प्राचीन भारतीय संस्कृति में ऋषि मुनिओं ने मनुष्ये की ख़ुशहाली के लिए बहुत से नियम बनाए थे। आज के युग में भी जिन का अनुसरण कर के मनुष्य अपने जीवन को सुख, समृद्व और ऐश्वर्ये पूर्ण बना सकता है। ऋषिओं ने दिव्यदृष्टि द्वारा कई ऐसी खोजें की जिन के द्वारा उन्होंने अपने जीवन को अरोग्य और दीर्घायु बनाया तथा लोगों को इसे अपनाने को प्रेरित किया। इस संधर्ब में उन्होने विशेषकर मणि, मन्त्र और औषघि का वर्णन किया है। इन तीनो को अपने जीवन में अपनाने से सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति की जा सकती है
मणि क्या है? प्राचीन समय में किसी खास शुभ महूर्त में कुछ जड़ीबूटियों की जड़ों को अभिमंत्रित कर के खास महूर्त में धारण करने से लाभ होता था मगर आज के युग में अभिमंत्रित रत्नो (Gems)को धारण करने से लाभ प्राप्त किया जाता है।
मन्त्र जाप द्वारा भी जीवन सुखमय बनता है। मन्त्र से भाव वेदों में सूक्त, क़ुरान में आयते या गुरु द्वारा दिया गया कोई भी मंत्र से है। जिसे बार बार जप जपने से मानसिक, भावनात्मक ,सामाजिक और शारारिक स्वस्थ्यता बढ़ती है।
मणि क्या है? प्राचीन समय में किसी खास शुभ महूर्त में कुछ जड़ीबूटियों की जड़ों को अभिमंत्रित कर के खास महूर्त में धारण करने से लाभ होता था मगर आज के युग में अभिमंत्रित रत्नो (Gems)को धारण करने से लाभ प्राप्त किया जाता है।
मन्त्र जाप द्वारा भी जीवन सुखमय बनता है। मन्त्र से भाव वेदों में सूक्त, क़ुरान में आयते या गुरु द्वारा दिया गया कोई भी मंत्र से है। जिसे बार बार जप जपने से मानसिक, भावनात्मक ,सामाजिक और शारारिक स्वस्थ्यता बढ़ती है।
औषदि (Medicine) जरुरत पड़ने पर किसी योग्य वैध(Doctor) की सलाह द्वारा औषदि का सेवन करना चाहिए। ेंइन
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