ज्योतिष, आयुर्वेद और योग: सम्पूर्ण ज्योतिष उपाय
सम्पूर्ण ज्योतिष उपाय सिर्फ एक कर्म करने से ही पूर्ण नहीं होते, इस में दान-पुण , पाठ-पूजा, रत्न धारण करना, व्रत, तीर्थ सनान के अतिरिक्त बडे बजुर्गों का इज्जत मान, सदाचारी जीवन व्यतीत करना, भावनाओं पर निंयत्रण करना, योग आसान और प्राणायाम करना, सफाई और आयुर्वेद को जीवन में शामिल करना जरुरी है
कर्मजा व्याधय: केचित दोषजा सन्ति चापरे (चरक सहिता 2 . 40)
अर्थात कुछ कष्टों का कारण पिछले जन्म के किये पापकर्म होते है तथा कुछ व्याधियाँ दोषज होती है जो मनुष्य के शरीर में त्रिदोष वात, पित और कफ जो अहार, विहारजन्य दोषों से उत्पन होती है
योग शास्त्र की पहली सीढ़ी मन को काबू में रखना होता है और दूसरा सूत्र योगशि चतविधिनिरोध: चित्तवृत्ति अर्थात मन की स्तिथि और गति: इन का नियंत्रण में होना ही योग है
निष्कर्ष में ज्योतिष उपायों की सम्पूर्णता दान, जप के अतिरिक्त योग और आयुर्वेद को अपनाने से ही प्राप्त की जा सकती है
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