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Sunday, 9 August 2020

व्यक्ति  मशहूर ज़िंदगी का मालिक होगा अगर 

सूर्य खाना नम्बर 10 में बेठा हो ओर अनामिका उँगली तर्जनी से बड़ी हो 

Sunday, 19 July 2020

# लाल किताब अनुसार "पितर ऋण" का ग्रह कौन सा है ?
सूर्य ( जाति ऋण):- सूर्य अगर खाना नम्बर 5 में हो ओर साथ में शुक्र या पापी ग्रह बैठा हो तो नास्तिकता ओर पुराने रस्मों रिवाज का ना मानना ओर निंदा करना इस का कारण होता है।लक्षण या आम निशानी घर में अग्नि कुंड होना या मकान की छत से रोशनी की जगह होगी।
चन्द्र ( माता ऋण) :- चंद्र अगर भाव नम्बर 4 में हो ओर केतु साथ हो माता ऋण बनता  है।कारण होगा माता को दुःख देना, घर से निकाल देना। घर का गंदा पानी कुआँ , नदी, नाले में जाता होगा।
मंगल (रिश्तेदारी का ऋण) मंगल 1, 8 भाव में बुध या केतु साथ बैठा हो तो रिश्तेदारी का  ऋण बनता है।कारण होगा मित्र को धोखा या ज़हर देना, किसी की फसल में आग लगाना, पशु मरवा देना, किसी के मकान में आग लगाना।लक्षण:- रिश्तेदारों से मिलने में नफ़रत करना, त्योहार मनाने में गुरेज़ करना।
बुध(बेटी बहन का ऋण) जब बुध 3,6 में चन्द्र के साथ हो तो यह ऋण बाँटा है।कारण होगा किसी कि बहन या बेटी पर जुल्म करना।चिन्ह:- बच्चों को बेचना या गुमराह करेगा।
बृहस्पति( पिता ऋण) बृहस्पति 2, 5, 9, 12 में हो ओर शुक्र, राहु, बुध साथ में बैठा हो तो बृहस्पति ऋण बनता है।वजह:- कुल परोहित को धोखा देना होगी।लक्ष हमसाय मंदिर, पीपल को तबाह करना।
शुक्र (स्त्री ऋण) जब शुक्र 2,7 में ओर सूर्य, राहु ओर चंद्र साथ हों। वजह बच्चे को पेट में मारना या स्त्री को लालच वंश मार देना।चिन्ह:- घर में दांतों वाले जानवर रखना ओर ख़ानदानी नफ़रत करना।
शनि (जलिमाना ऋण) जब शनि 10,11 भाव में हो ओर साथ में सूर्य, चन्द्र ,मंगल साथ बेठे हों तो शनि ऋण बनता है।वजह शनि से संबंदित वस्तुएँ धोखे से लेना या जीव हत्या करना। चिन्ह:- दक्षिण दरवाज़ा, या लवलद संतान विहीन व्यक्ति से मकान लेना या ली गई जगह पर मकान बनाना।
राहु( उनजन्मे ऋण) जब राहु के साथ  सूर्य, शुक्र ओर मंगल 12 भाव में हों तो राहु पितर ऋण बनता है। ससुराल या रिश्ते दारों को धोखा देना।दरवाज़े की दहलीज़ के नीचे से पानी निकलना।चिन्ह:- दक्षिण दिवार के साथ क़ब्रिस्तान या दाने भुन्ने वाली भट्ठी होना।
केतु( दरगाही ऋण) जब केतु खाना नम्बर 6 में हो ओर चन्द्र, मंगल साथ हों। बदचलनी करना या कुते मरवाना कारण होगा। चिन्ह:- कुत्तों को मरवाना।लालच के कारण किसी का कुल ख़त्म कावा देना।

Thursday, 16 July 2020

# लाल किताब में किन घरों में ग्रह अमूमन  मंदा ओर अमूमन अच्छा होगा ?

प्रत्येक कुंडली में ग्रह का अच्छा या बुरा असर देखने के लिए ग्रह किस भाव में विराजमान है यह देखना ज़रूरी होगा।
ग्रह मुश्तरका, पक्का घर ओर उस ग्रह पर दूसरे ग्रहों का प्रभाव भी देखना होगा। 
यहाँ अमूमन से भाव आम तौर पर ऐसा होगा कोई पक्का मुक़र्रर ना होगा ।


  • बृहस्पति अमूमन 6, 7, 10 ओर 11 भाव में मंदा फल ओर 1-5, 8, 9, 12 में अमूमन अच्छा फल  होगा।
  • सूर्य 6,7,10 भाव में मंदा फल ओर भाव नम्बर 1-5, 8, 9, 11, 12 में मंदा फल होगा।
  • चंद्र 6, 8, 10-12 अमूमन मंदा ओर 1-5, 7, 9, 11, 12 में अच्छा फल।
  • शुक्र अमूमन 1,6 ओर 9 में मंदा ओर 5, 7, 8,10 से 12 अमूमन अच्छा फल।
  • मंगल 4, 8 मंदा ओर 1, 2, 5-7, 9-12 अमूमन अच्छा फल होगा।
  • बुध 3,8 -12 अमूमन मंदा ओर 1,2, 4, 5-7 अमूमन अच्छा फल।
  • शनि 1, 4-6 मंदा ओर 3, 7-12 अमूमन अच्छा फल देगा।
  • राहु 1, 5, 7-12 अमूमन मंदा ओर 3,4,6 अच्छा फल होगा।
  • केतु 3-6, 8 मंदा ओर 1, 2, 7, 9-12 अमूमन अच्छा फल होगा।

ज्योतिष रीसर्च सेंटर, होशियारपुर 

Wednesday, 15 July 2020

#विष कन्या योग क्या होता है?



जिस कन्या की कुंडली में "विष-कन्या" योग हो उसके पति को कष्ट होता है इसलिए इस योग का उपाय करना ज़रूरी होता है।
विष से भाव ज़हर से है ओर ज़हर शरीर को हमेशा हानि ही करता है।आप ने सुना होगा की ज़हर को ज़हर ही काटता है।
अगर किसी कन्या के यह योग हो तो उस के पति को मृत्यु तुल्य कष्ट होगा ओर किसी कन्या के पति की मृत्यु हो जाए तो कन्या की कुण्डली का विश्लेषण करवा कर यथा सम्भव उपाय करने चाहिएँ।
कैसे बनता है विष कन्या योग?
शनिवार, अश्लेषा नक्षत्र, और द्वितीय तिथि में तीनो जिस दिन मिले उस दिन जन्मी कन्या विष कन्या होती है 
मंगलवार विशाखा नक्षत्र और द्वादशी तिथि जिस दिन मिले, उस दिन जन्मी कन्या विष कन्या कहलाती है।
अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क Whatsapp 9417355500

#"अग्नि का वास "जान कर ही करें हवन।नहीं तो होगा फ़ायदा की जगह नुक़सान*


जिस दिन आपने होम करना हो उस दिन की तिथि ओर वार ( रविवार 1, सोमवार 2, मंगलवार 3, बुधवार 4 गुरुवार 5, शुक्रवार 6, शनिवार 7) को जोड़ कर 1 जमा कर दें फिर इस संख्या को 4 से भाग दें अगर:
 शेष 0 बचे तो अग्नि का वास पृथ्वी पर जाने।
शेष 1 बचे तो निवास आकाश पर जाने।
शेष 2 बचे तो अग्नि का वास पाताल में जाने।
शेष 3 बचे तो अग्नि का वास पृथ्वी पर जाने।
पृथ्वी पर वास यानी 0 ओर 3 बचे तो हवन करना शुभ होगा। आकाश में वास तो प्राणो को हानि होगी। पाताल में वास हो तो धन का होगा नाश।
इसलिए जब अग्नि का वास पृथ्वी पर हो तभी हवन करना शुभ होगा।

Saturday, 11 July 2020

#दान सोच समझ कर करें # लाल किताब में वर्जित दान।


बृहस्पति 7 में हो तो साधु या पुजारी को वस्त्र दान मत करें नहीं तो औलाद पर बुरा प्रभाव होगा।
चंद्रमा 12 भाव में हो धर्मोपदेश देने वाले को मुफ़्त रोटी का दान या पाठशाला में मुफ़्त पुस्तक देने की मनाही की गई है नहीं तो ऐसा व्यक्ति आप पानी को भी तरसेगा।
शुक्र 9 भाव में हो तो यतीम बच्चों को पड़ाई का वज़ीफ़ा देना या पुस्तक व पड़ाई के लिए पेसा देना व्यक्ति की आर्थिक हालत मंदा करेगा।
बृहस्पति 10 ओर चन्द्र 4 में हो तो धर्म स्थान को बनाए या बनाने के लिए पेसा दे तो झूठी तोहमत लगे।
शनि 8 वाला धर्म शाला या ऐसे मकान बनवाये जिस में मुसाफ़िर मुफ़्त आकर रहें तो आप बेघर हो जाए।
शनि 1 में ओर बृहस्पति 5 में हो तो फ़क़ीर या माँगने वाले को ताम्बे का पेसा या वस्तु मत दे नहीं तो अशुभ हो।
चंद्रमा 6 में हो तो पानी के स्रोत लगाए जिस में लोगों को मुफ़्त पानी मिले तो अपने लिए अशुभ हो।
ख़ास नियम :-उच्च के ग्रह का दान देना ओर नीच के ग्रह की वस्तुयें मुफ़्त में लेना मंदा फल देंगी।
whatsapp 9417355500 










#पड़ोसी से अच्छे या बुरे सम्बन्ध कुंडली के 12 वे भाव से देखे जाते है।


 #दिमाग़ में अचानक पैदा होने वाले विचारों का सम्बन्ध कुंडली के 12 वे भाव से होता है।जौ विचार हम ने कभी सोचे भी नहीं होते वो अचानक मन में पैदा हो जाते हैं।यह इसी घर में बेठे ग्रहों से अंदाज़ा लगता है।
12वे  घर में बेठे ग्रहों से पता लगता है कि व्यक्ति अपने भाग्य के अनुसार कितने दुःख या सुख भोगेगा,
कितना आराम या बेआरामी पाएगा।
इस घर में अच्छे ग्रह बेठे हों तो व्यक्ति  जिस को आशीर्वाद दे तो वह पूरा होने की सम्भावना होती है।
किसी को श्राप भी दे दे तो वह भी पूरा होने की सम्भावना बन जाती है।
गुरु इस घर में हो तो व्यक्ति को पाठ- पूजा से बहुत लाभ मिलता है ओर मोक्ष की प्राप्ति हो सकता है।
पड़ोसी के साथ सम्बन्ध भी इसी भाव से देखे जाते हैं।इस भाव में शनि या राहु हो तो पड़ोसी के साथ सम्बन्ध अच्छे नहीं रहते।
वेदिक ज्योतिष में इस घर को खर्चे का घर कहा गया है की कितना खर्च व्यक्ति का होगा।
रात्रि को सुख की नींद सोना या नींद ना आना (insomnia) भी इसी भाव से देखा जाता है।
बुध ग्रह 12 वे भाव में बहुत मंदा फल देता है। फ़ौलाद का बेजोड़ छल्ला धारण करने से मंदा असर कम होगा।
चन्द्र इस घर में रात की नींद ख़राब, वर्षा पानी वाला उपाय सहायक होगा।
अस्ट्रॉलॉजी रीसर्च सेंटर होशियारपुर 9417355500

Thursday, 9 July 2020

ग्यारहवाँ घर व्यक्ति के "लालच" का प्रतीक होता है।

ग्यारहवाँ घर व्यक्ति के  अंत:करण में किस हद तक "लालच " हो सकता है ओर किस तरह से दूसरों से लाभ ले सकता है बग़ैर दूसरों की परवाह किए, इस बात का प्रतीक होता है।
मकान के बाहरी हिस्से की शोभा भी देखी जा सकती है।
जिस्मानी ताक़त भी 11भाव से भी देखी जा सकती है।
अगर चंद्र या शुक्र इस भाव में हो तो वीर्य की कमजोरी दर्शाता है।
75 साल के बाद आयु का हिस्सा भी इसी भाव से देखा जाता है।
भाग्ये की ऊँचाई या किस कदर भाग्य व्यक्ति का साथ देगा इसी भाव से देखा जाता है।
यह घर आमदन का घर भी है।माता पिता की आर्थिक हालत भी इसी भाव से देखे जाते हैं।अगर अच्छे ग्रह यहाँ हों तो माता-पिता के आर्थिक हालत भी जन्म के समय ठीक होंगे।
व्यक्ति आस्तिक या नास्तिक होगा भी इस भाव से जाना जा सकता है।
शनि इस घर का कारक ग्रह है ओर किसी हद तक बृहस्पति का भी इस घर से संबंध होता है।
For further clarification WhatsApp 9417355500 

Tuesday, 7 July 2020

#दसवाँ घर "लोगों के साथ हमारा क्या सलूक होगा"दर्शाता है।


लाल किताब में दसवे भाव से दूसरे लोगों के साथ हमारा क्या सलूक होगा इस के बारे में पता चलता है।
यह घर वास्तव में क़र्मक्षेत्र  होता है। रोज़गार, व्यापार, नौकरी के बारे में इस घर से जाना जा सकता है।
इस घर में विराजमान ग्रह से इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि साथ कार्य करने वाले लोगों के साथ आप का व्यवहार केस होगा।
सेहत सम्बन्ध में" काली खांसी" इस भाव से देखी जाती है अगर पापी ग्रह इस घर में बेठे हों।
यह घर व्यक्ति के स्वभाव में चालाकी, होशियारी, दूसरों को धोखा देने बारे में बतलाता है।
इस घर का कारक ग्रह शनि है इसीलिए कीकर या बाबुल वृक्ष ओर काँटे दार पेड़ इसी घर से सम्बन्ध रखते हैं।
दसवें घर में शनि ग्रह फल का ओर बुध व केतु राशिफल के हैं।
मंगल इस घर में उच्च का होता है। अगर शनि इस घर में हो तो व्यक्ति को कार्य हमेशा चौकन्ना हो कर करना चाहिए। विस्तृत कुंडली विश्लेषण के लिए सम्पर्क 9417355500





Monday, 6 July 2020

#छटे भाव को लाल किताब में "पाताल का घर" कहते हैं।

ज्योतिष में छटे भाव से रोग ओर शत्रु भी देखे जाते हैं । लाल किताब में इस भाव से घर में तहख़ाना का सम्बन्ध, सूद पर पेसा देना, शरीर के अंदर कितनी गर्मी-सर्दी या खुश्की की मात्रा को भी इसी घर से देखा जाता है।
इस घर को बच्चों के रिस्तेदारों से भी होता है।छटे घर से रिस्तेदारों के धन के हालत का ज्ञान मिलता है।
फूलों ओर साग सब्ज़ी से इस घर का गहरा सम्बन्ध है। इस घर में सोम्य ग्रह हों तो पता लगता है की नाना ओर भांजे का घर अच्छी हालत का होगा।
सूर्य छटे भाव में हो तो जातक बहस बाज़ी करने वाला होता है ओर इस ग़लत आदत से जातक को बचना चाहिए।
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#लाल किताब में सातवाँ भाव को "मैदानी  दुनिया" कहा गया है।

पिछले जन्म में कितने पुण्य किए ओर उन पुण्यों का कितना अंश इस जन्म में साथ लेकर आएँ हैं।इस का ज्ञान भी इसी घर से होता है।
इस घर का सम्बन्ध शुक्र के साथ होने से चमड़ी के साथ भी है।अगर शुक्र यहाँ दूषित हो तो चमड़ी के रोग होने की सम्भावना रहती है।
यह घर दक्षिण-पश्चिम  दिशा को दर्शाता है। यदि इस घर में कोई शुभ ग्रह हो तो ऐसे व्यक्ति के लिए  दक्षिण-पश्चिम दिशा का मकान शुभ फल देगा।
सातवें भाव में शनि उच्च राशि का ओर सूर्य नीच राशि का फल देगा।
सूर्य 7 भाव में हो तो बदनामी मिलती है।
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Sunday, 5 July 2020

रत्नो के चमत्कार
लग्न का रत्न धारण करने से शरीर की रक्षा होती है।
पंचम भाव का रत्न धारण करने से पड़ाई ओर बच्चों से लाभ होता है।
नवम भाव का रत्न धारण करने से भाग्य उदय होता है।
योग कारक ग्रह का रत्न धारण करने से जातक का कल्याण होता है।
हमेशा दो रत्न एक ठंडा ओर दूसरा गर्म तासीर का पहनना चाहिए।
दूषित रत्न धारण करने से अच्छा है कोई भी रत्न मत धारण करें।
#पंचम भाव से देखी जाती है ईमानदारी भी।

लाल किताब अनुसार पंचम भाव औलाद, विद्या, मानसिक चेतनता की मात्रा, मन में कितनी ईमानदारी, लोगों के मन में आपके प्रति सम्मान, औलाद का मकान कैसा होगा, आध्यात्मिक प्रगति का संबंध भी इसी घर से जुड़ा है। 
व्यक्ति के भाग्य की चमक कितनी होगी यह भी पंचम भाव से देखा जाता है।
सूर्य ओर बृहस्पति इस घर में ग्रह फल के होंगे इसलिय इन का सीधा उपाय नहीं किया जा सकता किसी ओर ग्रह का सहारा लेना पड़ेगा।
पंचम में सूर्य-बुध की युति हो तो घर में पड़ी पुरानी धार्मिक पुस्तकें अगर हो तो उनको पड़ना शुरू कर देना चाहिए नहीं तो बरकत में रुकावट आएगी।
सूर्य पंचम में हो तो ऐसा बच्चा पिता के कामों से संतुष्ट ना होगा।
पंचम भाव में सोम्य ग्रह हों तो मनुष्य बुराई करते हुए डरता है।
व्यक्तिगत कुंडली विश्लेषण के लिए सम्पर्क Whatsapp 9417355500

#लाल किताब में जन्मपत्री कै चोथे घर यानी सुख भाव बारे संक्षिप्त फल।

  • कुण्डली के चोथे भाव को लाल किताब में चंद्रमा का घर कहा गया है। चंद्र इस घर मै उच्च का होता है।
  • चोथे भाव में चन्द्र ओर बृहस्पति होना शुभ फल दायक ही होता है।
  • माता पिता से क्या प्राप्त होगा ओर उनके साथ सम्बन्ध कैसे रेहेंगे? इस भाव से ही देखा जाता है।
  • मानसिक शांति का सम्बन्ध भी इसी घर से देखा जाता है।
  • चोथे घर से उम्र का दूसरा हिस्सा 25-50 साल की आयु तक का फल भी देखा जाता है।
  • दिशा के बारे में यह घर पूर्व-उत्तर दिशा का सूचक है।
  • चोथे घर में शुभ ग्रह हों तो कपड़े सम्बन्धी कार्य लैब देते हैं।
  • चोथे भाव में अशुभ ग्रह माता की मानसिक ओर शारीरिक सेहत को ख़राब करते हैं।
  • यहाँ पर शुभ ग्रह हों तो जिन फलों में रस होता है ऐसे पोधे लगाने से लाभ होता है।फलदार पोधों से भाव 
  • आम, तरबूज़, अंगूर इत्यादि।
  • यदि स्त्री की कुंडली में चोथे भाव में अशुभ ग्रह हों तो बच्चा होने के वक्त या गर्भावस्था में बुरा प्रभाव पड़ेगा।
  • चोथे भाव में चंद्रमा हो तो रात्रि मैं किए कार्य शुभ फल देते हैं।

Saturday, 4 July 2020

कुण्डली के तीसरे भाव से घर में सुख -सुविधा के सामान बारे ज्ञान मिलता है

कुण्डली के तीसरे भाव का सम्बन्ध  मकान के अंदर रखे  सुख सुविधा ओर आराम के सामान से भी है।
तीसरे भाव में शुभ ग्रह होने से व्यक्ति के घर में आराम का सामान काफ़ी मात्रा में होता है मगर शर्त यह है की  उन ग्रहों पर पापी ग्रहों का प्रभाव नहीं होना चाहिए।
तीसरे भाव में अगर अशुभ ग्रह हों तो घर में आराम के साधनों में कमी आ जाती है।
तीसरे भाव से सम्बन्ध घर में रखे हथियारों जैसे तलवार, पिस्तोल आदि।
तीसरे भाव में शुभ ग्रह होने से तेज धार ओर टूटे  हथियारों को घर में मत रखें।
यहाँ शुभ ग्रह होने से घर में फलों वाले पेड़ शुभ फल दायक होते हैं।
तीसरे भाव में अशुभ ग्रह हों तो फलदार पोधे  लगाने अशुभ फल ही देंगे।

Monday, 29 June 2020

ध्यान से पड़े ओर अमल करें । कर भला तो हो भला ।
चातुर्मास्य व्रत की महिमा

01 जुलाई 2020 बुधवार से 26 नवम्बर 2020 गुरुवार तक चातुर्मास है।
(1)आषाढ़ के शुक्ल पक्ष में एकादशी के दिन उपवास करके मनुष्य भक्तिपूर्वक चातुर्मास्य व्रत प्रारंभ करे। एक हजार अश्वमेघ यज्ञ करके मनुष्य जिस फल को पाता है, वही चातुर्मास्य व्रत के अनुष्ठान से प्राप्त कर लेता है।*
(2)इन चार महीनों में ब्रह्मचर्य का पालन, त्याग, पत्तल पर भोजन, उपवास, मौन, जप, ध्यान, स्नान, दान, पुण्य आदि विशेष लाभप्रद होते हैं।*
(3) व्रतों में सबसे उत्तम व्रत है – ब्रह्मचर्य का पालन। ब्रह्मचर्य तपस्या का सार है और महान फल देने वाला है। ब्रह्मचर्य से बढ़कर धर्म का उत्तम साधन दूसरा नहीं है। विशेषतः चतुर्मास में यह व्रत संसार में अधिक गुणकारक है।*
(4)मनुष्य सदा प्रिय वस्तु की इच्छा करता है। जो चतुर्मास में अपने प्रिय भोगों का श्रद्धा एवं प्रयत्नपूर्वक त्याग करता है, उसकी त्यागी हुई वे वस्तुएँ उसे अक्षय रूप में प्राप्त होती हैं। चतुर्मास में गुड़ का त्याग करने से मनुष्य को मधुरता की प्राप्ति होती है। ताम्बूल का त्याग करने से मनुष्य भोग-सामग्री से सम्पन्न होता है और उसका कंठ सुरीला होता है। दही छोड़ने वाले मनुष्य को गोलोक मिलता है। नमक छोड़ने वाले के सभी पूर्तकर्म (परोपकार एवं धर्म सम्बन्धी कार्य) सफल होते हैं। जो मौनव्रत धारण करता है उसकी आज्ञा का कोई उल्लंघन नहीं करता।*
(5)चतुर्मास में काले एवं नीले रंग के वस्त्र त्याग देने चाहिए। नीले वस्त्र को देखने से जो दोष लगता है उसकी शुद्धि भगवान सूर्यनारायण के दर्शन से होती है। कुसुम्भ (लाल) रंग व केसर का भी त्याग कर देना चाहिए।*
(6)आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रीहरि के योगनिद्रा में प्रवृत्त हो जाने पर मनुष्य चार मास अर्थात् कार्तिक की पूर्णिमा तक भूमि पर शयन करें । ऐसा करने वाला मनुष्य बहुत से धन से युक्त होता और विमान प्राप्त करता है, बिना माँगे स्वतः प्राप्त हुए अन्न का भोजन करने से बावली और कुआँ बनवाने का फल प्राप्त होता है। जो भगवान जनार्दन के शयन करने पर शहद का सेवन करता है, उसे महान पाप लगता है। चतुर्मास में अनार, नींबू, नारियल तथा मिर्च, उड़द और चने का भी त्याग करें । जो प्राणियों की हिंसा त्याग कर द्रोह छोड़ देता है, वह भी पूर्वोक्त पुण्य का भागी होता है।
(7)चातुर्मास्य में परनिंदा का विशेष रूप से त्याग करें । परनिंदा को सुनने वाला भी पापी होता है।*
(8)परनिंदा महापापं परनिंदा महाभयं।*
*परनिंदा महद् दुःखं न तस्याः पातकं परम्।।*
(9)परनिंदा महान पाप है, परनिंदा महान भय है, परनिंदा महान दुःख है और पर निंदा से बढ़कर दूसरा कोई पातक नहीं है।’(स्कं. पु. ब्रा. चा. मा. 4.25)
(11)चतुर्मास में ताँबे के पात्र में भोजन विशेष रूप से त्याज्य है। काँसे के बर्तनों का त्याग करके मनुष्य अन्य धातुओं के पात्रों का उपयोग करे। अगर कोई धातुपात्रों का भी त्याग करके पलाशपत्र, मदारपत्र या वटपत्र की पत्तल में भोजन करे तो इसका अनुपम फल बताया गया है। अन्य किसी प्रकार का पात्र न मिलने पर मिट्टी का पात्र ही उत्तम है अथवा स्वयं ही पलाश के पत्ते लाकर उनकी पत्तल बनाये और उससे भोजन-पात्र का कार्य ले। पलाश के पत्तों से बनी पत्तल में किया गया भोजन चन्द्रायण व्रत एवं एकादशी व्रत के समान पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है।*
(12)प्रतिदिन एक समय भोजन करने वाला पुरुष अग्निष्टोम यज्ञ के फल का भागी होता है। पंचगव्य सेवन करने वाले मनुष्य को चन्द्रायण व्रत का फल मिलता है। यदि धीर पुरुष चतुर्मास में नित्य परिमित अन्न का भोजन करता है तो उसके सब पातकों का नाश हो जाता है और वह वैकुण्ठ धाम को पाता है। चतुर्मास में केवल एक ही अन्न का भोजन करने वाला मनुष्य रोगी नहीं होता।*
(13)जो मनुष्य चतुर्मास में केवल दूध पीकर अथवा फल खाकर रहता है, उसके सहस्रों पाप तत्काल विलीन हो जाते हैं।

Wednesday, 17 June 2020


लाल किताब नियम 'टकराव के ग्रह' ओर 'बुनियादी ग्रह'।व्याकरण 
टकराव के ग्रह 
लाल किताब में फलादेश के लिए टकराव के ग्रह को समझना बहुत ज़रूरी है।जन्म कुंडली में या वर्ष फल में जब एक ग्रह से दूसरा छटे-आठवें स्थान पर हो तो उन में टकराव हो जाता है।यह ग्रह आपस में मित्र भी हों तब भी आपस में दुश्मनी ही करेंगे।मानो एक ग्रह भाव 1 में हो तो दूसरा 8 भाव में आ जाए तो पहले भाव में बेठ ग्रह आठवें वाले ग्रह की जड़ ही काट देगा।यानी आठवें घर में बेठे ग्रह के लिए अशुभ ही होगा।मगर आठवें भाव वाला ग्रह पहले वाले ग्रह पर कोई असर ना डालेंगे।किसी भी कुंडली का टकराव के ग्रह को ध्यान में रख कर फलादेश करने से सटीक फल मिलतें हैं।
बुनियादी ग्रह
जब एक ग्रह दूसरे से नवम-पंचम में हो तो ऐसे ग्रह चाहे शत्रु हों या मित्र एक दूसरे के सहायक ही होते हैं।वर्ष कुंडली में 1-5,  2-6 ,3-7 ,4-8 ,5-9 ,6-10 , 7-11 , 8-12 में बेठे ग्रह का सहायक ही होगा।

Tuesday, 19 May 2020

उपरत्नों का प्रयोग ओर विशेष गुण


रोगों में इन उप रत्नो को शुभ महूरत में धारण करने से लाभ होता देखा गया है।

सुनेला - गले के रोग, ज्वर, मासिकधर्म, नपुंसकता, दांत कस्ट में लाभ होता है

चंद्रकांत मनी- स्मृति, मानसिक शांति, अनिद्रा, दिल के रोग में लाभ होगा।फ़िरोजा - आने वाले गम्भीर ख़तरों से रक्षा करता है।कामशक्ति में वृद्दि  करता है।ओपल - स्मरण शक्ति में वृद्दि करता है।दानाफिरेगा- गुर्दे के रोगों को दूर करता है।लाजवर्द - चर्म रोगों में उपयोगी है। 

Sunday, 17 May 2020

नाबालिग़(MINOR) टेवा क्या होता हाँ?

नाबालिग़(MINOR) टेवा उसे कहते हेन जब बन्ध मुठी के खाने यानी केंद्र भाव 1,4,7,10 खाना ख़ाली हों या उन में पापी ग्रह शनि, राहु ओर केतु ही हों या अकेला बुध ही हो तो यह कुंडली नाबालिग़ टेवा होगा। बच्चे की क़िस्मत का हाल बारह साल की उम्र तक शक्की ही होगा ।
लाल किताब का यह असूल हाँ की ऐसे टेवा में पहले साल में सातवें भाव के ग्रह का असर, दूसरे साल में चोथे भाव के ग्रह का, तीसरे साल में नोवे खाना के ग्रह का,चोथे साल में दसवें, पाँचवें साल में ग्यारहवें, छटे साल में तीसरे, सातवें साल में दूसरे खाना में बेठे ग्रह का,आठवें साल में पाँचवें भाव में बेठे ग्रह का,नोवें साल में छटे भाव में बेठे ग्रह का, दसवें साल उम्र में बाहरवें भाव में बेठे ग्रह का, 11वे साल की उम्र में पहले घर के ग्रह का, 12वें साल उम्र में आठवें घर में बेठे ग्रह का उपाय करना होगा।
जो खाना ख़ाली हाँ उस की राशि के स्वामी ग्रह का उपाय करना होगा।

Thursday, 7 May 2020

आंख फड़कने का फल

दाहिनी आंख या भौहँ फड़के तो सब अभिलाषा पूर्ण होती है। बाईं आंख या भौहँ फड़के तो शुभ समाचार मिले। दाईं आंख के ऊपर की पलक फड़कती है तो धन कीर्ति आदि की वृद्धि होती है। नीचे की पलक फड़के तो अशुभ समाचार मिले।
बाईं ऑंख की ऊपरी पलक फड़कती है तो किसी दुश्मन से अधिक दुश्मनी हो सकती है। नीचे की पलक फड़कती है तो किसी से बेवजह बहस हो सकती है और अपमानित होना पढ़ सकता है। बाईं आँख की नाक की ओर का कोना फड़कता है तो शुभ होता है ,पुत्र प्राप्ति की सूचना मिल सकती है या किसी प्रिय व्यक्ति से मुलाकात हो सकती है।
पुरुष की दाईं आँख फड़कना शुभ फल देता है ,मगर स्त्री की दाईं आँख फड़कना अशुभ माना जाता है।
दोनों आँखें अगर एक साथ फड़कती हैं तो औरत और पुरष दोनों के लिए शुभ होता है। 


Monday, 4 May 2020

लाल किताब में किस रंग का पेन करता है उपाय ?


कुण्डली में बुध-शनि मुश्तरका का फल उम्दा  होगा अगर गुरु मन्दा न हो और पेन नया पास रखें , जब तक पेन में रुकावट ना आये तब तक सब बढ़िया रहे। 

मंगल-गुरु इकठे उत्तम असर हर तरफ से बढ़िया पीला रंग इस्तेमाल करें।
कुण्डली में बुध उत्तम तो विधाता की तालीम और अगर बुध-राहु उच्च तो सफेद हाथी निहायत उत्तम अगर नीच मसलन बुध 3 , 8 , 9 ,12 और राहु 1 , 5 ,7  ,8 ,11 तो जेलखाना या पागल खाना हर तरफ से मन्दा हरे रंग की कलम का इस्तेमाल करें।
मंगल-बुध शेर के दांत मगर शहद में रेत की तरह हरे रंग की कलम मुबारिक।
बुध उत्तम, बुध राहु शक्की, सूर्य-बुध उत्तम दो रंगी कलम जिस में लाल रंग शामिल हो।
मगल-केतु अगर कुण्डली में मनहूस तो लाल रंग का इस्तेमाल मत करें।


Monday, 20 April 2020

पर्वत योग
जन्मपत्री में जब सप्तम और अष्ठम में कोई ग्रह न हो और लग्नेश, व्ययेश केंद्र भाव में हों तो व्यक्ति अनुभवी राजनेता या उच्च पदवी प्राप्त करता है। 

Thursday, 9 April 2020

कब होगा अन्त कोरोना का कहर ? ज्योतिष विश्लेषण

अगर ख़बरों की माने तो कोरोना वायरस का पहला मरीज नवम्बर 17, 2019 को चीन के वुहान शहर में मिला था। इस दिन की कुण्डली में धनु लग्न और मिथुन राशि थी लग्न में ब्रहस्पति-शनि-प्लूटो की युति और सप्तम में चन्द्रमा-राहु की युति यानि ग्रहण। मंगल-बुध एकादश भाव में और सूर्य-शुक्र बारवें भाव में विराजमान है।इस कुण्डली में तक्षक नामक  कालसर्प योग बन रहा है। धनु लग्न की कुंडली में धन भाव, सप्तम और अष्टम के स्वामी शनि, बुध और चन्द्र ग्रह मारक प्रभाव भी देते हैं। केन्द्र में गुरु केन्द्राधिपति दोष से ग्रसित है।
28 नवम्बर 2019 तक  ब्रहस्पति-बुध-चन्द्र दशा चल रही थी सप्तम और अष्ठम इस कुण्डली में मारक ग्रह हैं।
15 जनवरी 2020 तक ब्रहस्पति-बुध-मंगल प्रत्यंतर दशा मंगल व्यय भाव और अग्नि का स्वामी इस लिए प्रभाव तेजी से शुरू हुआ।
 18 मई 2020 तक ब्रहस्पति-बुध-राहु  प्रत्यंतर दशा में प्रभाव ज्यादा रहे।
इस दशा के बाद स्थिति सामान्य होगी क्योंकि ब्रहस्पति-बुध- ब्रहस्पति प्रत्यंतर दशा में प्रभाव खत्म होना शुरू होगा। 

Saturday, 4 April 2020

प्रात:काल अपनी हथेलिओं का तीन बार दर्शन क्यों पुण्यदायक माना जाता है ?

सामुंद्रिकशास्त्र में वर्णन है की प्रात:काल अपनी हथेलिओं का दर्शन पुण्यदायक, मंगलप्रद, तथा कई तीर्थों के दर्शन सामान है। सुबह अपनी दोनों हथेलिओं  मातृरेखा, पितृरेखा, और आयुरेखा क्रमश गंगा, यमुना और सरस्वती त्रिवेणी दर्शन हो जाता है। इसलिए सुबहे उठकर बिस्तर पर ही हथेलिओं को तीन बार चूमे जिससे पितृरेखा के स्वामी ब्रह्मा, मातृरेखा के स्वामी विष्णु, आयुरेखा के स्वामी शिव है।हाथ की चारों दिशाओं को इन्द्र, यम, वरुण, कुबेर का प्रतीक माना गया है। सुबह दिन का पहला काम जब सब देवताओं को अपनी हथेलिओं पर देखना और चूमना होता है तो सा देवता खुश हो कर आशीर्वाद देतें हैं।  

Thursday, 2 April 2020

ज्योतिष और भारतीय शेयर बाजार 2020-21

ज्योतिष में शेयर बाजार से  लाभ या हानि को देखने के लिए जन्मपत्री के धन भाव(Money), सुत भाव(Share market, lottery), अष्ठम(Sudden gain or loss) एकादश(Profit) और द्वादश(Expenditure) और बुध, सूर्य, राहु, चंद्र और दशमांश से विचार किया जाना चाहिए।चन्द्र ग्रह अगर कुण्डली में कमजोर हो या कृष्ण-पक्ष का जन्म हो तो शेयर मार्किट से ज्यादा लाभ नहीं होता। जन्मपत्री और वर्षफल में अगर 2, 7, 11 वे  भाव का स्वामी त्रिक भावों 6, 8, 12 में हो तो लाभ की जगह हानि की सम्भावना ज्यादा होगी। 
जन्मपत्री में 2 , 5 और 11 भाव का आपस में सम्बन्ध हो तो शेयर बाजार से लाभ हो सकता है। 
2 और 5 वे भाव के स्वामी आपस में राशि परिवर्तन करें तो भी शेयर बाजार से लाभ होता देखा जाता है। 
भारत की आजादी 15 अगस्त 1947 को हुई थी।  आजादी के वक्त की कुंडली में वृष लग्न था और लग्न में राहु, सप्तम में केतु, धन भाव में मिथुन का मंगल, पराक्रम भाव में सूर्य,चंद्र,शुक्र,शनि, बुध पांच ग्रह और छटे घर में गुरु विराजमान हैं। 
राहु 23 सितम्बर  2020 से मिथुन राशि से वृष में आयेगा। आज भारत वर्ष की कुण्डली में धन भाव में बैठा है जिससे शेयर बाजार में गिरावट रहेगी तथा वृष राशि में होने से उतार-चढ़ाव होते रहेंगे। 
राहु जब भारत वर्ष कुण्डली में 12 वे स्थान पर आये तो भी शेयर बाजार में मजबूती नहीं आएगी। सोच समझ कर निवेश करें। 
राहु गोचर में 30 अक्टूबर 2023 को मीन में आने पर भारत वर्ष की कुण्डली में आने से निवेशकों को कुछ लाभ होना शुरू होगा। 
राहु ग्रह मिथुन और वृष राशि में होए से E,U, A, O, V, K, H, R,S, T अक्षर से शुरू नाम की कंपनियों में निवेश करने से लाभ होगा।जिन देशों के नाम का पहला अक्षर इन नामों से शुरू होता है वहाँ इतनी गिरावट नहीं होगी। 
यह ज्योतिषीय गणना है इसलिए निवेश करने से पहले अपनी जन्मपत्री  किसी ज्योतिषी को दिखा कर परामर्श कर लें। 

Saturday, 28 March 2020

आचार्य बृहस्पति द्वारा महामारी से बचाव बताया गया है

आचार्य बृहस्पति द्वारा रचित महूर्तशास्त्र के 27 वें अध्याय में विभिन्न महामारियों ग्रहपीड़ाजन्य विकारों के दोषों की निवृति के लिए मातृकाब्रह्माणी, इन्द्रिणी, वाराही, वैष्णीवी, महाश्वेरी, कौमारी तथा रौद्र-चामुण्डा  शान्ति बताई गई है। विद्वान जन इन मातृकाओं की शांति का विधान कर के महामारी से बचाव कर सकतें है। 

Friday, 27 March 2020

कोरोना (CORONA VIRUS) कहर से बचाव कब ?


कोरोना CORONA VIRUS) कहर और ज्योतिष विश्लेषण  करने से पहले यह जानना जरुरी है की किस किस ग्रह के कारण दुनिया पर इस का कहर हुआ। रहस्यमय बीमारयों जो virus or bacteria के कारण फैलती हैं,के बारे में राहु और केतु को मूल कारण मन जाता है।  पुरातन कथा के अनुसार राहु वेश बदल कर अमृतपान करने देवताओं के साथ बैठ गया था। Jupiter गुरु को जीवन का कारक भी माना जाता है। जब राहु और केतु का प्रभाव बृहस्पति पर बुरा पड़ेगा तब ही रहस्य मय बीमारयां फैलती हैं। केतु बड़ा ही रहस्यमय(Mysterious) छाया ग्रह है और :
मार्च 2019 को बृहस्पति और केतु की युति गोचर में बनी और इसी से यह संक्रामक रोग फैला। 
दिसंबर 2019 को सूर्य ग्रहण और कुछ ग्रह वक्री होने से यह संक्रामक रोग  तेज़ी से फैला। ( ग्रहण के बाद आमतौर पर कुदरती आपदा भूकंप , मार काट , महामारी आदि देखने में आती है )
मार्च 2020 को केतु से अलग हो कर बृहस्पति नीच राशि मकर में चला जायेगा जिस से कोरोना कहर से बचाव होना शुरू हो जायेगा। 
अप्रैल 2020को सूर्य मेष राशि में जाने से शोध कर्ताओं  को इस बीमारी से बचाव की दवाई की खोज में मदद मिलेगी। 
राहु आद्रा नक्षत्र में होने से ज्यादा शक्तिशाली होगा मगर इस नक्षत्र के मध्य से (अप्रैल 15,2020) से राहु का असर और ताकत कम होनी शुरू हो जायेगी  जिस से इस रोग का प्रकोप ख़त्म होना शुरू होगा। 
बचाव के लिए सूर्य को बल दे जिस से राहु और केट का प्रकोप घटेगा।  गायत्री मन्त्र ,सूर्य जप और अपने धर्म के देवी देवता के जाप से राहत मिलेगी। इसके साथ सरकार द्वारा दी गईं हिदायतों का सख्ती से पालन करें। किसी भी वास्तु को छूने के बाद साबुन से हाथ धोए। दूसरे लोगों से फासला बनाये रखें। मास्क पहने। 

Wednesday, 25 March 2020

अथर्वेदीए प्रयोग


व्याधियों को दूर करने के लिए जप, जलावसेचन , उपस्थान, हवन , रक्षाकरण्ड , मणिबंधन विधान अथर्ववेद में बताये गए हैं जिसे ब्रह्माग्रह ,प्रेतग्रह , पिशाच ग्रह आदि से पैदा भय उन्माद आदि,-व्याधि के निवारण के लिए सदाबहार के पुष्प शं  नो देवी पृश्निपर्णी अंक २ /२५ तथा ४/३६ से अभिमंत्रित कर ताम्बे के तावीज़ में पहनाने के बाद आ पश्यति ४/२० से जलवसचेन करने से बाधा निवारण होता है 

Tuesday, 24 March 2020

बृहत्पाराशरहोराशास्त्र ज्योतिषशास्त्र का विशेष उपयोगी ग्रन्थ है। ज्योतिष का ज्ञान इस को पड़े बिना अधूरा ही रहेगा। 

इसके पूर्वार्ध में 39 तथा उत्तरार्ध में 19 अध्याय हैं ग्रहरूपी जनार्दन ही जीवों के कर्मफल देने वाले हैं। सूर्य का रामावतार,चन्द्रमा का कृष्णावतार, मंगल नर्सिंहावतार, बुध का बौद्धावतार,बृहस्पति का वामन,शुक्र का परसुराम,शनि का कूर्म ,राहु का वराहावतार, केतु मत्स्यावतार हुआ।  विष्णु ही काल रूप जनार्दन हैं। कालरूप पुरष के अंग ही 12 राशियां है। सूर्य को आत्मा, चंद्र को मन, मंगल को सत्त्व,बुध को वाणी, गुरु को ज्ञान का सुख, शुक्र को बल, शनि को दुःख का प्रितिनिधि बताया गया है। आचार्य पराशर ने 16 प्रकार से कुंडली के निर्माण में ग्रह,होरा,द्रेष्कोण,चतुथार्श,सप्तमांश, नवांश, दशमांश, त्रिशांश,,,,, इत्यादि। आरूढ़ लग्न उपपद लग्न मारकेश का विचार इस शास्त्र में हुआ है। गजकेसरी, पारिजात, सुनफा, अनफा ,दुरुधरा, केमन्द्रम, धनप्राप्ति और राजयोगों का वर्णन है। ग्रहों की जाग्रत,स्वप्न और सुषुप्तावस्था होती है। 

Thursday, 6 February 2020

                   

ग्रह योग और आध्यात्मिक जीवन 

जन्म पत्री में दशम भाव में बुध या मंगल मीन राशि में हो तो व्यक्ति प्रभु कृपा से पवित्र जीवन व्यतीत करता है। दशमाधिपति नवम भाव में हो और बलि नवमेश गुरु और शुक्र ग्रह से दृष्ट हो या युत हो तो जातक प्रभु कृपा प्राप्त करता है। यदि लग्नेश दशम भाव में और दशमेश नवम स्थान में शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो ऐसे जातक को भगवान कृपा प्राप्त हो जाती है। 
जन्म कुण्डली में शनि और मंगल के अन्तर्गत  सभी ग्रह हों तो ऐसा व्यक्ति भगवान कृपा के साथ विश्वमें ख्याति भी अर्जित करता है। 

Thursday, 30 January 2020

शनि का जन्म कुण्डली के सातवें भाव में होने से दश महा विद्या भगवती काली, तारा देवी , भुवनेश्वरी, बगला मुखी...की सिद्धि करना बहुत आसान होता है। दस महाविद्या में दस देवियों को उत्तर, पूर्व, दक्षिण और पश्चिम दिशा का द्योतक माना है। 

Tuesday, 21 January 2020

व्यापार और धन वृद्धि कैसे होगी ?

            💰श्रुति गुन कर गुन पु जुग मृग हय रेवती सखाउ। 
             देहि लेही धन धरनि धरु गएहुँ न जाएहि काउ।💰 

🕴श्रवण, धनिष्ठा, शत भिष, हस्त, चित्रा, स्वाति, पुष्य, पुनर्वसु , मृगशिरा , अश्वनी, रेवती और अनुराधा नक्षत्र में शुरू किया व्यापार एवं दिया धन चौगुना लाभ देता है।  किसी भी कारण से धन डूबता नहीं।🕴  

Thursday, 16 January 2020

♐धनु राशि में गुरु का गोचर 25 मार्च से 29 मार्च और 30 जून से 19 नवम्बर 2020 तक मेष, सिंह, वृश्चिक, कुम्भ राशि को धन💰, इज्जत मान देगा। 











Wednesday, 8 January 2020

🌗सूर्य या चन्द्रमा ग्रहण में मन्त्र, जंतर या तन्त्र की सिद्धि की कोशिश मत करें। सिर्फ और सिर्फ अपने गुरु या इष्ट देवता का जप ही करें।🌒


चन्द्र ग्रहण 10 जनवरी 2020 रात्रि में अपने गुरु या ईस्ट देवता का मन्त्र जप करने से ग्रहण के दोष से मुक्ति मिलती है।सूर्य या चन्द्रमा ग्रहण का भाव दूसरे ज्योति-पिंड के प्रकाश की वह रुकावट जो उस पिंड के सामने किसी दूसरे पिंड के आ जाने से होती है। अगर चन्द्र या सूर्य को जब रुकावट पैदा हो रही हो तो उस समय कैसे कोई मन्त्र सिद्ध किया जा सकता है ? मुझे यह धारणा मिथ्या लगती  है की सूर्य या चन्द्रमा को ग्रहण लगा हो और उस समय किसी भी मन्त्र, जंत्र या तन्त्र को सिद्ध किया जा सकता है। पुरातन ग्रन्थों में स्वार्थ सिद्ध योग, रवि या गुरु पुष्य योग और क्रांति साम्य काल आने पर किसी भी मन्त्र जंतर की सिद्धि का वर्णन किया है। जब सूर्य और चन्द्रमा को ग्रहण लगा हो या रुकावट आई हो  तो ऐसे समय में कैसे सिद्धि प्राप्त करने के बारे कहा जा सकता है। जब कोई रुकावट या मुश्किल आए तो प्रभु सुमरिन या इष्ट देवता का जप ही करना चाहिए और कुछ नहीं । 

Tuesday, 7 January 2020

ज्योतिष की महिमा


चीनी ज्योतिषयों  ने 4 जुलाई 1054 को वृष राशि तारामंडल में हुए विस्फोट के बारे में जानकारी हासिल की थी जिसे अब 1000 साल बाद वैज्ञानिकों ने (Crab nebula is a supernova in  constellation of Taurus) सत्य माना है। इस से माना जा सकता है की कई बार ज्योतिष में  विज्ञानं से पहले खोज की गई है। 

Saturday, 4 January 2020

पेनुम्ब्रेल चन्द्र ग्रहण जनवरी 10-11, 2020 10 :37 P M से 00 :40 में शनि चन्द्र ,
 चन्द्र राहु , केमन्द्रम योग वाले नारियल बादाम जल प्रवाह करें।