विदेश यात्रा कब होगी ?
भारतीए लोगों में विदेश में जा कर बसने का सपना दिन प्रति दिन बड़ रहा है। विदेश में जा कर पढाई करने के बाद विदेश में परमानेंट रेजीडेंसी प्राप्त करने की इच्छा होना भी स्वाभाविक है। ज्यादातर लोग विदेश में शिक्षा, व्यापार, विवाह, देशाटन और घूमने फिरने(Tourist) के लिए जाते है।
राहु , चन्द्रमा और केतु यात्रा के कारक ग्रह है। कुण्डली के सप्तम, अष्ठम, नवम और द्वादश भाव से विदेश यात्रा देखी जाती है। लग्न का संबंध सुखेश से हो और सुखेश(4th House) पापी ग्रह हो तो विदेश में जा कर बसने का योग बनता है।
राहु यदि 7, 8 ,9 , 12 भाव में हो तो विदेश जा कर रहने का सपना पूरा होता है।
पद लग्न और उप पद लग्न से भी विदेश यात्रा का ज्ञान मिलता है। 3, 9, और 12 वे भाव की दशा में विदेश यात्रा के प्रभल योग बनते है , लग्न, चन्द्र लग्न , पद लग्न के और उप पद भाव से 12 वे भाव के स्वामी की दशा ही ज्यादातर विदेश यात्रा होती है।
पंचम, सप्तम, नवम, दशम भाव का संबंध अगर द्वादश भाव के साथ बने तो इन भावों के स्वामी की दशा में भी विदेश यात्रा होती है।
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