ज्योतिष में अनुभव के आधार पर कई ऐसे योग देखने में आये है जो शतप्रतिशत सच साबित होते है इस में कोई संशय नहीं।
लग्न का स्वामी अगर सूर्य, केतु के साथ हो तो जातक के दिमाग़ में नुक्स होता है या वह मंद बुद्धि होगा।
मंगल अगर सिंह या धनु राशि में हो तो कर्क रोग होने की संभावना होती है।
सप्तमेश छटे , अष्ठम या द्रादश भाव में हो तो विवाहिक जीवन सुखमय नहीं रहता।
सुख भाव में केतु हो तो माता को ऑपरेशन करवाना पड़ता है।
शनि सुख भाव में होने से माता की रीढ़ की हड़ी में नुक्स होगा।
दशम में सूर्य मंगल हो तो जातक की पिता से नहीं बनती।
शुक्र के साथ पापी ग्रह लग्न या सप्तम में हो तो जातक का चरित्र ठीक न होगा।
पंचम, अस्थम, भाग्य, द्रादश स्थान पर शनि मंगल या राहु हो तो हथकड़ी जरूर लगेगी।
द्रादश में बुध हो तो कर्जा हमेशा सर चड़ा रहेगा।
धन भाव का स्वामी अगर छटे , अस्थम या द्रादश में हो तो कभी कारोबार व्यापार मत करे घाटा होगा , नौकरी से लाभ होगा।
शनि 12 वे स्थान में जातक को हथकड़ी जरूर लगे।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.