बाधक ग्रह हर कार्य में बाधा डालने वाला ग्रह होता हे जिस का समय से ज्योतिष उपाय न करने से कुण्डली में अच्छे ग्रह भी अपना पूर्ण फल नहीं दे सकते।
चर लग्नों मेष, कर्क, तुला, और मकर के लिए 11 वे भाव का स्वामी बाधक ग्रह है।
अचर लग्नों वृष, सिंह, वृश्चिक और कुम्भ लग्नों में 9 वे भाव का स्वामी बाधक ग्रह होगा।
मिथुन, कन्या, धनु, मीन लग्नों में 7 वे भाव का स्वामी ग्रह बाधक होगा।
बाधक ग्रह का बुरा प्रभाव तब ही पड़ेगा जब इन के साथ मंदे ग्रह भी हों।
लग्न के अनुसार बाधक ग्रह की पूजा, दान , रत्नों द्वारा उपाय संभव होते है। इस के लिए जन्म पत्रिका का पूर्ण सूक्ष्म अध्ययन अनिवार्य है। कुण्डली के अध्ययन के लिए संपर्क करे। 9417355500
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