण कि बुध का यह स्वभाव है कि यह जिसके साथ बैठता है उसी के अनुसार फल देता है। 
गुरु : जिसकी कुण्डली मे सातवे घर मे गुरु होता है वह अपने जीवनसाथी से बहुत प्रेम करता है। सातवें घर का गुरु सुशिक्षित, विनम्र, सुशील, बुद्धिमान, समर्पित और प्रेम करने वाला जीवनसाथी दिलाता है। किन्तु विवाह मे प्राय: विलंब होता है। यदि इस गुरु पर किसी शुभ ग्रह शुक्र, चन्द्र या बुध की दृष्टि या युति हो तो शुभ फल देता है। किन्तु यदि इस पर किसी शुभ ग्रह का प्रभाव न हो तो गुरु का यह स्वभाव है कि यह जिस घर मे होता है उस घर से संबंधित अशुभ फल देता है और जिन घरो पर पूर्ण दृष्टि डालता है उन घरो से संबंधित शुभ फल देता है अर्थात गुरु जिस घर मे हो उस घर की हानि होती है और जिन घरो पर इसकी दृष्टि पड़ती है उन घरो को लाभ होता है। गुरु अपने से पाँचवे, सातवे और नौवे घरो को पूर्ण दृष्टि से देखता है। 
शुक्र : सातवे घर का शुक्र प्रेम मे चंचल बनाता है। परिणामस्वरूप इससे कई प्रेम होने की संभावना रहती है। यह जन्म लग्न पर सातवीं पूर्ण दृष्टि डालता है जिससे जातक मिलनसार, विनोदी, बहुत लोगो से मित्रता करने वाला, सुन्दर व्यक्तित्व का, प्रसन्न मन का और प्रेम करने वाला होता है। जीवनसाथी से बहुत अच्छा प्रेम रहता है। इसके एक से अधिक विवाह होने की संभावना भी रहती है। 
शनि : यदि शनि सातवें घर मे हो तो यह वैवाहिक जीवन मे शक की स्थिति पैदा कर देता है जिससे आपस मे मनमुटाव हो सकता है। कई बार ऐसे लोगों का अपने से अधिक उम्र के लोगों से संपर्क होता है। जीवनसाथी भी अधिक उम्र का मिल सकता है। कुछ लोगों का यह मानना है कि शनि सातवें घर मे शुभ फल देता है। कुण्डली मे किसी भी घर मे शनि+राहु की युति हो तो शापित योग बनता है। शापित योग मे जन्म लेने का फल यह है कि देर से विवाह होता है साथ हीं आर्थिक आत्मनिर्भरता मे भी विलंब हो सकता है। 
राहु : राहु जिस घर मे होता है उस घर को दूषित करता है। सातवें घर का राहु घर मे कलह का कारक होता है। जीवनसाथी से अनबन रहती है। ऐसे जातक को धोखा देने वाला जीवनसाथी मिल सकता है तथा जातक स्वयं भी अपने जीवनसाथी को धोखा दे सकता है। यदि इस राहु पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो इसके अशुभ फलो मे कमी आती है। जीवनसाथी अधिक उम्र का या अलग संस्कृति का भी हो सकता है। 
केतु : सातवें घर का केतु प्रेम मे पागल बनाता है। यह वैवाहिक जीवन मे अनिश्चितता लाता है। चूँकि केतु धड़ भाग है और इसमें सोचने विचारने की शक्ति नहीं होती अत: ऐसा जातक बिना सोचे-विचारे प्रेम करने वाला होता है। केतु का यह स्वभाव है कि यह जिस घर मे होता है या जिस ग्रह के साथ युति करता है उस घर या उस ग्रह की शक्ति को बहुत बढ़ा देता है साथ हीं साथ उस घर से संबंधित फल को अनिश्चितता से भर देता है। केतु जिस घर मे हो उस घर के स्वामी की युति या पूर्णदृष्टि पा ले तो उस घर से संबंधित फल देने मे अति कर देता है। ऐसी स्थिति मे राहु जातक के पहले घर जन्म लग्न मे अर्थात तन स्थान पर तथा केतु सातवे घर अर्थात जीवनसाथी के स्थान पर होता है। चूँकि केतु राहु का आधा भाग है अत: वह अपने आधे भाग को पूरा करना चाहता है। अपने प्रेम को पूरा करने के लिये यह सभी सीमायें तोड़ सकता है। चूँकि इस पर राहु की पूर्णदृष्टि होती है और शनि, सूर्य तथा राहु अलगाववादी ग्रह माने जाते है अत: यह सामान्यत: अलगाववादी अशुभ फल देता है पर यदि इस पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि या युति हो तो यह शुभ फल भी देता है। 
इस प्रकार लग्न कुण्डली, चन्द्र कुण्डली और नवांश कुण्डली पर शुक्र, चन्द्र और अन्य ग्रहो के प्रभाव के कारण कुछ जन्म कुण्डलियाँ प्रेम करने वाली, कुछ झगड़ा करने वाली और कुछ सामान्य होती है। इसी प्रकार कुछ जन्म कुण्डलियाँ अति प्रेम और कुछ अति झगड़ा करने वाली होती है। ग्रहो की स्थिति यह तय कर देती है और विभिन्न महादशा, अंतर्दशा और प्रत्यंतर्दशा मे यह बदलती रहती है। वस्तुत: जन्म कुण्डली मे शुक्र, चन्द्र और अन्य ग्रहो की स्थिति का सही से अध्ययन कर किसी के भी प्रेम और चरित्र के बारे मे सही से जाना जा सकता है।

भारत पाकिस्तान युद्ध: ज्योतिष विश्लेषण

अंग्रेजों ने स्वतंत्रता आंदोलन के आगे नतमस्तक होते हुए १९४७ में हिन्दुस्तान को छोड़ने का निर्णेये लिया और देश को आजादी १५ अगस्त १९४७ को रात्रि १२:०२ बजे मिली। इस समय की कुंडली में बृषभ लग्न में राहु विराजमान है।  दूसरे भाव में मारक मंगल, तीसरे भाव में बुध,शुक्र,चंद्र,सूर्य और शनि पांच ग्रह इकठे बैठे हुए है। छटे भाव में गुरु और सातवें भाव में केतु विराजमान है। 
लग्न ८ अंश, सूर्य २७ अंश आत्मकारक, चंद्र ०. ४ अंश, मंगल ०. ७ अंश, बुध १३ अंश, गुरु २५ अंश, शुक्र २२ अंश,शनि २० अंश और राहु और केतु ०. ५ अंश पर बैठे है। 
पाकिस्तान युद्ध से पहले २० अक्टूबर से २१ नवंबर तक १९६२ में भारत और चीन का युद्ध हुआ था उस समय भारत की कुंडली में शनि में राहु की दशा और प्रत्यंतर सूर्य का था तो कालसर्प दोष कुंडली के कारण यह युद्ध हुआ था। शनि और सूर्ये में दुश्मनी पिता पुत्र की लड़ाई मानी गई है। 
पाकिस्तान के साथ पहला युद्ध अप्रैल से सितम्बर १९६५ में हुआ था उस समय विंशोत्तरी दशा शनि की थी, अंतर गुरु का और प्रत्यंतर राहु का था।
शनि के साथ सूर्य और चन्द्रमा की युति पिता पुत्र और माता की आपस में लड़ाई दर्शाता है। कुंडली में कालसर्प दोष होने से राहु की इस युद्ध को करवाने में अहम भूमिका रही थी। 
३ दिसंबर १९७१  से १६ दिसम्बर १९७१ में भारत और पड़ोसी देश पाकिस्तान में फिर युद्ध हुआ था।  उस समय बुध की दशा में सूर्य का अन्तर और सूर्य का ही प्रत्यंतर चल रहा था। सूर्य और शनि की कुंडली के तीसरे भाव यानि पराकर्म भाव में युति होने से पिता पुत्र की लड़ाई दर्शाता है। 
कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के साथ मई-जुलाई १९९९ में हुआ था उस समय भारत की कुंडली में शुक्र की महादशा राहु का अन्तर और राहु का ही प्रत्यंतर चल रहा था। राहु भारत की कुंडली में लग्न में बैठा होने से यह युद्ध भी कालसर्प दोष कारण हुआ था। 
आज २२ फ़रबरी २०१९ को भारत की कुंडली का अध्यन किया जाए तो चन्दमा में गुरु का अन्तर और बुध का प्रत्यंतर चल रहा है और बुध के प्रत्यंतर में युद्ध की सभावना नजर नहीं आती मगर दशा, अन्तर्दशा और  प्रत्यंतर  दशा का विचार किया जाय तो भारत पाकिस्तान में युद्ध की संभावना अगस्त से दिसम्बर २०१९ में मार्च-अप्रैल २०२० और प्रभल योग जनवरी-अप्रैल २०२१ में बनता है जब  कुंडली में चन्द्र में शनि का अंतर् और राहु का  प्रत्यंतर चलेगा। 
मेरी कर्मकांड करने वालों,ज्योतिषिओं, साधु सन्तो, मोलवीओं से अनुरोध है की परमपिता परमात्मा के आगे अरदास की जाए की युद्घ ना हो। 

Thursday, 21 February 2019

कृत्या-अभिचार, धातों अपघातों से रक्षा कैसे?

पिछले जन्मों और इस जन्म में मनुष्ये जाने अनजाने में कई पाप करता है, जिसका फल तो भोगना ही पड़ता है। गुरुबाणी में अनमोल वचन है की अगर कपड़ा या शरीर मैला हो जाए तो साबुन लगा कर धोने से गंदगी को धोया जा सकता है, अगर मन ज्यादा मैला हो जाए तो गुरु के नाम सिमरन से मन के गंदे विचारों को शुद्ध किया जा सकता है। इसी तरहे पापों के निवारण के लिए  वेदों में कई उपायों का वर्णन है। 
त्रिलोह का कड़ा: धातुऐं  जैसे  चांदी, सोना, ताम्बा  का मनुष्य जीवन पर अटूट प्रभाव पड़ता है  इनमे से सोना को सबसे उत्तम 

धातु माना जाता है  पर  सब अन्य धातुओं में कई गुण होते है।  त्रिलोह का कड़ा  जिसमे 16 भाग चांदी (Silver), 12 भाग 

ताम्बा(Copper) , 10 भाग सोना (Gold) के अनुपात  से धातुऐं डलवा कर शुक्ल पक्ष  में  रवि-पुष्ये  यां  गुरु-पुष्ये  नक्षत्र  

आने पर बनवा कर अथर्ववेद के  रक्षोहण मन्त्र  कांड 8, सूक्त 3 और 4  से अभिमंत्रित कर दाहिने  हाथ में डालने से आने वाले 

संकटों ,कष्टों , रोगों , बुरी आत्माओं  के कुप्रभाव से बचाव किया जा सकता है।  अभिमंत्रित रक्षा करण्ड  प्राप्त करने के लिए संपर्क  सूत्र  वाट्सएप्प  919417355500 

Wednesday, 20 February 2019

ज्योतिष में विवाहेतर संबंध

हिन्दू शास्त्रों में विवाह के बाद पर पुरष यां पर स्त्री से शारीरक संबंध रखना सामाजिक निमयों के विरुद्ध माना जाता है।कुंडली के अध्यन में यह महत्वपूर्ण माना जाता है की जातक किस  धर्म, देश, जाति से संबन्ध रखता है। मेरे अनुभव में आया है की जिस मनुष्य की कुंडली में निचे दिए योग हों वह हवस के वशीभूत हो कर दूसरे पुरष या औरत से नाजायज संबंध रखेंगे। 
 अगर कुंडली में शुक्र या गुरु ग्रह नीच राशिगत हो।  सूर्य बुध और राहु इकठे किसी भी भाव में हों। https://m.facebook.com/daljitastro
 बुध भाव नंबर 8 में स्त्री की कुंडली में हो। शुक्र-मंगल युति पहले, दसवे, सातवें  भाव में पुरष की कुंडली में हों। 
                स्त्री की कुंडली में लग्न का स्वामी चौथे घर में हो और बारवें भाव के स्वामी के साथ उसका संबंध बने तो औरत परपुरष से संबंध बनाती है। 7 वे घर का संबंध 5 वे और 12 वे भाव से बने तब भी ऐसा योग बनता है। 
 लालकिताब की वर्षफल कुंडली में जब शुक्र 8 वे या 10 वे भाव में आये तो परपुरष यां परस्त्री से अनुचित संबंध  बनते 
 देखे गए हैं। जितनी बार वर्षफल में सूर्य और शनि का टकराव आये तो उन वर्षों में जातक के संबंध बनते हैं।  
               पुरषों में नपुसंक योग यां स्त्री में सेक्स की इच्छा ना होना भी विवाहोतर संबंध बनने का कारण बनते है।                          जिस पुरष का शुक्र-राहु इकठे हो, शनि नंबर 7, चंद्र नंबर 1 में हो, सूर्य भाव नंबर 4 में और शुक्र 5 में हो तो नपुंसक योग बनता है।  स्त्री की कुंडली में शुक्र 2 रे यां 6 वे भाव में अकेला बैठा हो और किसी और ग्रह की उसपर दृस्टि  न हो तो औरत में ठंडापन पैदा होता है। 
             यह साधारण योग हैं इसके साथ अगर त्रिशांश, योगनी, मुंथा लग्न का विचार भी किया जाए तो सटीक फल देख़ने को मिलते है। 

Monday, 18 February 2019

Exalted Planets in Horoscope and Profession

Profession can be chosen while seeing the exalted and debilitated planets in the horoscope of a native.
  • If Sun is exalted(उच्च) then the person will be like a king, ruler, controlling and dominating all, good in writing, audit, accounts and armed forces and good in administration side.
  • Exalted Moon then respected advisor, competent and powerful minister, ambassador, see voyage, education.
  • Exalted Mars means bravery, commander in chief, army, police, paramilitary officer, managing director,  managing director, judge.
  • Exalted Mercury mens good writer, mathematician, astrologer, astronomer, accounts, investor in shares, businessman. 
  • Exalted Jupiter in horoscope denotes preacher or teacher,scholar, treasurer, aviation, law and allied profession.
  • Exalted Venus makes a person jeweller, artist, music, poetry, agriculturist, animal doctor.
  • Exalted  Saturn means timber merchant, poultry, iron merchant, engineer, builder, head of panchayat.
  • Exalted  Dragon Head/Rahu means good in spying work, jails, police, electricity.
  • Exalted dragon tail/Ketu will be good in tour and travel business,
  • Exalted Uranus in horoscope then the person will do better in professions like research scholar, teacher, lecturer, telephone, electrical department, buses, stock companies, museums.
  • Exalted Neptune: astrology, magician, philosophy, spiritual teacher, dealers in narkotics, service in hospitals, deals in chloroform, artificial silk. Contact for analysis of horoscope 91 9417355500 https://m.facebook.com/daljitastro
             These are general indications and the decision to choose profession be taken after the minute study of the horoscope. 

शुभ कार्य शुरू करने में रखे सावधानी

लालकिताब के फरमान नंबर सात में शुभ कार्य आरम्भ करने बारे कुछ नियम दिए गए है। इनमे ऐसा लिखा गया है :
प्राचीन ज्योतिष के अनुसार चतुर्थी, देसी महीने की चार तारीख, नवमी, देसी महीना की नौ तारीख, चुतर्दर्शी, देसी महीना की चौदह तारीख( चन्द्रमाँ की तिथि) को नया कार्य प्रारम्भ करने से नेक परिणाम नहीं होंगे। इन तिथिओं को शुरू किया गया कार्य पूरा नहीं होगा बल्कि बहुत देर तक दुःख तकलीफ दे कर पूरा होगा। 
       इसलिए चतुर्थी, नवमी, चुतर्दर्शी तारीखों को कोई भी नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।  ेंनवमी,

लालकिताब मुताबिक मकान के कोने और पीपल का वृक्ष

 मकान बनाना आज के युग में जरुरी है, मगर मकान बनाने के लिए  जमीन यां प्लाट का  वास्तु के हिसाब से चुनाव करना और भी महत्वपूर्ण माना जाता है।  मकान बनाने से पहले  समस्त धरती को एक ही गिनकर एक कोने से दूसरा कोना देखा जायेगा। चार कोने वाला प्लाट उत्तम होगा। जिस प्लाट का हर एक कोना 90 अंश का हो वह अच्छा माना जाता है। 
                           आठ अठारह तेहरे तीन         बीचों चूक बुझा बलहीन 
                           पांच कोण का मंदिर रचे       कहे विश्वकर्मा  कैसे बचे 
आठ कोना प्लाट शनि नंबर 8 का फल देगा अर्थात शोक की घटनाएँ या बीमारी आम होगी। तीन और तेहरे कोना प्लाट मंगल बद होगा यानि  भाई बधुओं की मोतें  और अग्नि से हानि होगी। फांसी की घटना भी  सकती है। अठारा कोना प्लाट बृइस्पति  यानि सोना चांदी का फल देगा। बीच से मछ्ली के पेट की तरहे उठा हुआ प्लाट काग रेखा का असर देगा। खानदानी नस्ल घटती जाए। 
        पांच कोना प्लाट पर मकान बनाने से संतान के सुख में कमी करेगा। शेरमुखा प्लाट जिसका अगला हिसा चौड़ा पिछला हिंसा तंग कारोबार के लिए उत्तम होगा। गऊ मुख प्लाट घर बनाने के लिए ठीक माना गया है। 
       मकान में आने जाने का मुख्य दरवाजा अगर पूर्व में हो तो अति उत्तम हर सुख मिलेगा नेक व्यक्तिओं का ऐसे घर में आना जाना लगा रहेगा। पश्चिम की तरफ हो तो दूसरे दर्जे का उत्तम असर होगा। उत्तर की तरफ मुख्य द्वार नेक असर देगा , लम्बे सफर, पाठ पूजा  और प्रभु प्राप्ति का साधन बनेगा।  भारत में दक्षिण मुख्य दरवाजा अशुभ माना जाता है  मगर कुंडली देख कर ही पता लगता है  की कितना अहितकारी होगा। अगर कुंडली में 3 भाव में शनि हो तो सबसे अशुभ  देगा। 
      दक्षिण द्वार वाले मकान मालिक अगर बकरी का दान यां बुध की सम्बन्धित वस्तुए दान दे तो बिमारिओं और धन हानि से बचाव होता रहेगा। 
      मकान के समीप या मकान की दिवार के साथ पीपल का पेड़ हो तो उस की जड़ में पानी डालते रहने से बर्बादी से बचाव होता रहेगा। घर में कीकर का पेड़ निसंतान करके छोड़ता है। बचाव के लिए तारों की छाव में लगातार 40 दिन पानी डालने से बचाव होता है 
        घर के पास अगर कुआ हो तो उसमे श्रद्धाभाव से कभी-कभी मीठा डालते रहने से नेक फल मिलता है। 
        गली का  आखरी मकान जहाँ आ कर आगे जाने का रास्ता बंद हो या ऐसा मकान जिसमे बाहर से हवा सीधे रास्ते आती हो तो ऐसा मकान बच्चों के लिए अशुभ होगा।  
        लालकिताब वास्तु के अनुसार घर का नक्शा बनवाने के लिए संपर्क करें।  Whatsapp - 919417355500

Sunday, 17 February 2019

जन्म नक्षत्र वृक्ष की सेवा के फल

अथर्ववेद में काण्ड 19 सूक्त 7 में चित्रा णीसा क़...इत्यादि मन्त्रों में नक्षत्रों के वृक्षों के बारे में बताया गया है। इन पौधों की सेवा करने से स्नान, पूजा करने से आरोग्ये, आयु, यश, सुख,ऐष्वर्य की प्राप्ति होती है। इन वृक्षों को तोड़ने, काटने, उखाड़ने, इन के पास पेशाब करने से आयु, यश घटता है। प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हे मगर एक नक्षत्र का एक वृक्ष होता है।  जिस को पूजने और सेवा करने से पापों से मुक्ति व आगे रास्ता साफ़ होता है। 
         जन्म नक्षत्र के वृक्ष के निचे बैठ कर जप,तप,सिद्धि करने से कई गुणा लाभ मिलता है।  नक्षत्रों के वृक्ष इस प्रकार हैं -

  1.  अशिवनी    नक्षत्र   का  वृक्ष है  कुचला                14. चित्रा  नक्षत्र   का  वृक्ष है बेल 
  2. भरनी  नक्षत्र   का  वृक्ष है आँवला                         15. स्वाती नक्षत्र   का  वृक्ष है अर्जुन 
  3. कृतिका नक्षत्र   का  वृक्ष है गूलर                          16. विशाखा  नक्षत्र   का  वृक्ष है बबूल 
  4. रोहिणी  नक्षत्र   का  वृक्ष है जामुन                        17. अनुराधा   नक्षत्र   का  वृक्ष है नागकेशर 
  5. मृगशिरा नक्षत्र   का  वृक्ष है खैर                            18. ज्येष्ठा   नक्षत्र   का  वृक्ष है सेमर 
  6. आर्द्रा  नक्षत्र   का  वृक्ष है अगर                             19. पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र   का  वृक्ष है बेंत 
  7. पुनर्वसु नक्षत्र   का  वृक्ष है बाँस                             20. उत्तराषाढ़ा  नक्षत्र   का  वृक्ष है कटहल 
  8. पुष्ये नक्षत्र   का  वृक्ष है पीपल                             21. श्रवण नक्षत्र   का  वृक्ष है मदार 
  9. अश्लेषा नक्षत्र   का  वृक्ष है चमेली                       22. धनिष्ठा  नक्षत्र   का  वृक्ष है शमी 
  10. मघा    नक्षत्र   का  वृक्ष है बरगद                          23. शतभिक्षा नक्षत्र   का  वृक्ष है कदम्ब 
  11. पूर्वाफाल्गुनी   नक्षत्र   का  वृक्ष है पलाश               24. पूर्वाभाद्रपद  नक्षत्र   का  वृक्ष है आम 
  12. उत्तराफाल्गुनी   नक्षत्र   का  वृक्ष है पिलखन             25.उत्तराभाद्रपद नक्षत्र   का  वृक्ष है नीम 
  13. हस्त  नक्षत्र   का  वृक्ष है जई                                 26. रेवती  नक्षत्र   का  वृक्ष है महुआ 

Saturday, 16 February 2019

Different planetary combinations (Yogas) in astrology(TESTED)


There are so many planetary combinations, which reveal the forthcoming incidents in the life of a person. Throughout three decades of experience, I found that if the following combinations are present in a person's horoscope, there are remedies that can be utilised to midget the effects of the planets. 

  1. Rich Yoga - If the ninth lord is placed in the 10th house and the 10th house lord is placed in the ninth house, then the person will be rich and lead a prosperous life.
  1. Love marriage - One possible combination is that, If lord of the 5th house and the 7th house are conjoined in in the 5th and 7th house then there will be a love marriage. If there is an evil planet situated in the 12th house, then there is a possibility to have a love marriage out of cast. 
  2. Divorce yoga - If the 7th house lord is placed in the trik houses (i.e. 6th, 8th or 12th house) and in a debilitated sign, then there will higher chances of divorce. Also, If there are evil planet aspects on the 7th house (marriage house), then there will be higher chances of divorce. 
  3. Jail yoga - If lagna lord is adversely aspected by Rahu then chances to go in jail indicated.and if the same numbers of planets are aspecting horizontally then same yoga get strengthened. There are other hundred of  planetary combinations which are helpful in analysing horoscopes.

लालकिताब में सूरज,बुध,शुक्र ग्रह मुस्तरका का फल

           

             फलादेश ग्रह मुस्तरका लालकिताब में कुंडली को देखने और जीवन का हाल बताने में मददग़ार होता है।  सारे ग्रह एक ही  खाना में बैठे होने या आठ, सात,पांच,चार,तीन,दो और एक ग्रह का कुंडली के एक भाव में स्थित होने से फलित कथन करने में मदद मिलती है। प्रेत्यक ग्रह का असर टेवा वाले पर देखने के लिए मुस्तरका और अकेले ग्रह का अध्यन करने से सही उपाय करने में मदद मिलती है। सूरज,बुध,शुक्र का कुंडली के एक हे खाना में इकठे बैठा होने से लालकिताब में लिखा गया हे की अब बुध का खाली चक्र सूरज की मदद लेकर शुक्र को बर्बाद करेगा। शुक्र से यहाँ भाव पति यां पत्नी से है। ग्रहस्थी के हालत का फैंसला अब केतु की दशा कुंडली में देख कर की जायेगी। अगर कुंडली में केतु मन्दा तो ग्रहस्थी का भी हाल मन्दा ही होगा। 
                अगर केतु उम्दा(exalted) हो तो बुध को मदद देगा मसलन केतु नंबर 12 और बुध खाना नंबर 3 में हो तो कोई मंदी हालत ना होगी। अगर तीनो ग्रह इकठे होने से केतु मन्दा तो औलाद नरीना(baby boy) होगी नहीं अगर हुई तो बुढ़ापे में होगी। 
               औरत के टेवा में अगर तीनो ग्रह इकठे तो लड़का पैदा होने पर और अगर मर्द के टेवा में तीनो ग्रह इकठा होने पर लड़की पैदा होने पर बरबादी की शुरुआत होगी। 
                मंदी हालात के वक़्त जुबान की बीमारी होने पर शनि की आशियां यानि नशे की चीजे ( alochol) लेने से मदद मिलेगी। लालकिताब में शराब का सेवन करने की मनाही हे मगर इन तीनो ग्रहों का इकठे बैठा होने से अगर जुबान की बीमारयां हों तो थोड़ी मात्रा में शराब के सेवन की बतौर दवाई के रूप में लेने की इजाजत दी गई है। 
                 सूरज, बुध और शुक्र अगर कुंडली के खाना नंबर 8 में हों तो अगर शादी बुध की उम्र 34 यां 17 साल की उम्र में हो जाये तो  तीन साल के अन्दर- अन्दर औरत की मौत दोपहर के समय बाजार में कोई हादसा होने से होगी। 
                 अगर शनि ग्रह कुंडली(horoscope) के खाना नंबर 12 में हो और तीनो ग्रह सूरज,बुध,शुक्र  खाना नंबर 3 में हो तो मकान के आखिरी हिसे में बादाम तह जमीन में दबा देने से औलाद की पैदाएश में बरकत होगी। 
                  
                  तीनो ग्रह अगर खाना नंबर 9 में मन्दा असर दे रहे तो फ़क़ीर को सात रोटी देने से मुबारिक होंगी और मदद मिलेगी। 
                अगर तीनो मुस्तरका ग्रह खाना नंबर 10 में हो तो साली का रिश्ता अपने  घर की रिश्तेदारी में हो जाय तो गैरमुबारक़ होगी। घर की बर्बादी की शुरुआत होगी। 
                   मन्दी हालत की शुरुआत घर में निवार के गोले पड़े होने से होगी जो की दादा-दादी या नाना-नानी के समय से पड़े होंगे। ऐसे  गोलों को खोल देना चाहिए या चारपाई बनवा लेनी चाहिए। बंडल घर में ना रखे यां खोल कर रखें। 
                  आमतौर पर हाथ में खालिस चाँदी का छला मुबारिक होगा। शादी में आयी रुकावटों को दूर करने के लिए ताम्बे की गागर में मूंग साबत भर कर पीतल का टांका लगवा कर शादी का संकल्प ले कर चलते पानी दरिया, नदी नाले में बहा देने से शादी की रुकावटें दूर होंगी। 
                   लालकिताब के यह उपाये इतने मददगार हैं की जीवन में आने वाली रुकावटों को दूर किया जा सकता है। मेरे 
अनुभव में देख़ने को आया है की ऊपर लिखे उपायों से शादी में आयी रुकावटों को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। मगर सही अचूक उपाये लालकिताब की पूरी जानकारी रखने वाले अनुभवी ज्योतिषी जिस को पूरा ज्ञान हो ही बता सकता है।  

Wednesday, 13 February 2019

कुंडली की आसान दुरुस्ती

लालकिताब में कुंडली (Horoscope) की दुरुस्ती(Amendment) की जा सकती है। दुरुस्ती से भाव जिन लोगो को जन्म समय का पूर्ण ज्ञान न हो उन की कुंडली को लालकिताब में दी हुई मकान कुंडली, कुंडली में आये लग्न को घुमा कर आगे और पीछे करके देखना, जैसे कुंडली बनाने पर लग्न मकर आये तो धनु और कुम्भ लग्न का फल भी जाँच लेने से कुंडली की दुरस्ती की जा सकती है। क्याफा भी लालकिताब में कुंडली दुरुस्ती का साधन है, हाथ की लकीरों द्वारा भी कुंडली की दुरुस्ती की जा सकती है।  जन्म कुंडली में अगर जन्म तारीख का पूरा पता हो और जन्म समय का ज्ञान न हो तो आसान दुरुस्ती की जा सकती है। 
          हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिला के एक व्यक्ति को जन्म के समय का पूरा ज्ञान न था, मेरे पास कुंडली का अध्यन करवाने आया। उस ने अपनी जन्म तारीख 2 मार्च 1975 बतलाई मगर जन्म समय रात का पहला प्रहर बताया।  यह रात्रि के 12 बजे से 3 बजे तक बनता है।  जब कुंडली का निर्माण 12:05 बजे रात्रि का किया तो लग्न वृश्चिक(Scorpio) आया और 2:30 सुबहे कुंडली बनाने पर धनु( Sagitarius) लग्न आया। 
         मगल-बुध मुस्तरका पहली कुंडली 12:05 सुबहे वाली कुंडली में खाना नंबर 2 और 2:30सुबहे कुंडली में खाना नंबर 3 में होने का जुदा- जुदा फल आया। नेक हालत में खाना नंबर 2 का फल लालकिताब में ऐसे लिखा गया - घर आठवां जब तक हो खाली नेक असर ही होता हो आप धनी ससुराल अमीरी-लावल्द कभी न होता हो। अगर खाना नंबर 3 में मंगल बुध मंदे हों तो-  माया हर काम में मन्दा असर दिखलावे।  दिल हमेशा बुरे कामों की तरफ चलता होगा। हाथ में लकीरों से पता चला मंगल-बुध का नेक असर नहीं मिल रहा तो 12:05 सुबहे वाली कुंडली सही साबित हुई। बुध ग्रह तीसरे भाव में आने से विद्या में रुकावट मगर ज्यादा पढ़ा लिखा ना होने पर भी पढ़े लिखों जैसा। जुबान में तुतलाहट ने हो तो इतना मन्दा असर नहीं होगा। दांतों में खराबी तो विद्या में रूकावट। 
         राहु का फल पहले भाव मेंअमूमन मन्दा असर ही देता है- सीढ़ी पर चढने वाला हाथी दौलतमन्दी की निशानी मगर सूरज बैठा होने वाले घर में ग्रहण होगा की शर्त सामने आयी। सूर्य चौथे भाव यानि सुख स्थान में बैठा होने से माता से लाभ कम और साथ में सूरज के बुर्ज पर राहु का जाल देखने से ज्ञात हुआ के राहु खाना नंबर 1 में ही होना पाया गया। पहले भाव से शारारिक सरचना बारे भी ज्ञात होता है। केतु सातवे भाव में बैठा होने से किसी को झूठा वचन नहीं देना चाहिए।  कोई सुखना(वचन कर लेना) कर के उतारा न जाना भाग्ये को ख़राब करता है। 
      मकान कुंडली से मकान के बारे में पता किया तो पाया की घर में दो गेट यां दरवाजे होने की शर्त बारे पता लगता है। या घर को दो गली लगती होंगी। जातक विदेश में रह कर नौकरी कर के वापस आ गया। प्रेम विवाह किया गया। विवाह के बाद पत्नी की सेहत पर बुरे प्रभाव पड़े। राहु की शरारतों कारण कारोबार में आमतौर पर तब्दीली होती रही। अगर लालकिताब में दिए फल व्यक्ति के पिछले समय की घटनाओं से मेल खाएं तो कुंडली की दुरस्ती की जा सकती है। 

Those who born in Sun sign Aries has some characteristics harmonious and inharmonious. These are inborn qualities of a person and if someone controls inharmonious traits then life becomes more easy and enthusiastic.
Aries harmonious qualities: They are strong willed, impulsive, temperamental, courageous, enthusiastic, active, independent, ambitious, good sportsperson , soldiers, dry sense of humour, optimistic, pioneer, leader, good doctors mainly surgeons, engineers, dentists, sailors, police and paramilitary persons.
Aries inharmonious qualities: over impulsive, restless, nervous, impatients,...