व्याधियों को दूर करने के लिए जप, जलावसेचन , उपस्थान, हवन , रक्षाकरण्ड , मणिबंधन विधान अथर्ववेद में बताये गए हैं जिसे ब्रह्माग्रह ,प्रेतग्रह , पिशाच ग्रह आदि से पैदा भय उन्माद आदि,-व्याधि के निवारण के लिए सदाबहार के पुष्प शं नो देवी पृश्निपर्णी अंक २ /२५ तथा ४/३६ से अभिमंत्रित कर ताम्बे के तावीज़ में पहनाने के बाद आ पश्यति ४/२० से जलवसचेन करने से बाधा निवारण होता है
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