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Thursday, 31 January 2019

गोचर में सूर्य का फल



कुंडली कैसे देखी जाए या कुंडली का अध्ययन कैसे किया जाए जिससे सही फलित हो सके? कुंडली अध्ययन करने की कई विधियाँ है। मैरे अनुभव में आया है की फलित करने से पहले कुंडली का कई कोणों से विश्लेशण करना चाहिए।लाल किताब से वर्षफल बनाकर, पराशरी से दशा, अन्तर्दशा, चर दशा, योगनी दशा,त्रिभागि दशा, नवमांश, दशमांश, सप्तमांश इत्यादि, और गोचर का गहन अध्ययन करना जरुरी है। गोचर कुंडली का फल बताने का बड़ा प्रभावी तरीका है। गोचर में चंद्र राशि और लग्न से प्रत्येक स्थान का क्या-क्या फल उत्पन होगा बताया जाता है। उदहारण के लिए जिस राशि में जन्म कुंडली में चन्द्रमा बैठा हो उस राशि पर जब सूर्य आएगा तो सूर्य पहले स्थान में माना जायेगा। सूर्य जब चन्द्र राशि पर आएगा तो प्रथम स्थान पर होगा।  सुर्य प्रत्येक भाव में क्या फल देगा यह समझते है (१) यात्रा करवाता है, क्रोध ज्यादा आता है।  जातक परिश्रम ज्यादा करेगा। लाभ काम होगा। (२) लोभ,धोखा, धन का नाश। (३) शत्रुओं का नाश,धन प्राप्ति, स्थान प्राप्ति, कार्यसिद्धि। (४) रोग बढ़ते है और सुख में कमी होगी। (५) मोह और रोग के कारण मन में संताप। (६ ) रोगों , दोषों का नाश , शत्रुओं का विनाश , चित मे खुशी। (७ ) मन में कलेश , आदर में कमी,बवासीर रोगी।  (८ ) रोग भय उत्पन हो , सरकार से दंड मिलना।  (९ ) दीनता, लोगों से बिना बात बहस करे। (१० )  कार्य सिद्धि , जिस भी कार्य को करे उसमे लाभ।  (११ ) शारीरक स्वास्थ्ये प्राप्ति, मान सन्मान पैसे की प्राप्ति। (१२ ) कलेश, धन की बर्बादी , रोग। गोचर में जब सूर्य , चन्द्रमा से तीसरे , छटे या दसवे, ग्यारंवे में आता हे तो शुभ होता है। इस में वेध स्थान नोवे, बाहरवें, चौथे और पांचवे में कोई ग्रह ने हो तो यह फल प्राप्त होते है। कुंडली में सारे ग्रहों का गोचर फल जानने के बाद ही फल कथन करना चाहिए। 

Tuesday, 29 January 2019

जैमिनी ज्योतिष में राज योग

ऋषि जैमिनी और पराशर ने ज्योतिष अध्ययन में दो अलग अलग विधिओं को प्रयोग में लाया है।  उत्तर भारत में ऋषि पराशर द्वारा बनाये नियम ज्यादाःतर कुंडली विवेचन में प्रयोग किये जाते है। ऋषि पराशर पद्धति के सहायक के रूप में जैमिनी पद्धति का उपयोग करने से सटीक ज्योतिषफल को कहा जाना संभव है। अगर जैमिनी विधि से कुंडली का गहन अध्ययन किया जाये तो जातक का आयु निर्धारण, शारीरक स्वरूप, चरित्र और मस्तिष्क, धन सम्पति, स्वास्थ्य और रोग, शिक्षा, माता पिता, भाई बहनों, विवाह, व्यवसाय बारे जाना जा सकता है। जैमिनी सूत्रम में राज, अरिष्ट, और मिश्रित योगों का वर्णन आया है।  राज योग से भाव  राजाओं जैसे सुखों को जीवन में भोगना। 
                 जैमिनी पद्धति में राज योग तब बनता हे जब जन्म लग्न, होरा लग्न और घटिका लग्न एक ही ग्रह से देखे जाते हों तो प्रबल राज योग बनता है। अगर राशि, नवमांश,द्रेष्कोण तथा लग्न किसी गृह से देखे जाते हों। मंगल, शुक्र व केतु आपस में एक दूसरे को देखते हों या एक दूसरे से तीसरे बैठे हों इससे जातक प्रसिद्धि प्राप्त करता है। जब आत्मकारक ग्रह से दूसरा, चौथा, पंचम स्थान समान बल का हो या शुभग्रह  युक्त हो। आत्म कारक से तीसरा और छठा भाव समान बल का हो और क्रूर गृह से देखा जाता हो या युक्त हो। अगर लग्नेश से या सप्तमेश से दूसरा, चौथा, पांचवा भाव  शुभ ग्रह से युक्त हो। कारकांश में शुक्र की स्थिति बहुत सुभकारक हो तो भी राज योग कारक होता है। राजनीतिक शक्ति के लिए कुंडली में लग्न, सातवे, नौवे भाव की बलवान स्थिति होना। लग्न वे चौथे भाव में समान ग्रह होना। लग्न व सप्तम में समान ग्रह राजयोग बनाते है पर यह जीवन के पिछले हिसे में फलदयाक होते है। चंद्र व शुक्र इकठे या आत्मकारक को देखे या उससे दसवे भाव में हों। चंद्र सातवे भाव में शुभ गृह द्वारा देखा जाता हो तो राजा का कर्मचारी कहा गया है त्रिकोण व केन्द्र में अगर सुबह गृह न हों तो नौकर कहा गया है। 
                 मैंने अनुभव किया है की जब प्राचीन समय में ज्योतिष ग्रंथ लिखे गए तब और अब की परस्थितिओं मे काफी अंतर आ गया है। जैसे पहले कहा जाता था उत्तम खेती, मद्धम व्यापार,निखिद्द नौकरी, भिख गवार।  मगर आज के युग में नौकरी, खेती से उत्तम मानी जाती है। कलयुग में कलपुर्जों की महत्तता बहुत बढ़ गई है।  आज समय की आवश्यकता है की भारतीए ज्योतिष में शोध (Research)की जाये। 

Monday, 28 January 2019

अथर्ववेदिए व्याधि नाशक ज्ञान

चारों वेदों के सागर में ज्ञान का इतना भंडार भरा है की इस में डुबकी लगा कर मनुष्ये हीरे जवाहरात का अपार भंडार प्राप्त कर सकता है।  हीरे जवहरात से भाव सुख,समृद्धि और ऐश्वर्ये से है ना की दौलत सै क्योकि दौलत से सवास्थय को प्राप्त नहीं किया जा सकता बल्कि अच्छी सेहत से ही दौलत प्राप्त की जा सकती है। वेदों में सूक्तों का जप करके समस्त रोग, दोष, क्लेश,दुःख, संतापों का निवारण किया जा सकता है। कई तरहें की महाविद्या उपनिषद में हैं और महाविद्या उपनिषद है। माता वैष्णोदेवी जी का मंदिर जम्मू के पास है।  इस मंदिर में जाने का सौभाग्ये मुझे भी प्राप्त हुआ।  इस मंदिर पर माता दूर्गा निर्वाणमंत्र लिखा हुआ है  (ऐं  ह्रीं क्लीं चामुण्डयै विच्चे) वस्तुते: यह  दुर्गतिनाशिनी भगवती दुर्गा देवी की साधना की महाविद्या है। इस मन्त्र की साधना साधारण व्यक्ति के लिए करना संभव नही, इस का पाठ पवित्र मन से सूर्यौदय से पूर्व करने मात्र से लाभ प्राप्त किया जा सकता है।अथर्ववेद दुःस्वप्नो को रोग का कारण मानता है। 
                                        दुःस्वपन रोगों का कारण बनते है 

अथर्ववेद सवप्नों, दुःस्वप्नो  से मनुष्य के सुबह अशुभ विचारों को मानता है। अथर्ववेद काण्ड १६  सूक्त ५ की पहली ऋचा में दुःस्वप्नो के कई कारण बताये है जैसे ग्राही यानि दीर्घरोग , निऋक्ति यानि दरिद्रता , अभूति यानि निराश्रित ,निर्भूति यानि निर्धनता ,पराभूति यानि पराजय ,देवजामि मतलब इन्द्रिय दौर्बल्ये।  दुःस्वप्न  आने वाले समय में होने वाले रोगों, संकटों के पूर्व परिचायक माने जाते है। मानसिक , शारीरक आधि  -व्याधि को दूर करने के लिए अथर्ववेदमें इस का निवारण बताया गया है। 

शनि की अदालत

लाल किताब में शनि की अदालत  का जिक्र किया गया है और ऐसे ही प्राचीन भारतीय ज्योतिष शास्त्रों में भी शनि को न्याय का देवता कहा गया है। राहु अगर मुलजिम का चालान पेश करने का गवाह होगा तो केतु बचाने वाला वकील होगा। दोनों के दरम्यान बहस सुन कर धर्मी  फैंसला करने के लिए शनि हाकिम वक्त की अदालत का सब से बड़ा जज होगा। पापी ग्रहों राहु, केतु और शनि ने गुनहगारों को सीधे रास्ते पर लाने के लिए और गृहस्थी निजाम व्यवस्था को कायम रखने के लिए अपनी ही  पंचयात बनाई हुई है।  इसी के मध्येनजर पेशवा  ब्रहस्पति, शनि के घर खाना नंबर 11 (कुम्भ राशि) में अपनी धर्म  अदालत कायम की हुई है, जहां शनि अपनी माता के दूध को याद करके यां कसम खा कर और ब्रहस्पति का हलफ (धर्म  और मजहबी विश्वास की बुनियाद पर किया गया इकरार का वादा ) ले कर  राहु और केतु की बहस सुन कर फैसला करता है। लाल किताब में क्याफा यानि हाथ की लकीरों से भविष्यावाणी करने बारे जिक्र किआ गया है। 
                                                        शनि आम हालत 12 खानों में 
                                            एक गुना घर छटे में मंदा              पर मन्दा नहीं सदा ही है 
                                               घर चौथे में सांप पानी का            पांचवे बच्चे खाता है 
                                               दूसरे घर में गुरु शरण तौ            आठवे हेडक्वॉर्टर है 
                                               नौ सातवें घर 12 वे बैठा           कलम विधाता होता है 
                                               खाली कागज हो घर दसवें का   छटे स्याह होता है 
                                                घर ग्यारह में लिखे विधाता        जन्म बच्चे का होता है
                                                 किस्मत का हो हर दम राखा        पाप हवा ही धोता है  

           शनि नेक हालत में अपने जाति सवभाव के असूल के अनुसार नेक असर का होवे तो गुरू के घरों खाना नंबर  2 , 5  , 9 , 12  में बैठा कभी बुरा असर ने देगा। शनि ग्रह का एजेंट केतु है जो उम्र की किश्ती का मलाह है। शराब पीना पहली बुरा होने की निशानी होगी।  शनि की आशियाँ का दान गरीबों को देते जाना उम्दा असर देगा , बादाम ,तवा ,चिमटा , अंगीठी गरीबों या किसी साधु को देना मददगार साबित होगा। 
      

Saturday, 26 January 2019

ज्योतिष सार: मणि, मंत्र और औषदि

प्राचीन भारतीय संस्कृति में ऋषि मुनिओं ने मनुष्ये की ख़ुशहाली के लिए बहुत से नियम बनाए थे।  आज के युग में भी  जिन का अनुसरण कर के मनुष्य अपने जीवन को सुख, समृद्व और ऐश्वर्ये पूर्ण बना सकता है। ऋषिओं ने दिव्यदृष्टि द्वारा कई ऐसी खोजें की जिन के द्वारा उन्होंने अपने जीवन को अरोग्य और दीर्घायु बनाया तथा लोगों को इसे अपनाने को प्रेरित किया। इस संधर्ब में उन्होने विशेषकर मणि, मन्त्र और औषघि का वर्णन किया है।  इन तीनो को अपने जीवन में अपनाने से सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति की जा सकती है
                           मणि क्या है? प्राचीन समय में किसी खास शुभ महूर्त में कुछ जड़ीबूटियों की जड़ों को अभिमंत्रित कर के खास महूर्त में धारण करने से लाभ होता था मगर आज के युग में अभिमंत्रित रत्नो (Gems)को धारण करने से लाभ प्राप्त किया जाता है।
                         मन्त्र जाप द्वारा भी जीवन सुखमय बनता है। मन्त्र से भाव वेदों में सूक्त, क़ुरान में आयते या गुरु द्वारा दिया गया कोई भी मंत्र से है। जिसे बार बार जप जपने से मानसिक, भावनात्मक ,सामाजिक और शारारिक स्वस्थ्यता बढ़ती है।
                          औषदि (Medicine) जरुरत पड़ने पर किसी योग्य वैध(Doctor) की सलाह द्वारा औषदि का सेवन करना चाहिए। ेंइन

 


SAILENT FEATURES OF LAL KITAB

Lal Kitab is a rare book of astrology written in Urdu language in the nineteenth century. At that time Urdu Language was a compulsory subject in the educational institutions and also was the language of the court in north-west india. In this book we find remedies for every planet, which gives bad effects in the horoscope of the native. The opening lines in this great book:-

                                                  बीमारी का बगैर दवाई भी इलाज है
                                                      मगर मौत का कोई ईलाज नहीं।
                                                         दुनयावी हिसाब किताब है
                                                         कोई दावा-ए-खुदाई नहीं।।

Means that disease is curable, if not by medicines, then by the astrological remedies given in the Lal Kitab but death is inevitable; It is the worldly account, which does not claim Godhood.

 In this context to comprehend the meaning and scope of astrology, we may quote the principal of astrology constantly repeated by Gayatri the greatest exponent of Hindu astrology in modern times:-

                                             फलानि  ग्रहचारेण सूचयन्ति मनीषिणः |
                                              को वक्ता तार्तम्यस्य तमेकं वेधसं विना | |

The above shloka states that:-

                                      Those who know astrology can only indicate
                                          in a way what will take place in future.
                                          Who else, except the Creator Brahma,
                                   can say with certainty what will definitely happen.

Friday, 25 January 2019

कालसर्प दोष के प्रकोप से छुटकारा कैसे पाये ?

कालसर्प दोष को कुछ पुराने ज्योतिषी नहीं मानते मगर पिछले 27 वर्षो में बहुत सी कुंडलिओं का गहन अध्ययन करने के उपरांत मैने अनुभव किया है की राहु और केतु के बीच बाकि सारे ग्रह हों तो जातक का प्रत्येक कार्य अड़चन से होता है।राहु -केतु के इर्द- गिर्द  सभी गृह हों तो कालसर्प दोष लगता है।  महर्षि पराशर एवं वाराहमिहिर ने भी कालसर्प योग को माना है। 
                   राहु और केतु छायाग्रह हैं। राहु का जन्म नक्षत्र भरणी है जिस का देवता काल है और केतु का नक्षत्र अश्लेषा है  और देवता सर्प है ,जब सब बाकी गृह राहु -केतु के मध्ये आते है तो कालसर्प योग बनता है। यह दोष पिछले जन्मों या पुरखों द्वारा किए दोषों के कारण बनता है।जिस के फलसवरूप दुर्भाग्य का जन्म होता है जो चार प्रकार के माने जाते हैं.पहला संतान अवरोध होता है, दूसरा कलहप्रिय पति या पत्नी का मिलना ,तीसरा धन के लिए तरसना और चौथा शारीरक यां मानसिक दुर्बलता होना। कालसर्प मुख्यतः हर भाव में अलग फल देता है. राहु बैठा होने वाले भाव से कालसर्प योग माना जाता है। राहु की मिथुन, कन्या, तुला, मकर और मीन मित्र राशियाँ है कर्क और सिंह शत्रु राशियाँ हैं।                                                             राहु का प्रभाव कलयुग में बहुत होता है अगर राहु अच्छा फल दे तो व्यक्ति को राजनीति में अपार सफलता मिलती है,  उच्च पदवी पाता है और अगर नीच का हो तो हर कार्य में बाधा आती है। बारह घरों में यह योग होने से जातक को हर भाव में राहु बैठा होने वाले घर के कारण अलग अलग फल मिलते हैं। 
                 कुंडली में राहु पहले घर में होने और केतु सातवे घर में होने से अनंत नामक कालसर्पदोष बनता है, दूसरे और आठवे में राहु -केतु होने से कुलिक, तीसरे और नवें घर में वासुकि नामक, चौथे और दसवें घर में शंखपाल, पांचवे और एकादश घर में पदम् , छटे घर से बारहवें में  महा: पदम्, सप्तम से लेकर लग्न तक तक्षक, अष्टम स्थान से दूसरे स्थान तक कर्कोटक , नवें  घर से तीसरे घर में शंकचूड़, दशम स्थान से चौथे स्थान तक होने से घातक,एकादश से पंचम स्थान पर राहु-केतु होने से विषधर,द्वादश से  छटे स्थान में राहु-केतु होने से शेषनाग नामक कालसर्प योग बनता है। 
                 कालसर्प दोष का निवारण करने में कई प्रकार के शांति विधान होते हैं. बगैर कुंडली का गहन अध्ययन किए कोई भी उपाय फलदयाक नहीं होता।  किसी अनुभवी ज्योतिषी से इस दोष का निवारण करवाना चाहिए। 

Thursday, 24 January 2019

लाल किताब में शादी का वक़्त

                         लाल किताब में शादी का वक़्त वर्ष फल देखने से पता चलता हे।  शनि गृह जब खाना नंबर एक में आये और शुक्र , बुध की दोस्ती हो तो शादी का योग बनता हे।  बुध शुक्र मुस्तरका या जुदा-जुदा खाना नंबर 1,2,10,11,12 , में आ जाये और शनिशर उस वक़्त खाना नंबर 1,2,10,11,12 , या 1,5 ,10 ,6 ,2 ,7 ,8 ,या 4  में हो मगर बुध उस वक़्त 4,5 ,6 ,7 ,8 खाना में न हो। मेरे अनुभव में आया है की अगर शुक्र वर्ष फल में खाना नंबर  या 7 में बैठा हो और उस पर पापी टोला की दृस्टि न हो तो साल शादी का होता है। 
                        लड़की के टेवे में गुरु गृह ४ नंबर खाना में हो तो शादी जल्दी होने का योग बनता है।लड़की के टेवे में रवि मंगल का साथ गुरु से हो तो ऐसा वर मिले जिस का पिता न होगा यानि उस का ससुर न होगा। जिस लड़की के पिता के टेवे में बुध गृह  खाना नंबर 6 में हो उस का विवाह अगर उस के जद्दी घर से उत्तर की तरफ हो जाये तो अमूमन दुःखी ही रहेगी। 
                         शनिशर खाना नंबर सात वाले जातक की शादी अगर 22 वे साल उम्र तक ना हो तो उस की आंखे ख़राब होंगी। कुंडली में अगर सूरज पहले घरों में हो और बुध बाद के घरों में हो तो औरत का सवभाव उम्दा और असर नेक होगा।  अगर बुध पहले घरों में हो और सूरज बाद के घरों में हो तो औरत का रंग और सवभाव मंदा होगा। जब सूरज बुध मुस्तरका हो और शनि की दृस्टि न हो तो असर उम्दा होगा अगर शनि का प्रबाव सूरज बुध पर हो तो औरत का स्वभाव चंचल और मंदा होगा। 

ज्योतिष में लव जिहाद कारण और निवारण


 लवजिहाद  दो शब्दों का मेल हे लव इंग्लिश भाषा का शब्द हे यानि प्यार,इश्क या मोहबत और जिहाद अरबी भाषा का शब्द हे भाव किसी खास मकसद को पूरा करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देना। लव जिहाद के चुंगल में वही लोग फसेंगे जिन के गृह ख़राब होंगे। जिस औरत या मर्द के टेवे में सूर्ये, चन्दर, मंगल और शुक्र में यह चारों ग्रह या इनमें से कुछ ग्रह नीच राशिगत होंगे या कुंडली में 6 ,8 ,12  वे भाव में हों तो यह योग बनता है। लग्न का स्वामी और सातवें घर का स्वामी अगर 8 वे भाव में हो  या 7 वे भाव पर पापी ग्रहों की दृस्टि हो तो विवाह सुखमय नहीं रहता मसलन 7 वा भाव या 7 वे भाव के मालिक ग्रह का दूषित होना ही माना जायेगा।
        लाल किताब के नजरिए से देखे तो अगर खास मकसद को रख कर शादी की जाए तो ग्रस्थ  का फल मंदा ही होगा।  पुरष की कुंडली में अगर शुक्र ग्रह के दाई ,बाई तरफ पापी ग्रह हों या शुक्र से चौथे या आठवें मंगल और सूरज शनि हो या दोनों इकठे हो तो औरत जल कर मरे।  सूरज,राहु,बुध इकठे तो शादी एक से ज्यादा होंगी 
       लग्नेश और सप्तमेश अगर 12 वे भाव में हो तो संभवत प्रेम विवाह होता है। लड़की की कुंडली में अगर विष कन्या योग हो तो भी ऐसा विवाह संभव है जिसमे पति की मृत्य हो सकती हे। लव जिहाद का जिक्र पुराने शास्त्रों में नहीं मिलता मगर इस का मतलब तो विवाहिक सुख के साथ ही है। 
      निवारण के लिए नीच गृह की वस्तुऔ का दान करना , कारक गृह का रत्न धारण करना, वर्ष्फ़ल कुंडली और गोचर ग्रह जो धोखे के गृह हों को हटाना। बचपन से ही उपाय करने चाहिऐं जिस से बाद में लव जिहाद जैसे हालात पैदा न हों 

लाल किताब अनुसार मकान में वर्जित नियम

मकान  में  दाखिल  होते  हुये  विवाह  शादी  में  हलवाई  द्वारा  बनाई  भट्ठी  को  बाद  में  मिट्टी  से  बन्द कर  दिया  जाता  है  या  मंगल  बंद  होता  है।  अगर  घर  में  मंगल  8  वाला  बच्चा  पैदा  हो  तो  तबाही होनी  शुरू  हो  जाती  है।  जब  वृहस्पति  खाना  नम्बर  7  में  हो  तो  घण्टी  बजाकर  घर  में  पूजा  करने  से सन्तान  को  हानि करता  है।  बड़ी  मूर्ति  घर में  रखने  से  लाभ  की  अपेक्षा  हानि होती  है।  देवी-देवताओं की  तस्वीर  रखने  से परहेज़ नही  होना  चाहिए।
घर  में  कीमती  समान  जेवरात  सोना-चांदी  रखने  के  लिए  दीवारों  में  गड्ढे  बनाये  जाते  थे जिसमें  इस  समान  को  हिफाज़त  से  रखा  जाता  था।  अगर  इन  गड्ढो  में  समान  न  रखा  जाये  तो  यह बुध  की  जगह  बन जाती  है।  ऐसे गड्ढो में  बादाम  छुहारे  रखना  उत्तम  होता  है।
मकान  में  अगर  कच्चा  हिस्सा  न  हो  तो  शुक्र  में  खराबी  आती  है।  इससे  गृहस्थ  में  खराबियां देखने  को  मिलती  है।  आजकल  फलैटस  में  रहने  वाले  लोगों  के  पास  मिट्टी  वाली  जगह  नही  होती इसलिए  ऐसे  घरों  में  गमले  वगैरह  रखने  लाभदायक  हैं।  इस  लिए  लाल  किताब  में  वास्तु  के  नियम भी  दिये गये  हैं।

धर्म स्थान में जाने की मनाही वाले ग्रह

धर्म  स्थान  तो  सबके  लिए  उत्तम  स्थान  है  जहां  जाकर  मन  को  शान्ति,  शरीरिक-मानसिक  तंदरूस्ती और  आत्मिक  शुद्धि  होती  है।  मगर  लाल  किताब  में  कुछ  खास  ग्रह  किसी  खास  खाना  में  स्थापित होने  से  धर्म  स्थान  में  जाने  की  मनाही  की  गई  है।  यदि  खाना  नम्बर  8  के  ग्रह  खाना  नम्बर  12  के ग्रहों  के  दुश्मन  हों  और  दूसरा  खाना  खाली  हो  तो  धर्म  स्थान  में  जाने  की  मनाही  बताई  गई  है। उदाहरण  के  तौर  पर  अगर  खाना  नम्बर  8  में  सूरज  ग्रह  बैठा  हो  और  12वें  खाना  में  उसके  दुश्मन ग्रह  राहु-शनि बैठें  हों  तो और  दूसरा  खाना  खाली  हो तो  धर्म  स्थान में  जाने की  मनाही  है।
यदि  खाना  नम्बर  8  व  12  में  मित्र  ग्रह  बैठे  हों  तो  और  खाना  नम्बर  6  में  कोई  उत्तम  शुभ ग्रह  हो  तो  और  2  नम्बर  खाना  खाली  हो  तो  धर्म  स्थान  में  जाना  शुभ  फलदायक  होता  है।  इसी तरह  लाल  किताब  में  बहुत  सी  ऐसी  तहरीरें  बताई  गई  हैं  जिसको  जीवन  में  अपनाकर  जीवन  को सुखमय  बनाया  जा  सकता  है।

Wednesday, 23 January 2019

ख़ुशहाली के लिए वास्तु टिप्स अपनाए

                      वास्तु शास्त्र एक प्राचीन कला हे जिस को अपनाने से घर में सुख, समृद्वि और ऐश्वर्य को प्राप्त किया जा सकता है।  कुछ वास्तु टिप्स अपनाने से जीवन को खुशहाल किया जा सकता है। 
(१)  नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने  के लिए घर में पुराना सामान जैसे बंद घड़ी, ख़राब टी वी , फ्रिज ,रेडिओ ,टूटे बर्तन और टूटे कांच का समान मत रखें। घर की छत पर टूटी चारपाई, ख़राब गीज़र, मिक्सी , बांस और बांस से बना सामान , सैनिटेरी का पुराना सामान , बिजली का सामान जिस का प्रयोग ना किया जा रहा हो, फटी पुरानी किताबें और कपड़े रखने से नकारमतक ऊर्जा पैदा होती है ,जिस कारण मानसिक तनाव , घर में लड़ाई झगड़ा ,पैसे की फिजूलखर्ची और घर में बरकत ना होना जैसे कार्य होते है। इसी लिए  दिवाली पर सारा पुराना सामान जिस का प्रयोग नहीं होता था को घर से निकाल बाहर किया जाताथा। 
(२) घर में ताला बंद नहीं पड़ा होना चाहिए जिस से काम में बाधा उत्पन होती है. घर में फ्यूज बल्ब होल्डर में लगा होने से कार्यो में रूकावट पैदा होती है। 
(३) दरवाजेके खोलने और बंद होने के समय आवाज नहीं आनी चाहिए।  घर की खिड़की या दरवाजे में टुटा हुआ कांच नहीं लगा होना चाहिए।
(४ ) पानी की टुटी से लीकेज न हो अगर ऐसा होता हे तो घर में पैसा नहीं टिकेगा। पोछा टूटी पर लटकाने या रखने से घर में दरिद्रता आती हे 
(५) झाड़ू को कभी खुले में मत रखें इसको पैर मत लगाए,और इससे बिस्तर साफ न करें  ऐसा करने से लक्ष्मी रूठ जाती है.

Refrain to do this astrological remedy

In this environmental friendly era, this is the responsibility of all persons in the world to be Eco friendly. There are certain remedies which are prescribed by some astrologers to their clients to throw lead or coal in the running water which is harmful to the human beings. Lead and coal are caused very harmful affects on human body. Lead poisoning occurs when lead builds up in body, often over months or year. Even small amount of lead can cause serious problems. Children younger than six years are especially vulnerable to lead poisoning, which can severely affects mental and physical development. It is scientifically proven that lead poisoning can cause many symptoms like delay in growth and development in children, hearing loss, vomiting, loss of appetite, difficulty in learning, sluggishness and fatigue. In adults lead poisoning is also dangerous.Signs and symptoms in adults might include high blood pressure,joint and muscle pain,memory loss, mood disorders, reduce sperm count and abnormal sperms and premature birth of child in women.
          Even lead based paints banned in some countries. It is my humble submission to all the astrologer not to suggest their clients to throw coal or lead  in running water as an astrological remedy. 
         From the last about twenty seven years I am learning and practicing Vediv, Lal Kitab astrology and Numerology and found that some astrologers prescribe some remedies which are less beneficial but more harmful.

Tuesday, 22 January 2019

लाल किताब में ग्रह मुश्तर्का का असर

लाल  किताब  द्वारा  ज्योतिष  समस्याओं  का  समाधान  बहुत  ही  स्टीक  उपायों  द्वारा  किया  जाता  है। इस  विधि  द्वारा  वर्षफल  बनाकर  भी  अध्ययन  किया  जाता  है।  मेरे  अनुभव  में  यह  बात  देखने  को  आई है  कि  गलत  उपाय  करवाने  से  फायदे  की  जगह  नुक्सान  ही  होता  है।  आज  मार्कीट  में  लाल  किताब के बहुत  से  संस्करण  मिलते  हैं।  यह  गाईडनुमा  किताबों  में  असल  किताब  जो कि  उर्दू  भाषा  में  लिखी गई  है,  को  तोड़-मरोड़  कर  पेश  किया  गया  है।  1941-42  और  उसके  बाद  1952  में  लाल  किताब का  सबसे  बड़ा  संस्करण  छपा।  लाल  किताब  में  प्रत्येक  खाना  में  पड़़े  ग्रह  का  अध्ययन  किया  जाता है।  इसमें  राशियों  को  मिटा  दिया  गया  है।  किसी  भाव  में  अगर  पाँच  ग्रह  हों  तो  उनका  मुश्तर्का अध्ययन  फिर चार,  तीन,  दो  और एक  ग्रह  का  अध्ययन  भी  किया  जाता  है।
दो  ग्रहों  का  फलः-कुण्डली  में  दो  ग्रह  इक्कट्ठे  हों  तो  प्रत्येक  खाना  में  उनका  असर  भिन्न  होता  है। कुण्डली  में  तथा  वर्षफल  में  उनका  उसी  अनुसार  फल  प्राप्त  होता  है  तथा  उनके  उपाये  करने  बताये गये  हैं।  अगर  लगन  कुण्डली  या  वर्ष  कुण्डली  में  1)  वृहस्पति  शनि  मुश्तर्का  हों  तो  चन्द्र  पूजा  मदद देगी।  मालिक  से  अपनी  किस्मत  का  हिस्सा  मांगने  वाला  साबिर  व  शाकिर  हो,  वृहस्पति  सूरज मुश्तर्का  में  मुफ्त  का  माल  मत  ले  खालिस  सोना,  केसर  घर  में  रखे,  पुरानी  चारपाई  मुबारक।  3) वृहस्पति-चन्द्र  मुश्तर्का  में  केतु  की  आशिया  तह  ज़मीन  में  दबायें  और  होल  दिली  पत्थर  पहने।  4) वृहस्पति-शुक्र  मुश्तर्का  में  खुशामद  मत  करवायें  या  करें।  5)  वृहस्पति-मंगल  श्रेष्ठ  गृहस्थ  धन  6) वृहस्पति-राहू  में  जिस्म  पर  सोना,  होल  दिली  43  दिन  गाय  के  झूठे  पानी  में  धोयें  और  मंगल  की वस्तुओं  का  दान  करंे।  वृहस्पति-केतु  मुश्तर्का  में  जर्द  निम्बू  धर्म  स्थान  में  देवे।  अगर  जड़  में  9,12  में
शुक्र,  बुध,  राहु  हों।  7)  सूर्य-चन्द्र  मुश्तर्का  में  पिता  लम्बी  उम्र  का  न  होगा।  औरत  के  हाथ  में  सोने की  चूड़ी  मुबारक।  8)  सूरज-बुध  मुश्तर्का  में  रात  को  तहरीर  लिखने  से  लाभ।    9)  सूरज-शनि मुश्तर्का  मंे  नारियल  बादाम  सूर्य  ग्रहण  के  समय  में  जल  प्रवाह  करें।  औरत  के  सिर  पर  मूंगा,  तांबा, सोना  मुश्तर्का  का  क्लिप  लगाये।  10)  सूरज-राहू  मुश्तर्का  में  जौं  भार  के  नीचे  दबायें,  अन्धेरी  जगह पर  और  जौं  दूध  में  धोकर  जल  प्रवाह  करे।  तांबे  का  पैसा  रात  भर  कायेलों  पर  गर्म  करके  सुबह पानी  में  बहायें।  11)  सूरज-केतू  मुश्तर्का  में  काले-चिट्टे  तिल,  नारियल  तथा  साबत  बादाम  सूरज ग्रहण  के  समय  पानी  में  बहायें।  12)  चन्द्र-शुक्र  मुश्तर्का  में  चांदी  की  चेन  डालने  से  लाभ  होता  है।
13)  चन्द्र-शनि  मुश्तर्का  में  दो  रंगा  जानवर  घर  में  हो  तो  उसका  माथा  काला  कर  दें।  लगातार  43 दिन  खालिस  पानी  मत  पीयें।  14)  चन्द्रमा-राहू  मुश्तर्का  में  राहू  की  चीज़ें  पानी  में  बहायें  या  केतु  के दुश्मन  ग्रह  की  वस्तुयें  पानी  में  बहायें।  15)  चन्द्रमा-केतू  मुश्तर्का  में  रात  को  दूध  मत  पीयें।  16)
शुक्र-राहु  मुश्तर्का  में  नारियल  का  दान  मुबारक।  17)  शुक्र-केतु  मुश्तर्का  में  पड़ोसी  की  शादी में
रूकावट।  18)  मंगल-राहू  मुश्तर्का  में  रोटी  रसोई  में  बैठकर  खायें।  19)  चन्द्र-मंगल  मुश्तर्का  में  बुध को  ठीक  करें,  उसके  लिए  राहु  से  सहायता  लें  तथा  सरसों,  मसुर  दाल  का   दान  दें।  20) मंगल-शनि  मुश्तर्का  में  लेन-देन  पक्का  करें।  हरेक  काम  लिखित  पढ़त  के  बाद  ही  करें।  घोड़ी  का दूध  घर  में  मुबारक।  21)  मंगल-केतु  मुश्तर्का  में  कुुत्तों  की  पालना।  सफेद  काला  कुत्ता  पालना मुबारक।  22)  बुध-राहु  मुश्तर्का  में  चन्द्र  की  आशियां  कब्रस्तिान  में  दें  और  शमशान  के  कुऐं  का  पानी
घर  में  रखें।  23)  सनिचर-केतु  मुश्तर्का  में  मवेशी  एक  रंग  का  रखें,  मुबारक  होगा।  अगर  किसी कुण्डली  में  पंचायत  बैठी  हो या  पांच  ग्रह  इक्ट्ठे  हों  तो यह  उत्तम  फलदायक  होती  है।
इस  तरह   लाल  किताब  में  मुश्तर्का  ग्रहों  के  बहुत  से  उपाय  लिखे  हैं  मगर  बगैर  कुण्डली  के अध्ययन  के  कोई  भी  उपाय  अपने आप  नही  करना  चाहिए।
लाल  किताब  में  वर्जित  दान

लाल  किताब  में  जन्म  कुण्डली  या  वर्षफल  में  अगर  ग्रह  उस  हिसाब  से  आ  जायें  तो  उस  वर्ष  ग्रह  के मुताबिक  दान  देने  से  लाभ  की  जगह  हानि  होती  है।  यह  हानि  या  लाभ  वर्षफल  में  आने  से  वर्षफल के अन्त  तक  रहती  है।  उच्च  के  ग्रह  का  दान  देने  से  या  नीच  के  ग्रह  से  सम्बन्धित  वस्तुओं  का  दान लेने  से  हानि होती  है।
चन्द्रमा  ग्रह  यदि  6वें  खाना  में  हो  तो  मुफ्त  में  पानी  का  दान  देना  हानि  करता  है।  इससे चन्द्रमा  6  वाले जातक  की  सन्तान को  नुक्सान  पहंुचेगा।
शनि  8  वाला  यदि  धर्मशाला  या  ऐसे  मकान  बनवाये  जहां  मुसाफिर  मुफ्त  में  रहे  तो  जातक स्वंय  बेघर  हो जायेगा।

यदि  वृहस्पति  7वें  घर  में  हो  तो  ऐसा  जातक  किसी  साधु  या  धर्म  स्थान  पूजारी  को  मुफ्त  में नयें  कपड़े  में  दे  तो  स्वयं  निर्धन  हो जायेगा  और  उसकी  औलाद पर  बुरा  असर  पड़ेगा।
चन्द्र  12वें  घर  में  हो  तो  धर्मोपदेशक  मत  बने।  स्कूल  में  मुफ्त  विद्या  या  पढ़ाई  की  वस्तुयें  मत दें  नही  तो बिमारियां उसे  घेरे  रखेंगी  और  शरीरिक  कष्ट उठाने पड़ेंगे।
यदि  शुक्र  9वें  खाना  में  हो  तो  जातक  गरीब-यतीम  बच्चों  की  पढ़ाई  का  खर्चा  या  वजीफा मत  दें।  पुस्तकंे,  पढ़ाई  के लिए  पैसे  देना  उसको  आर्थिक  तौर पर  नुक्सान उठाना  पड़ेगा।
यदि    वृहस्पति    खाना    नम्बर    10    में    हो    तो    और    चन्द्र    खाना    4    में    हो    तो मन्दिर-मस्जिद-गुरूद्वारा  बनवाये  तो  झूठी  तोहमत लगती  है।
शनि  यदि  नम्बर  1  घर  में  हो  और  वृहस्पति  5वें  घर  में  हो  तो  फकीर  या  मांगने  वाले  को  तांबे का  पैसा  मत  दें।