स्वप्न-शकुन(DREAMS DININATION)
स्वप्न-शकुन के बारे में बहुत मत और विचारधाराए है स्वप्न में देखे गए हर दृश्य का अलग महत्त्व होता है। कुछ स्वप्न जागने पर याद रह जाते है और कुछ याद नहीं रहते। जागने पर भूल जाने वाले स्वप्न केवल मन की कल्पना ही माने जाते है तथा एक मत यह भी माना गया है की अगर ज्यादातर स्वप्न नींद खुलने पर याद न आएं तो राहु का फल मन्दा हो रहा है। जो स्वप्न नहीं भूलते उन में से बहुत से स्वप्न हमारी शारीरिक स्तिथि यां आवश्यकता को सूचित करते है। जैसे प्यास लगी हो तो स्वप्न में हम जल को देखते है।यह शरीर में जल तत्व की कमी का सूचक है। स्वप्न में हम अपने को उड़ते हुए देखते है तो शरीर में वायु तत्व की कमी हो सकती है। सांप सपने में देखना डर और कालसर्प योग का होना दर्शाता है। अपने को भोजन करते देखना शरीर में मन्दाग्नि या पाचन क्रिया में गड़बड़ी दर्शाता है। कफ और पित के विकारों में जल और अग्नि दिखाई देते है।
स्वप्न हमें शारीरक और मानसिक विकारों के बारे संकेत देते है। स्वप्न के द्वारा डर उद्वेग आधी मानसिक दुर्बलताओं का कारण भी जाना जाता है। ब्रह्ममहूर्त में देखा गया स्वप्न शकुन की दृस्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि एक ही तरह के स्वप्न बार बार दिखाई दे तो उन के बारे में गहराई से विचार किया जाना चाहिए।स्वप्न का विचार करने से पहले शारीरक सुचना या मानसिक स्थितिको समझाना भी अनिवार्य है। धार्मिक स्थानों को और देवी देवताओं को स्वप्न में देखना मनुष्य की भावनओं से प्रभावित व् प्रेरित होते है। स्वप्नों के बारे भ्रम और वहम में नहीं पड़ना चाहिए। स्वप्न शास्त्र के ज्ञाता लोग ही स्वप्न के शुभ-अशुभ का विस्तार से वर्णन कर सकते है।
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