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Thursday, 3 October 2019

मूल मन्त्र यानि असली मन्त्र

                         

                                पवित्र और सिद्ध मंत्र         

एक ओंकार  सतनाम करता  पुरख निरभऊ निरवैर अकाल मूरत अजूनि सैभं गुर प्रसाद।। जप।। 

कलयुग में गुरु नानक देव जी द्वारा रचित यह सिद्ध मन्त्र  परमपिता परमात्मा के बारे में बतलाता है जिस की हर धर्म अलग अलग रूप में पूजा करते हैं। श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी की बानी का आरंभ मूल मन्त्र से होता है। इस मंत्र का जप करने मात्र से सब दुखों कलेशों का नाश होता है।
एक ओंकार : अकाल पुरख परमात्मा एक है।
सतनाम : अकाल पुरख का नाम सबसे सच्चा है।
करता पुरख :सब कुछ वही करता है।
निरभऊ : अकाल पुरख को कोई डर नहीं है।
निरवैर : अकालपुरख का कोई वैरी नहीं है ना ही किसी से कोई दुश्मनी है।
अकाल मूरत : प्रभु काल रहित है। जन्म मृत्यु से परे है।
अजूनि : योनियों में नहीं होता ना पैदा होता है ना मरता है।
सैभं: उसको न तो किसी ने जन्म दिया और ना ही कोई उसे पैदा करता है। वो खुद प्रकाश हुआ है।
गुर प्रसाद : गुरु की कृपा से परमात्मा मिलता है।
 

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