ज्योतिष में लग्न भाव यानि प्रथम भाव को स्वभाव और शारीरिक बनावट का कारक माना जाता है। दूसरा भाव धन और वाणी का और पंचम भाव बुद्धि का होने से मनुष्य के व्यवहार को प्रभावित करता है। इन तीनों भावों से व्यक्ति के सवभाव को देखा जाता है। चन्द्रमा, बुध और मंगल के कारण मन, वाणी, और क्रोध पर नियंत्रण नहीं रहता। अगर कुण्डली में मंगल, चन्द्रमा और बुध ग्रह नीच राशि ने हों या इन पर राहु और सूर्य की क्रूर दृस्टि हो तो अनियंत्रित क्रोध जातक में होता है। ( janakastro24@gmail.com )
- मंगल कुण्डली के प्रथम, तीसरे ,चतृर्थ, पंचम या अस्टम भाव में हो तो व्यक्ति में क्रोध की अधिकता होती है।
- मंगल इन भावो में नीच राशि में हो तो व्यक्ति को ज्यादा क्रोधित सवभाव का बनाता है।
नकारात्मक क्रोध का कारण अंगारक योग ( मंगल-राहु ) भी होता है। कुण्डली में पितृ दोष होने से भी व्यक्ति में क्रोध की अधिकता होती है।
- सूर्य-मंगल, गुरु-मंगल,मंगल-बुध,मंगल-शनि, बुध-शनि, गुरु राहु , राहु-चन्द्रमा, शनि चन्द्रमा का कुण्डली में इकठे होना भी क जातक में क्रोध को बढ़ाता है।
उपायों के तोर पर चांदी का बेजोड़ छला या कडा धारण सोमवार को करने से क्रोध में कमी आती है।
ॐ सौं सोमाये नमः और ॐ भोम भोमाये नमः का जप करने या करवाने से क्रोध पर काबू पाया जा सकता है।
चांदी के गिलास में पानी और दूध का सेवन करें।
बड़े बजुर्गों के चरण स्पर्श करना और उनसे आशीर्वाद लेना क्रोध की शांति के लिए रामबाण है।
योग्य ज्योतिष से परामर्श कर के ताम्बे में मूंगा या चांदी में साउथ सी मोती धारण करना चाहिए।
मंगलवार को आठ मीठी रोटी कोयों को या कुत्तों को डालनी चाहिए।
अभिमंत्रित मंगल यंत्र पास रखने से तत्काल लाभ होता है। कुण्डली का अध्ययन करवाने के लिए संपर्क करें +919417355500
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Saturday, 6 April 2019
ज्यादा क्रोध आना और शांति के उपाय
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