सामुंद्रिकशास्त्र में वर्णन है की प्रात:काल अपनी हथेलिओं का दर्शन पुण्यदायक, मंगलप्रद, तथा कई तीर्थों के दर्शन सामान है। सुबह अपनी दोनों हथेलिओं मातृरेखा, पितृरेखा, और आयुरेखा क्रमश गंगा, यमुना और सरस्वती त्रिवेणी दर्शन हो जाता है। इसलिए सुबहे उठकर बिस्तर पर ही हथेलिओं को तीन बार चूमे जिससे पितृरेखा के स्वामी ब्रह्मा, मातृरेखा के स्वामी विष्णु, आयुरेखा के स्वामी शिव है।हाथ की चारों दिशाओं को इन्द्र, यम, वरुण, कुबेर का प्रतीक माना गया है। सुबह दिन का पहला काम जब सब देवताओं को अपनी हथेलिओं पर देखना और चूमना होता है तो सा देवता खुश हो कर आशीर्वाद देतें हैं।
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