ग्रहकलेश(DOMESTIC VIOLENCE) से कैसे करें बचाव ?
लाल किताब अनुसार शादी का सुख और ग्रहों का खेल ?
आज कल दुनिया में पति-पत्नी की आपस में अनबन, मार कुटाई आम बात होती जा रही है। WHO के अनुसार दुनिया में 30% औरतें घरेलू अत्याचार का शिकार होतीं है और पति की स्तिथि भी शायद इस से कम न हो। कुंडली में ग्रहों की स्तिथि से जाना जा सकता है की विवाह के बाद घर में लड़ाई झगड़ा, एक दूसरे से अनबन, मार पिटाई, दूसरी औरत या मर्द से नाजायज़ सम्बंध, पराई औरत या मर्द की तरफ़ झुकाव होना इत्यादि।
सातवें भाव को ग्रहस्थ का कारक भाव माना जाता है और लाल किताब में विवाहिक जीवन में सुख-दुःख ख़ुशी-गमी किन ग्रहों के कारण होता है और किन उपायों से ठीक हालत किए जा सकते हैं।
सूर्य सातवें भाव में अकेला हो तो पराई औरत या मर्द की तरफ़ झुकाव हो सकता है अगर बुध ग्रह साथ हो तो असर में कमी होगी।सूर्य जैसे रंग कि गाय की सेवा से लाभ और ताम्बे के चकोर पतरे वीरानी ज़मीन में दबाए।
चन्द्र सातवें भाव में अकेला लक्ष्मी का अवतार हो मगर माता पर मँदा असर रहेगा। पत्नी या पति का मुँह गोलाई लिए और रंग साफ़ होगा।विवाह सुख को दरिया नदी का पानी या दूध घर में क़ायम करे।
मंगल सातवें भाव में कोई बुरा फल नहीं देता अगर बुध साथ या दृष्टि से मिल रहा हो तो बुरा प्रभाव रेहेगा। बहन की सेवा या मिठाई देते रहना अच्छा फल देगा।
बुध सातवें भाव में अच्छा ही रहेगा अगर चन्द्र साथी ना बन रहा हो।
बृहस्पति सातवें में विवाहिक जीवन में परेशानी पैदा करेगा। औलाद में देरी करे अगर घर में बड़ा पूजा स्थान बना हो।
शुक्र सातवें भाव में अकेला अच्छा फल देगा पर जो ग्रह साथ बेठा हो वैसा ही फल शुक्र देगा।लाल किताब वर्ष फल में जब शुक्र के दुश्मन ग्रह सातवें भाव में आएँ तो घर में कलह क्लेश रहेगा।शुक्र 2,11 में हो तो शरीर में या वीर्य की कमजोरी के कारण तनाव रहे।
शनि सातवें उच्च फल का होता है।शुक्र तीसरे तो सेहत और पिता के लिए मँदा फल मिले और सूर्य चोथे खाना में तो व्यक्ति हिजड़ा बुज़दिल होगा।
राहु सातवें भाव में गृहस्थ पर बुरा असर देगा चन्द्र कि सहायता से लाभ मिलेगा।
केतु सातवें भाव में कोई बुरा असर न देगा जब तक व्यक्ति झूठा वचन न करे।
दो ग्रह मुश्तरका
सूर्य-शुक्र युति कुंडली के सातवें भाव में हो तो औरत मर्द में झगड़ा ही रहे।
चन्द्र-शनि युति सप्तम में होने से पति-पत्नी आपस में झगड़े ही रेहेंगे।
मंगल-शनि इकठे सप्तम में तो मन परेशान ही रहे। मंगल-बुध युति सप्तम में तो ग्रहस्थ जीवन बर्बाद।
बुध-शनि सातवें भाव में हों तो विवाहिक सुख में क्लेश ही रहेगा।
तीन ग्रह मुश्तरका
चन्द्र-शुक्र-बुध इकेट्ठे कुंडली में हों तो 37 साल तक शादी मुबारक न होगी।
शुक्र-बुध-मंगल युति किसी भाव में ही हो औलाद और ग्रहस्थ सुख मंदा ही रहेगा।
सूर्य-शनि-शुक्र इक्कठे किसी भी भाव में तो भर में लड़ाई झगड़ा ही रहे सुख शांति को तरसता जीवन रहे।
राहु-शुक्र-बुध इक्कठे तो शादी कई दफ़ा मगर फिर भी ग्रह क्लेश ख़त्म न हो।
चार ग्रह मुस्तरका
चन्द्र-शुक्र-बुध-शनि मुस्तरका तो बद फेल या बद किरदार होगा माँ औरत में भेद ना जाने।
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