आचार्य बृहस्पति द्वारा रचित महूर्तशास्त्र के 27 वें अध्याय में विभिन्न महामारियों ग्रहपीड़ाजन्य विकारों के दोषों की निवृति के लिए मातृकाब्रह्माणी, इन्द्रिणी, वाराही, वैष्णीवी, महाश्वेरी, कौमारी तथा रौद्र-चामुण्डा शान्ति बताई गई है। विद्वान जन इन मातृकाओं की शांति का विधान कर के महामारी से बचाव कर सकतें है।
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