# लाल किताब अनुसार "पितर ऋण" का ग्रह कौन सा है ?
सूर्य ( जाति ऋण):- सूर्य अगर खाना नम्बर 5 में हो ओर साथ में शुक्र या पापी ग्रह बैठा हो तो नास्तिकता ओर पुराने रस्मों रिवाज का ना मानना ओर निंदा करना इस का कारण होता है।लक्षण या आम निशानी घर में अग्नि कुंड होना या मकान की छत से रोशनी की जगह होगी।
चन्द्र ( माता ऋण) :- चंद्र अगर भाव नम्बर 4 में हो ओर केतु साथ हो माता ऋण बनता है।कारण होगा माता को दुःख देना, घर से निकाल देना। घर का गंदा पानी कुआँ , नदी, नाले में जाता होगा।
मंगल (रिश्तेदारी का ऋण) मंगल 1, 8 भाव में बुध या केतु साथ बैठा हो तो रिश्तेदारी का ऋण बनता है।कारण होगा मित्र को धोखा या ज़हर देना, किसी की फसल में आग लगाना, पशु मरवा देना, किसी के मकान में आग लगाना।लक्षण:- रिश्तेदारों से मिलने में नफ़रत करना, त्योहार मनाने में गुरेज़ करना।
बुध(बेटी बहन का ऋण) जब बुध 3,6 में चन्द्र के साथ हो तो यह ऋण बाँटा है।कारण होगा किसी कि बहन या बेटी पर जुल्म करना।चिन्ह:- बच्चों को बेचना या गुमराह करेगा।
बृहस्पति( पिता ऋण) बृहस्पति 2, 5, 9, 12 में हो ओर शुक्र, राहु, बुध साथ में बैठा हो तो बृहस्पति ऋण बनता है।वजह:- कुल परोहित को धोखा देना होगी।लक्ष हमसाय मंदिर, पीपल को तबाह करना।
शुक्र (स्त्री ऋण) जब शुक्र 2,7 में ओर सूर्य, राहु ओर चंद्र साथ हों। वजह बच्चे को पेट में मारना या स्त्री को लालच वंश मार देना।चिन्ह:- घर में दांतों वाले जानवर रखना ओर ख़ानदानी नफ़रत करना।
शनि (जलिमाना ऋण) जब शनि 10,11 भाव में हो ओर साथ में सूर्य, चन्द्र ,मंगल साथ बेठे हों तो शनि ऋण बनता है।वजह शनि से संबंदित वस्तुएँ धोखे से लेना या जीव हत्या करना। चिन्ह:- दक्षिण दरवाज़ा, या लवलद संतान विहीन व्यक्ति से मकान लेना या ली गई जगह पर मकान बनाना।
राहु( उनजन्मे ऋण) जब राहु के साथ सूर्य, शुक्र ओर मंगल 12 भाव में हों तो राहु पितर ऋण बनता है। ससुराल या रिश्ते दारों को धोखा देना।दरवाज़े की दहलीज़ के नीचे से पानी निकलना।चिन्ह:- दक्षिण दिवार के साथ क़ब्रिस्तान या दाने भुन्ने वाली भट्ठी होना।
केतु( दरगाही ऋण) जब केतु खाना नम्बर 6 में हो ओर चन्द्र, मंगल साथ हों। बदचलनी करना या कुते मरवाना कारण होगा। चिन्ह:- कुत्तों को मरवाना।लालच के कारण किसी का कुल ख़त्म कावा देना।