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Sunday 31 March 2019

आखिर क्यों पंचक को अशुभ माना जाता है ?


        कल 1 अप्रैल प्रातः 8 : 21 से 5 अप्रैल सुबह 5 :55 तक पंचक है। अधिक जानकारी के लिए या कुण्डली अध्ययन के लिए सम्पार्ह करें +91 9417355500  


किसी भी शुभ कार्य करने से पहले अच्छा महूर्त देखा जाता है जिसमे पंचक का  काफी महत्व होता है। चन्द्रमा एक राशि में ढाई दिन रहता है और चन्द्रमा ढाई दिनों में  कुम्भ और मीन राशि में रहता है तो उसे पंचक कहा जाता है।  आप सभी जानते है की कुल 27 नक्षत्र होते है और अंतिम 5 नक्षत्र दूषित  माने गए है। यह नक्षत्र धनिष्ठा, शतभिक्षा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती होते है।  हर नक्षत्र के चार चरण होते है। पंचक धनिष्ठा के त्रितये चरण से प्रारंभ हो कर रेवती नक्षत्र के अंतिम चरण तक होता है। तो यह पांच दिन पंचक होता है। पंचक यानि पांच दिन। पंचक दिनों में यां नक्षत्रों में लकड़ी तोड़ना, तिनके तोडना, दक्षिण दिशा की तरफ यात्रा, दाह संस्कार , मकान की छत डालना, चारपाई बुनना, पंचकों में हानि, लाभ एवं व्याधि,आधी पांच गुना , त्रिपुष्कर में तिगुना लाभ या हानि होती है। विधिवत नक्षर पुजा, दान एवं भोजन करवाना शुभप्रद होता है। प्रेत दाह अथवा किसी अन्य कारण से हानि की आशंका हो तो किसी विद्वान से पुजा अर्चना कर के शांति करवानी चाहिए

Saturday 30 March 2019

HOW TO FIND OUT BHADKA AND THE PLANETS OF FATE IN BIRTH CHART?

In general we can state that the YOG KARKA planet is the planet of fate in the natal chart. This planet will be lord of houses of 1st,4th,7th, 10th and also a lord of trikona houses i e 5th and 9th house and secondly 9th house lord to be considered as the planet of fate. Four Kendras are the most important i e 1, 4, 7 and 10 house and if kendra has no planets, then find out the planet of fate in houses number 3, 5, 9, 11 and if these houses are vacant in natal chart then, search the planet of fate from house number 2, 6, 8, 12 . The search may be done from birth, Moon and Sun chart.The exalted planet if occupies house number 1 or 2 or in its own exalted house in annual chart then the results may be exalted. Like that BHADAK planet(planet creating obstacles) be find out from horoscope. If LAGNA is movable sign then the bhadka planet will decide from 11th house. If lagna is immovable sign then the bhadaka will be from 9th house and if lagna is duel sign than the bhadka stahan will be 7th house.Wear Gem Stone of the planet of fate to strengthen it power to get more good results and remedies may be adopted to ward of the evil effects of Bhadak planet. Contact for analysis of horoscope +91 9417355500

Thursday 28 March 2019

आज के राहु काल में क्या करें और क्या न करें ?


दिनांक मार्च 30,2019 दिन शनिवार को राहु काल जालंधर पंजाब  में  9 :28 सुबह से 11:00 बजे तक माना जाता है। इसका समय अलग-अलग जगहों पर भिन्न होता है मगर ज्यादा से ज्यादा 30 मिनट के अंतर से ज्यादा नहीं होगा आज के राहु काल में क्या करें और क्या न करें ?

राहु काल में कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत मत करें।जैसे यात्रा का प्रारम्भ, शादी विवाह, जमीन का क्रय विक्रय या प्लाट,घर, दुकान, फैक्टरी की खरीद फरोख्त, किसी को पैसा देना, बैंक में से कर्ज लेना, ग्रह प्रवेश, सोना खरीदना या बेचना, भवन निर्माण शुरू करना।
अगर कोई कार्य राहु काल में करना पड जाए तो पहले राहु का उपाय करना जरुरी है।
उपाय राहु की कुण्डली में स्थिति देख कर ही करना चाहिए।
कुण्डली के विश्लेषण के लिए सम्पर्क सूत्र +91 9417355500

वास्तु और रंग चिकित्सा

चाहे कारखाना, उद्योग, दुकान या घर हो सभी में रंगों का बहुत महत्व होता है। वास्तु में रंगों को बहुत महत्व दिया जाता है।  हमारी भावना और रंगों का आपस में मेल होने से सकारत्मक प्रभाव पड़ते है। प्रत्येक मनुष्य को अलग-अलग रंग पसन्द आते है।  विभिन्न रंगों को वास्तु में  विभिन्न तत्वों का प्रतीक माना जाता है जैसे भूरा पृथ्वी , नीला रंग जल का,लाल रंग अग्नि का प्रतीक माना जाता है।  रंगों का मनुष्य पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव होता है। 

लाल रंग का अगर सकारात्मक प्रभाव हो तो यह शक्ति, प्रसन्नता ,प्रफुल्ल्ता , साहसीपन को बढ़ाता है। अगर यही  नकारात्मक प्रभाव दे तो मन में डर देता है वासना को बढ़ाता है आक्रमण करने वाला बनाता है। लाल रंग की दिशा पूर्व और दक्षिण है और ग्रह सूर्य और मंगल है। 

काला रंग अगर  सकारात्मक है तो  शक्ति और काम का प्रीतक माना जाता है अगर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा हो तो यह अपराधी मनोवृति को बढ़ाता है।राहु  और केतु छाया ग्रह इस के प्रतीक है। 

पीला रंग अध्यात्म को बढ़ाता है मन में दया और करुणा पैदा करे और अगर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा हो तो यह स्नायुतन्त्र को विनाश की हद तक प्रभावित करता है। यह रंग क़ायरता , पूर्वाग्रह की प्रवर्ति  का प्रतीक माना जाता है। उत्तर और पूर्व दिशा का प्रतीक है और ग्रह गुरु होता है। 

हरा रंग शांति का प्रतीक है शामक और शीतल है और अगर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा हो तो यह स्वार्थ, ईर्षा और आलस्य को बढ़ाता है। उत्तर दिशा और बुध ग्रह इस का प्रतीक है। 

नारंगी महत्वाकांक्षा, जीवंतता , आत्मसमर्पण अगर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा हो तो बेचैनी और अधिक आसक्ति से घबराहट होती है। सूर्य ग्रह इस का प्रतीक है और पूर्व दिशा होती है। 

इंडिगो रंग आरोग्य दायक और विकास का प्रतीक हे अगर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा हो तो यह तो कार्यो में असफलता और मानसिक कष्ट होते है।

नीला रंग शीतलता देता है और पीड़ा हरने वाला होता है  अगर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा हो तो अवसाद पैदा करता है। गहरा नीला शनि का प्रतीक है और इसकी पश्चिम दिशा है। हलका नीला शुक्र का प्रतीक है और दिशा दक्षिण-पूर्व है। 

कुण्डली और वास्तु को मिला कर रंगों का चयन करने से घर, फैक्टरी, हस्पताल, दुकान में वास्तु दोष खत्म करने और सुख, समृद्धि को बढ़ाने में मदद मिलती है। कारोबार को चलाने के लिए सम्पर्क करें +91 9417355500  ा


 



Tuesday 26 March 2019

कारखाना बंद होने के कारण? वास्तु और ग्रह दोष

फैक्ट्री या कारखाना लगाने से पहले अगर कुण्डली का विश्लेषण और वास्तु नियमों का पालन किया जाए तो उद्योग में बड़ोतरी होनी निश्चित है। प्लाट की दिशा दशा देख कर और कुण्डली में ग्रहों को देखने के बाद ही फैक्टरी का निर्माण करना चाहिए।  यहाँ पर कुछ साधारण वास्तु नियम दिए जा रहे है जिन को अपना कर उद्योगपति आर्थिक उन्नति प्राप्त कर सकता है। मंगल और शनि कुण्डली में अस्त, नीच राशि का होने से फैक्टरी बंद  जाती है। 

  • शेरमुखा प्लाट और उस का मुख्य द्वार पूर्व-उत्तर की तरफ हो, पूर्व-उत्तर हमेशा दक्षिण-पश्चिम से नीचा हो। 
  • भारी सामान या कच्चा माल दक्षिण-पश्चिम में रखें। 
  • पार्किंग उत्तर-पश्चिम में हो। प्रसाशक विभाग पूर्व-उत्तर दिशा में होना चाहिए। प्रशासक की कुर्सी का मुँह पूर्व-उत्तर की तरफ हो जिससे ग्राहक का मुख  दक्षिण-पश्चिम में  हो जाए। 
  • पानी की व्यवस्था टूबवेल वगेरा ईशान कोण में उचित रहती है। 
  • धर्मस्थान  ईशान कोण में बनाना चाहिए।
  • सिक्योरिटी गार्ड का कमरा उत्तर पश्चिम दिशा में होना चाहिए। 
  • बगीची ईशान कोण में होने से बरकत रहेगी। 
  • कर्मचारिओं के आवास वायव्य कोण में होना चाहिए और कभी भी बहुमंजली न हो या फैक्ट्री से इस की ऊंचाई ज्यादा ना हो।
  • शोचालय पश्चिम,दक्षिण या वायव्य कोण में होना ज्यादा अच्छा रहता है। 
  • मालिक का कमरा हमेशा प्रसाशनिक भवन के दक्षिण-पश्चिम कोण में होना चाहिए। 
  • कैशियर को हमेशा उत्तर की तरफ मुँह कर के बैठना चाहिए। कॅश बॉक्स में हमेशा बिली की जेर हल्दी दाल कर लाल कपड़े में रखें। https://m.facebook.com/daljitastro
यह सब बातें अपनाने से भी अगर फैक्टरी बंद हो गई है ?, लेबर टिकती नहीं ?, काम छोड़ कर भाग जाती है?, माल का पैसा वापस नहीं मिलता?, मुकदमेबाज़ी शुरू हो गई है?, फैक्टरी बंद हो गई है?कर्जा बहुत हो गया  हो और फैक्टरी  की नीलामी होने वाली है ? अगर यह सब आप के साथ हो रहा है तो कुण्डली का अध्ययन करवाए। संपर्क  करें +94 9417355500 (janakastro.blogspot.com)


Monday 25 March 2019

श्रीमती समृति इरानी और श्री राहुल गाँधी कौनजीतेगा 2019 चुनावों में ? एक ज्योतिषये विश्लेषण


चुनावों के  दंगल में सब उम्मीदवारों  और दलों द्वारा जीतने की भरपूर कोशिश की जा रही है। यहाँ आज हम श्रीमती इरानी और श्री राहुल गाँधी की कुंडलियों का तुलनात्मक विश्लेषण पराशरी ज्योतिष और लालकिताब विधिओं द्वारा कर रहें है। यहाँ जो जन्म तारीख ली गई है वह गुग्गल में से प्राप्त की गई है। यह ज्योतिष विश्लेषण किसी को लाभ यां हानि पहुचाने के लिए नहीं किया जा रहा। श्री राहुल गाँधी का जन्म 19 जून 1970 को सुबह 6 बजे दिल्ली में हुआ। श्रीमती समृति इरानी का जन्म 23 मार्च 1972, 12:00 बजे दिल्ली में हुआ बताया जाता है। 

राहुल गाँधी का जन्म मिथुन लग और धनु राशि में हुआ था जिसके अनुसार साढ़ेसाती चल रही है जिससे प्रत्येक कार्य में अड़चन आएगी। 7 मार्च 2019 से राहु लग्न में गोचर कर रहा है जिस से शारारिक कष्ट होंगे।  शनि, केतु और गुरु धनु और फिर अप्रैल 2019 में चन्द्र पर गोचर करेंगे जो इतना लाभप्रद ना होगा। गोचर में शनि 7 वे भाव में होने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करवाता है। 

लालकिताब के वर्षफल (49 वर्ष)  में सूर्य और मंगल दोबारा अपने स्थान लग्न में विराजमान होने से सफलता निश्चित होगी। मगर राहु एकादश भाव में आने से मेहनत क पूर्ण फल ना मिलेगा। उसके लेया अगर सोने की जंजीरी(Gold Chain) गले में धारण करने से लाभ की प्राप्ति हो और सोना मिटी न होगा। 

श्रीमती समृति इरानी  की कुण्डली में गोचर का राहु लग्न में  शनि, केतु धनु राशि में और गुरु धनु और फिर अप्रैल 2019 में 8 वी राशि में  गोचर करेंगे जो इतना लाभप्रद ना होगा। गोचर में शनि, केतु  7 वे भाव में होने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करवाता है। बुध में शनि की दशा 23 जुलाई 2019 तक चलेगी। बुध लग्न का स्वामी होने से वाणी का प्रभाव लोगो पर अच्छा डालेगा।  शनि अष्ठम मारक स्थान का स्वामी सप्तम मारक भाव में बैठा होने से ज्यादा लाभ न मिले। 

लालकिताब के वर्षफल (48 वर्ष) में राहु पराक्रम भाव में बैठा होने से दुश्मनो पर विजय दिलाता है। लालकिताब में धोखे के ग्रहो का जिक्र आता हे की अचानक धोखा होता है वर्षफल में चन्द्र की अस्टम दृस्टि शुक्र पर और केतु की अस्थंम दृस्टि राहु पर , गुरु की अस्टम दृस्टि मंगल और शनि पर होने से धोखा होने की आशंका है।  राहु तीसरे पराकर्म भाव में बैठा होने से सफलता होनी निश्चित है। अगर देखा जाए तो ग्रह तो श्रीमती समृति इरानी के श्री राहुल गाँधी से ज्यादा ताकतवर है। जीत का मार्जिन बहुत कम मतों से होगा। 

                                                                 कर  भला  तो  हो  भला  अंत   भले  का  भला 


Saturday 23 March 2019

PLANETS CAUSING DISEASES AND THEIR REMEDIES IN RED BOOK(लालकिताब)

Red Book( लालकिताब) has given a detailed discerption about the relationship of ailments and planets. Here is the list of diseases and the malefic planets which cause the disease. We can adopt the remedies to appease the malefic planets in the horoscope. If there are recurring cause of ill health in the house, following remedies may be adopted.

Keep yellow pumpkin fully ripened at the place of worship off and on at least once in a month.But you have to make sure  that pumpkin is cooked and distributed among the devotees

Keep two copper coins under your pillow on Friday night and throw them in the cremation ground on Saturday or in a deserted place. One will get divine help.

For continuously thirty days give some coins to the sweeper. This is previous birth debt so you have to pay it to get relief from the recurring diseases.

Prepare sweet chapaties and feed the crows and dogs once in a month. Number of sweet chapaties be more than the numbers of family members and the guests comes therein.

  • Jupiter causes Asthma, lung diseases so one must adopt the remedies for Jupiter.
  • Sun causes irregular heart beat (when not helped by moon), epilepsy, insanity, blood pressure( mercury in no. 12 and Sun in no. 6), froth from mouth and loss of sensation.
  • Moon causes Heart problems, epilepsy, eye ailments, irregular heartbeat, fits and restlessness.
  • Mars causes diseases of stomach and intestine, ulcers, diarrhoea, cholera and liver problems.
  • Mars (malefic) causes ulcer, boils, and uterus problems.
  • Venus causes skin diseases, eczema, ringworm, boils etc. ( pierce the nose)
  • Mercury causes smallpox ,disease related to brain, insensitive to smell, ailments of teeth and veins (if mercury is in no. 10 and Sun is in no. 6), Blood pressure.
  • Saturn causes eye ailments, cough, asthma, (throw coconut in the river)
  • Rahu causes fever, brain disease, accidents, sudden loss.
  • Ketu causes arthritis, venereal diseases, boils, cancer, urinary troubles,ear ailments, spinal cord problems, hernia, sciatica,dislocation of limbs, early semen ejection.
Remedies can be suggested after analysis of horoscope. Contact for personalised systematic study of horoscope + 91 9417355500

Friday 22 March 2019

THE PHYSIOLOGICAL INFLUENCES OF THE PLANETS : PTOLEMAIC ASTROLOGY

Ptoloemy examined the influences of the planets to discover the effects they produce on the mind. I am fond of his discoveries by him on every aspects of planets and their effects on human mind and as I think he has given too much importance to mind as mental diseases are more dangerous than physical.

         " Now the mind is liable to impulse in a multiplicity of directions .. for the different qualities of the signs, containing Mercury and the Moon, or such stars as held any influences over those two, are well competent to contribute towards the properties of the mind; so like wise are the configurations made with the Sun and the angles..."

The fixed signs make the mind just, uncompromising, constant, firm of purpose, prudent, patient, industrious, strict, chaste, mindful.

                                       Mental effects of the planets 

Saturn as ruler, and governing Mercury and Moon, " and if position in glory, both cosmically and with respect to the angles, will make men careful of their bodies, strong and profound in opinion , laborious, hostile to crime, accumulator of wealth, violent , and if not in glory cosmically and as regards the angles,he will debase the mind, ill- disposed, timorous, repining,void of natural affection, incapable of enjoyment and negligent of the body.

SATURN IN ASPECT WITH JUPITER: If GOOD;   virtuous, respectful, obliging, affectionate in all domestic time, mind prudent, patient and philosophical. If BAD; highly superstitious, yet regardless of religion.
SATURN IN ASPECTS WITH MARS: If GOOD; diligence,free in speech, pitiless, bold.. If BAD; impatient, insolent, mischievous...(https://m.facebook.com/daljitastro)
SATURN IN ASPECTS WITH VENUS: If GOOD; makes men averse to women, prone to solitude, regardless of rank, singular in opinion, addicted to divination and to religious services and mysterious.. and If BAD; adulterous, drunken and suffocates at holy rites; hesitating at nothing.
JUPITER IN ASPECTS WITH MARS:If GOOD; skilful in military affairs, dictatorial , refractory,daring, free in speech... If BAD; mischievous, reckless, cruel....
Like that we have to see the effects of Jupiter-Venus, Jupiter with Mercury, Mars with Venus, Mars with Mercury, Venus with Mercury. Contact for analysis of horoscope +91 9417355500
The position of Mercury and Moon plays a vital role in day to day life as the Mercury and Moon is a sole ruler of mind and it is rightly said "A SOUND MIND IN A SOUND BODY" 
                                                                Try To Be Pious 

Thursday 21 March 2019

नशे का आदी बनाने वाले ज्योतिष योग और कैसे पाये छुटकारा?

नशे  का आदी  बनाने वाले कई ज्योतिष योग होते है जिन का बालक के बचपन में ही कुण्डली के अध्यन द्वारा समझ कर उपायों द्वारा कुछ हद तक घटाया जा सकता है यां पूर्ण रूप से ख़त्म किया जा सकता है। आज कल लोगों में नशे की आदत ज्यादा ही होती जा रही है।  नशों में  भांग, गांजा, चरस, अफीम, शराब, कोकीन, हेरोइन और बिमारिओं के इलाज में प्रयोग होने वाली  दवाईओं  गोलियां और कैप्सूल के  रूप में  प्रयोग होता है। नशों का आधी होने वाले कई योग है जैसे : जिस जातक का शनि 1 , 2 , 4  और 12 वे भाव में बैठा हो और चन्द्र से सम्बन्ध बनता हो तो शराब या नीच राशि मेष का हो तो नशे की लत से छुटकारा  पाना मुश्किल होता है। इन जातकों कोनशे की वजह से  जिगर (Liver) का रोग होता है। यह योग और भी प्रभल हो जाता है जब लग्नेश या दूसरे भाव का स्वामी कुण्डली में कहीं पर भी साथ बैठा हो, या पूर्ण दृस्टि डालता हो। 

शनि और चन्द्र की युति हो और सूर्य नीच राशि तुला के कुंडली में तो व्यक्ति किसी भी नशे को लेने में संकोच ना करेगा। कुण्डली का सूक्षम अध्यन करने के बाद ही उपाय करने से इस बुराई से छुटकारा पाया जा सकता है। एक साधारण उपाय को प्रयोग में ला कर नशे की इस लत को कम करने में मदद मिलती है। आप को किसी घोड़े या घोड़ी जिस को दौड़ कर पसीना आया हो,  किसी साफ़ नए सफेद कपड़े से यह पसीना घोड़े की पीठ से पोंछ लें। इस कपड़े को दो लीटर पानी में डुबो दें। अच्छी तरहे से निचोड़ दे की पसीना पानी में मिल जाए। इस पानी पर अपने ईस्ट देवता का जप 1001 बार करे और प्रार्थना करें की जातक जिस को इस लत से मुक्ति दिलानी हो।  रोजाना 41 दिन लगातार उस मनुष्य को लगभग 30 -40 मिलीलीटर पानी पीने को दें या किसी खाने की वस्तु में मिला कर दें। परमात्मा चाहेगा तो इस पानी को पिने वाला नशे से छुटकारा पा लेगा। कुण्डली के गहन अध्यन के लिए संपर्क करे +91  9417355500  ेंजो 

                                        

Wednesday 20 March 2019

Sins of Forefather in the Horoscope

Lal Kitab(लाल किताब) explained the theory of पितृ ऋण in which child has to pay for what his forefathers committed in their life, forefathers like father or grand father also from maternal side. This is not a natural justice that someone else should pay for the sins committed by his/her ancestors, but it is a hard fact that children often become scapegoats for the misdeeds of their parents and grand parents. This is in Hindu mythology and we call it  कालचक्र। Even exalted planets became mute spectators when forefathers sins visit upon the children. For example if an ancestor has killed a person and could not punished in his lifetime then the debt will be paid by the coming generation. 

jupiter is exalted in 2,5,9,12 houses in the horoscope and if enemy planets Rahu, Mercury, Venus are situated their then Jupiters sin of forefathers will have to atoned by children.

Sun is exalted in 5th house and if enemy planets of Sun i e Saturn, Rahu, Ketu and Venus are placed in 5th house then the children will have to pay for the sin he has not committed.

Moon is exalted in 4th house and if ketu is situated there , this is a kind of perpetrated on mother i e treating her badly. And like that for other planets
So like that some sins we have not committed in this birth but we have to pay for that. In Lal Kitab(लाल किताब) there are certain remedies prescribed and while adopting these remedies person can free himself from the sins of their forefathers, that would be better if the remedies are done before the age of each planet like span of the Jupiter is 16 years, Sun 22 years, Moon 24 years, Venus 25 years, Mars 28 years, Mercury 34 years, Saturn 36 years, Dragon Head or north node of Moon( राहु ) 42 years and Dragon Tail (केतु ) 48 years. Before the age of planet we have to do the remedies for best possible results. Contact for analysis of horoscope +91 9417355500 (https://m.facebook.com/daljitastro

Tuesday 19 March 2019

क्या योगनी दशा धान्या देगी श्री नरिंद्र मोदी को फिर प्रधानमंत्री की कुर्सी ? ज्योतिष विवेचन

 2019 में क्या नरेंद्र मोदी फिर बनेगे भारत के प्रधानमंत्री और के सिर पर फिर सजेगा ताज या यह डगर इतनी आसान न 

होगी ? यह सवाल आज पर्त्येक भारतीय के मन में आ रहा है। वर्तमान समय के प्रधानमंत्री का जन्म 17 सितंबर 1950 को 

11 बजे सुबह मेहसाना, गुजरात में हुआ था। उनका जन्म वृश्चिक लग्न में हुआ इस लग्न में पैदा जातक जिद्दी सवभाव का 

होता है जिस कार्य को करने की ठान ले उसे पूरा करता है। लग्न में स्थिर राशि होने से लम्बे समय तक कार्य करने की 

क्षमता होती है। मंगल सवराशि होने से साहस कुट कुट कर जातक में भरा होता है। लग्न में चन्द्र नीच राशि का है मगर 

मंगल साथ होने से नीचभंग हो जाता है। 

                                                            जन्म कुण्डली श्री नरिंदर मोदी
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26 मई 2014 को उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी इस समय चन्द्र की विशोत्तरी महादशा में अन्तर राहु का

29-4 -2013 से  29 -10 -2014 तक  था। अब चन्द्र में केतु का अंतर् 1 मार्च 2019 से 29 सितंबर 2019 तक रहेगा।

योगनी दशा धान्या 26 जनवरी 2018 से 26 जनवरी 2021 तक चलेगी जो की बहुत ही उत्तम फलदायक रहेगी। योगनी

दशा धान्या में अंतर् उल्का का 26 जनवरी 2019 से 26 जुलाई 2019 तक चलेगा। जिसमें बहुत सावधानी से कार्य करने

होंगे क्युकि इल्जामात बहुत लगेंगे। मेहनत ज्यादा करनी पड़ेगी।  जोड़ तोड़ कर के सरकार बन पायेगी। केतु असिथरता

पैदा करेगा। केतु वैराग्ये की भावना उत्पन करेगा।  मन में टिकाव नहीं रहेगा। आरोप लगेंगे। 

17 सितंबर 2015 से 17 सितंबर 2021 तक कुम्भ की चर दशा चलेगी। कुम्भ सिथर राशि है और जन्म राशि  वृश्चिक से

मित्रता नहीं रखती। जो हर कार्य में अड़चन पैदा करेगी। अपने लोगो से दुश्मनी बड़ेगी। 2014 के चुनावों जितनी सफलता

नहीं मिलेगी।  मगर ज्योतिष विश्लेषण में योगिनी दशा धान्या के कारण फिर से प्रधानमंत्री की कुर्सी प्राप्त होगी पर केतु

मन में विरह की भावना देगा इससे यह भी संभव है की और किसी व्यक्ति को यह पद दिलाने का मन में विचार आ जाए। 
                                         कर   भला  तो  हो  भला  अंत  भले  का  भला 

Sunday 17 March 2019

क्या 2019 में राहुल गाँधी प्रधान मन्त्री पद तक पहुँच पाएंगे? ज्योतिष विश्लेषण

क्या 2019 में राहुल गाँधी प्रधान मन्त्री पद तक पहुँच पाएंगे? इस सन्दर्भ में राहुल गाँधी जो इस समय इंडियन नैशनल कांग्रेस के प्रधान पद पर आसीन है की कुंडली का अध्यन करने पर कुछ तथ्य उजागर होते है। वर्ष  2019  में लोकसभा चुनावों की तिथिओं का ऎलान होने के साथ चुनावी सरगर्मिओं में तेजी आ गई है। 19 जून 1970 को राहुल गाँधी का जन्म देहली में 5:50  सुबह  का लिया गया है मगर कई जगहे 18 जून 1970 भी कुंडलिओं का विश्लेषण किया गया है। यहाँ पर इसी लिए चन्द्र कुण्डली से भी विचार किया गया है। 

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इस कुण्डली का विश्लेषण किया जाए तो राहुल गाँधी को यूथ कांग्रेस की प्रधानगी का पदभार 25 सितम्बर 2007 को मिला था। उस समय चन्द्र में चन्द्र की दशा चल रही थी।  चन्द्र नीच राशि में बैठा होने से पूर्ण फल ना दे सका अड़चनों से ज्यादा वास्ता रहा। 16 दिसंबर 2017 को इंडियन नेशनल कांग्रेस के प्रेजिडेंट का पद भार सम्भाला।  इस समय मंगल में राहु का अंतर और शनि का प्रत्यंतर चल रहा था।  मंगल छटे भाव( रोग और शत्रु भाव ) का स्वामी है और शनि नीच राशि का होने से परेशानी बढ़ती ही जा रहीं है। https://m.facebook.com/daljitastro

लग्न का स्वामी बुध 12 वे स्थान पर बैठा है।  बुध ग्रह बुद्धि पर और वाणी पर प्रभाव रखता है और बुध 12 वे स्थान में लालकिताब के अनुसार नीच का माना जाता है , इस लिए वाणी और बुद्धि पर अच्छा असर नहीं मिलता। दशम भाव प्रोफेशन के बारे में बताता है जो पांचवे स्थान पर बैठा पूर्ण फलदायक नहीं होता। 2 रे भाव में शुक्र 9 अंश का होने से पूर्ण फल नहीं दे रहा। सूर्य और मंगल सप्तम पर पूर्ण दृस्टि डाल रहे है जो विवाह में बाधक है। इन परस्थितिओं में अच्छा राजनेता बनने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। 
गोचर में राहु 7 मार्च 2019 से इस कुण्डली में लग्न में बैठा होने से सेहत को नुकसान देगा। साढेसाती भी चल रही है जो मार्च 2020 को ख़त्म होगी। गुरु ग्रह गोचर में 30 मार्च 2019 से 22 अप्रैल 2019 तक धनु राशि में होने से कुछ आराम मिलेगा। मगर गुरु 22 अप्रैल 2019 से पुन: वृश्चिक राशि   करेगा और 5 नवम्बर 2019 तक तक यहीं पर रहेगा। जब गुरु चन्द्र पर आते हैं तो फल अच्छे नहीं मिलते। स्टेलर ऑक्यूपेशनल इफेक्ट्स ऑफ़ जुपिटर Stellar Occupational Effects Of Jupiter में इसके बुरे फल बताये गए है इस में वर्णन है : When Jupier moves on Moon then there will be the ill effects on the native like fear, sorrows, disappointments, various illnesses, unwanted anxiety, all round difficulities. अगर इस को ठीक करने के उपाय किये जाये तो बुरे प्रभाव खत्म किये जा सकते है।  इसके लिए हवन , पाठ पुजा करने से काफी सुधार हो सकता है। 
निष्कर्ष में कहा जा सकता है की 2019 में श्री राहुल गाँधी का प्रधान मंत्री बनना मुश्किल प्रतीत होता है।  मगर प्रधान मन्त्री बनाने में अहम् भूमिका अधाकरेंगे। कुण्डली के विश्लेषण के लिए सम्पर्क करे 9417355500 
                                                   कर   भला   तो    हो    भला    अंत   भले    का   भला 
















Saturday 16 March 2019

सुमंतमणि की कथा - कलंक से मुक्ति

सुमंतमणि की कथा  सुनने से कलंक से मुक्ति  मिलती है ऐसा शास्त्रों में वर्णन आता है। जो मनुष्य भादों महीने में चाँद को देख ले तो उसे कलंक लगता है अपयश मिलता है , बिना अपराध किए दण्ड मिलता है, झूठे आरोप लगते है ऐसा लिखा गया है।  

दोहा - चाँद   चौथ   का   देखिए,   सोहन   भादों   मास।  ताते   लगेओ  कलंक   यह , अ ति  मन   भओ   उदास। 

जो मनुष्ये भादों मास की चौथी तिथि को चन्द्रमा देख ले उस पर कलंक लगता है।  भादों मास  अनुमनात अगस्त की 16  तारीख से 15  सितम्बर  तक माना जाता है।  

  दोहा - जो   भादों   की   चौथी    को   चाँद   निहारे   कोय ,  यह   प्रसंग   कानन   सुने ,   ताहि   कलंक   ने   होए। 

याद रखिए की भादों की चौथी तिथि को चाँद न देखा जाए और अगर देख लिआ है तो सुमंतमणि की कथा  सुनने से कलंक से मुक्ति  मिलती है। सुमंतमणि की कथा निशुल्क प्राप्त करने के लिए संपर्क करे 9417355500 


Friday 15 March 2019

नवग्रहों के दशांश हवन का महत्व

संसार में जो भी घटित होता है उस के अनेक कारण बतलाये जाते है जैसे जीव का प्रारब्ध अथवा पुरषार्थ , ईश्वर की इच्छा  जिस को समझना बहुत कठिन है, प्रकर्ति का नियमित प्रवाह। ज्योतिषशास्त्र में कहा गया है की ग्रह किसी नवीन फलका विधान नहीं करते , अपुति प्रारब्ध के अनुसार घटनेवाली घटना को पहले ही सूचित कर देते है - ग्रहा  वै  कर्मसूचका : ग्रहो की स्थिति , गति यानि गोचर ( Transits of planets) को समझने वाला ज्योतिष किसी भी व्यक्ति के जीवन को सही सही समझ कर सही भव्ष्यिवानी कर सकता है। 

प्रत्येक ग्रह का मन्त्र है जिस को निशिचत संख्या ने जप करने  लाभ होते देखा गया है।  मेरे अनुभव में देखने को आया है की अगर  दशांश हवन किया जाए तो लाभ जरूर होता है। दशांश हवन किस लकड़ी से किया जाए जिससे पूर्ण लाभ प्राप्त हो?। पूजा और हवन द्वारा  ग्रह को खुश कर के उस से लाभ प्राप्त करने का आसान तरीका है। जिस ग्रह का जो वर्ण हे उस ग्रह के वर्ण का रंग प्रयोग में लाया जाता है। भिन्न- भिन्न समिधायँ हवन करने में प्रयोग में लायी जाती है। सूर्य के लिए मदार यानि आक , चन्द्रमा के लिए पलाश, मंगल के लिए खैर, बुध के लिए अपामार्ग , गुरु के लिए पीपल, शुक्र के लिए गूलर , शनि के लिए शमी , राहु-केतु  के लिए दूर्वा और कुश  का प्रयोग होता है। इन  समिधायों से हवन करने से ग्रह देवता प्रस्सन होते है और जातक का किसी प्रकार का अनिष्ट नहीं करते। 

                                                   कर  भला  तो  हो  भला  अंत  भले  का  भला 

Thursday 14 March 2019

व्यवसाय व्यापार वृद्धि हेतु सिद्ध यंत्र

सौंदर्य लहरी आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित्त एक महान रचना है।  यह एक अनमोल ग्रन्थ है जिसके दो खण्ड माने जाते है  " आनन्द लहरी "और "सौंदर्य लहरी"जिसमे सिद्ध यन्त्र बारे वर्णन है। ब्रह्मा की शक्ति शिव है , शिव और शक्ति में कोई भेद नहीं, शक्ति की आराधना का मतलब ब्रह्मा की आराधना ही है।  एक अनुभूत यंत्र का यहाँ वर्णन विस्तार पूर्वक किया जा रहा है। पहले इस यंत्र का भेद सिर्फ अघोरिओ या साधु संतो के पास था और आज यह विद्या बुधिजीविओ के पास आ गई है। इस यंत्र को सिद्ध करने के उपरांत अपने पास रखने से व्यवसाय व्यापार में वृद्धि होती है। 

                     

उपरोकत मन्त्र  को सिद्ध करके इस यंत्र को रोजाना 21 दिन 1000 बार लिखे। इस को लिखने के लिए अनार की कलम, स्वर्ण पत्रा और केसर की जरुरत होती है। आजकल सवर्ण पत्र की जगह भोजपत्र पर यह यंत्र बनाया जाता है। ये यंत्र अत्यंत प्रभावशाली और चमत्कारी है। इस का प्रयोग अगर पूर्ण श्रदा और विश्वास 11 दिन ही करना है जिससे व्यवसाय व्यापार में समुचित प्रगति होती है।  किसी सिद्ध महूर्त में चंद्र ग्रहण , सूर्य ग्रहण , दिवाली या होली पर सिद्ध किया जाना चाहिए। 

ज्योतिष रिसर्च सेंटर होशियारपुर से यह सिद्ध यंत्र प्राप्त करने हेतु संपर्क करे  मोबाइल +91 7696129500 

Wednesday 13 March 2019

जुड़वाँ बच्चों(Twins)का भाग्य एक जैसा क्यों नहीं ?

           जुड़वाँ बच्चों(Twins)के ग्रह एक जैसे तो किस्मत एक जैसी क्यों नहीं होती? इस बारे में मैने "राजयोग" लेख  में समझाने की कोशिश की है की पिछले जन्मो के कर्म और हमारा व्यव्हार हमारे इस जन्म को प्रभावित करता है। इस लेख को आगे बढ़ाते हुए लालकिताब में फरमान नंबर 4 आलम को इल्म में शक क्या है ? में भी सही उत्तर मिलता है। 

                                                             समय करे नर क्या करे    समय बड़ा बलवान। 

                                                            असर ग्रह सब पर ही होगा    पंछी, पशु, इन्सान। 

यह संदेह होना लाज़मी है की एक बाप के दो बेटे दोनों भाई, एक शहर में दस बचे एक समय में पैदा हुऐ मगर कर्म अलग-अलग क्यों ? लालकिताब में इल्म क्याफा यानि हस्त रेखाओं का जिक्र किया गया है की दुनिआ में हर मनुष्य की हाथ की रेखायें अलग-अलग होती है।  किसी की हस्तरेखा दुनियां में दूसरे किसी भी व्यक्ति से नहीं मिलती। आप ने देखा होगा की कभी भी किसी के फिंगर प्रिंट्स (Finger Prints) आपस में नहीं मिलते इस लिए कुण्डली के अध्यन के साथ-साथ हस्त रेखाओं का अध्ययन करना भी जरुरी है।  दोनों इल्मों को इकठे देखने से मनुष्य के भविष्य बारे काफी कुछ जाना जा सकता है।  https://m.facebook.com/daljitastro

Tuesday 12 March 2019

ज्योतिष योग जो कभी असत्य नहीं होते

कुण्डली में कुछ ऐसे योग होते है जिन को देख कर जातक के बारे में भविष्यवाणी की जा सकती है जो प्राये सत्य साबित होती है। जन्म कुण्डली में ग्रहों की स्थिति देख़ते हुए भविष्यवाणी की सत्यता को परखा जा सकता है। 
किसी भी जन्म कुण्डली में अगर चन्द्रमा चार ग्रहों यानि शनि, मंगल, राहु और केतु से दृस्ट हो तो इस से पापकर्तरी योग बनता है इनमे से चाहे दो पापी ग्रह चन्द्रमा के साथ हो तब भी मनुष्य परेशानी और मानसिक यातना का अनुभव करता है। जब चन्द्रमा के साथ एक ही घर में शनि और राहु या शनि और मंगल तो वह व्यक्ति हमेंशा परेशानी में ही रहता है। ऐसा मनुष्य इतना परेशान रहता हे की पागल लगता है। https://m.facebook.com/daljitastro
यदि जन्म कुंडली में मंगल शुक्र  की युति मकर राशि में हो और दूसरे भाव में दोनों ग्रह हों तो दो परिणाम निकलते है। 
(१) यदि यह योग किसी महिला की कुण्डली में है तो  पिता गन्दी भाषा का इस्तेमाल गाली गलोच करने वाला होगा (२) ऐसा योग अगर किसी पुरष की कुण्डली में हो तो उस का चाचा हमेसा गन्दी भाषा की इस्तेमाल करने वाला प्राणी होगा। (३) इस योग में जन्मे मनुष्य की पत्नी यां पति का एक भाई होगा या यह प्राणी घर में सब से छोटा होगा।  (४ ) अगर मंगल शुक्र इकठे सातवें या दशम भाव में हो तो उसका चरित्र ठीक ना होगा। 
मंगल ग्रह अगर तीसरे भाव में हो तो ऐसा मनुष्य साहसी, लड़ाई में भाग लेने से कभी नहीं घबराता , साहस उस में कूट कूट कर भरा होता है।  दूसरों की मदद के लिए हमेशा बिना सोचे समझे बिना किसी देरी के तेयार रहता है। अगर शनि तीसरे भाव में हो तो व्यक्ति जल्दी किसी का मददगार नहीं होता। कुण्डली विश्लेषण के लिए संपर्क करें 919417355500 

ज्योतिष में ब्रह्मलोक व मोक्ष प्राप्ति योग


कुण्डली में ग्रहों की स्थिति को देखने उपरांत यह निर्णय किया जा सकता है  की मनुष्ये इस जन्म को भोगने के बाद मोक्ष को प्राप्त करेगा या नहीं। मोक्ष से भाव चौरासी लाख योनि में न जा कर यह जीवन भोगने के बाद परमपद प्राप्त करेगा या नहीं। 

  • यदि 11 वे भाव में सूर्य-बुध हों, 8 वे भाव में राहु और नवम भाव में शनि हो तो जातक इस जन्म में शुभ कर्म करता हुआ म्रत्यु के पशचात मोक्ष को प्राप्त करता है ऐसा ऋषिओं का कथन है। 

  • गुरु लग्न में हो, शुक्र सप्तम में, कन्या राशि का चन्द्रमा हो यां धनु लग्न में मेष का नवांश हो तो जातक म्रत्यु के पश्चात परमपद को प्राप्त करता है। 

  • कुण्डली में अष्ठम भाव आयु और  म्रत्यु का भाव है, गुरु , शुक्र और चन्द्र तीनो अगर अष्टम भाव पर शुभ दृस्टि डालतें हों तो जातक म्रत्यु के पश्चात मोक्ष प्राप्त करता है। 

  • लग्न में गुरु-चन्द्र , चौथे भाव में उच्च का शनि,सातवें भाव में उच्च का मंगल हो तो जातक म्रत्यु के पश्चात मोक्ष प्राप्त करता है। 
  • अष्ठम भाव पर शनि की पूर्ण दृस्टि हो और 8 वे भाव में मकर यां कुम्भ राशि हो यानि मिथुन या कर्क लग्न हो तो जातक  म्रत्यु के पश्चात मोक्ष प्राप्त करता है। 
यह योग कुण्डली में उपस्थित हों मगर इस जन्म में बुद्धि भ्रस्ट होने पर मनुष्य पाप कर्म करेगा तो उसे मोक्ष की प्राप्ति ना होगी ऐसा ऋषिओं का कथन है। 

                                                .....      कर भला हो भला      .....

Monday 11 March 2019

ऊपरी बाधा का सच

ज्योतिष दृस्टि में क्या भूत - प्रेत  होते है या नहीं  ?   जिस वस्तु का नाम धार्मिक ग्रंथो में मिलता है  उस वस्तु के इस संसार में होने में कोई संशय नहीं होना चाहिए।  इतिहास , कहावतों में ऊपरी कसर यां ऊपरी हवा के कई योग देखने और सुनने में आते है।  भारतीय ऋषिओं ने भी प्रेत बाधा  जिन्न भुत  प्रेतात्मा बारे जिक्र किया हे। पाश्चात्य पवित्र धार्मिक ग्रन्थ कुरान और बाइबल में भी बुरी आत्मओं का जिक्र आया है। 
भुत-प्रेत बाधा ग्रस्त मनुष्य आम तोर पर पागलों की तरह व्यवहार करते है। शरीर के किसी भी अंग पर बाधा का असर हो सकता हे जैसे हाथ पैर, कमर, छाती, मस्तिस्क, सिर और कई बार ऊपरी कसार के कारण लकवा भी हो सकता है।  मस्तिस्क पर सब से बुरा प्रभाव देखा गया है जिस के कारण मनुष्य पागलों जैसी हरकते करता है। 
ऊपरी कसर के लक्षण में व्यक्ति खोया - खोया सा रहता है एक ही वस्तु को लम्बे समय तक निहारता रहता है , बिना वजह मन में दर और घबराहट , मन उचाट , पीड़ित व्यक्ति को या तो नींद नहीं आती या ज्यादा समय सोया रहता है , हिचकियां यां उबासियां ज्यादातर सुबह शाम को ज्यादा आती है। चेहरे पर सूजन यां पीला पन देखने को मिलता है , आँखों के निचले हिसे में कालापन और बाल झड़ जाते हैं , मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है , वाणी और हरकतों पर नियंत्रण नहीं रहता , पीड़ित व्यक्ति जोर जोर से चिल्लाता है , कनपटी गर्म रहती है , सर के पिछले हिसे में भार बना रहता है, जोड़ों में दर्द रहता है , घर में हमेशा कलेश बना रहता है। 
अगर ऐसे लक्षण हों तो किसी योग्य डाक्टर को दिखाया जाए और अगर लाभ नहीं होता तो किसी योग्य तांत्रिक,ओझा को दिखाना चाहिए। पीढ़ित व्यक्ति का मनोबल बढ़ाना चाहिए और उस के पास कोई चाकू, छुरी, कैंची रखें और लोबान, गूगल और हरमल की धूनी दें। यह सब किसी योग्य और अनुभवी तन्त्र जानने वाले व्यक्ति की सलाह से उसकी देखरेख में ही करें। 

पूर्व जन्म विचार (भाग 3 )

गुरु इस जन्म की कुण्डली में पंचम या नवम भाव में हो और सुबह ग्रहों से देखा जाता हो तो जातक पिछले जन्म में वात रोगी होगा ऐसा समझना चाहिए। https://m.facebook.com/daljitastro       Mob 91 9417355500

सूर्य 11 वे भाव में, 5 वे भाव में गुरु तथा 12 वे भाव में शुक्र इस बात का द्योतक है मनुष्ये पिछले जन्म में साधु संतों और धर्मात्मा लोगो का सेवक था और दान पुण्य करने में हमेशा आगे रहता था। ऐसा ऋषिओं का कथन है। 


Sunday 10 March 2019

पूर्व जन्म विचार ( भाग 2 )

पिछले जन्म बारे इस जन्म कुण्डली द्वारा ज्ञान हासिल करना 

बालक की जन्म-कुंडली में अगर चार या इस से अधिक ग्रह अगर नीच राशि में हों तो निशचय ही पिछले जन्म में आत्महत्या की होगी। https://m.facebook.com/daljitastro       Mob 9417355500

जन्म-कुण्डली लग्न में तो यह स्पस्ट अगर  बुध अकेला हो तो यह स्पस्ट होता है की बालक पूर्वजन्म में बहुत से कलेशों से ग्रस्त रहता था  

जन्म-कुण्डली के 6 वे , 7 वे, 10 वे भाव में अगर मंगल ग्रह विराजमान हो तो यह स्पस्ट होता है की जातक पिछले जन्म में अत्यंत क्रोधी सवभाव का था और बहुत लोग उस से दुखी रहते थे। 

यदि जन्म-कुण्डली में सूर्य छटे , आठवें या बाहरवें भाव में तुला राशि का हो  हो तो जातक पूर्व जन्म में पाप कार्यों में भ्रस्ट जीवन व्यतीत करने वाला जानना चाहिए। 

पूर्व जन्म विचार(Part-1)

ऋषिओं मुनियों ने अपनी दिव्य दृस्टि द्वारा यह निष्कर्ष निकाले की इस जन्म की कुण्डली द्वारा कैसे जाना जा सकता है की मनुष्य पिछले जन्म में किस योनि में था। लग्नस्थ गुरु इस बात का सूचक है  की बालक पिछले जन्म में वेदपाठी ब्राह्मण था  और अगर  गुरु  उच्च का हो कर लग्न को देखता हो तो बालक पूर्व जन्म में धर्मात्मा , विवेकशील  साधु  अथवा तपस्वी था। ऐसा ऋषिओं का कथन है। लग्न यां सप्तम भाव में अगर शुक्र हो तो पूर्व जन्म में बालक प्रसिद्ध धनवान था और भोगी जीवन बिताने वाला था ऐसा कथन किया गया है। Mob 91 9417355500



Saturday 9 March 2019

राजयोग

                            ज्योतिष शास्त्र वास्तव में कर्तव्य शास्त्र और व्यवहार शास्त्र है 

राज योग से भाव कुण्डली में कौन से योग बनते हैं की मनुष्ये सब सुख संपन होता है। एक घड़ी - महूर्त में अनेक जातकों ने जन्म लिया होता है उनमे से एक राजा बन गया दूसरा व्यापरी तीसरा मजदुर तो ऐसा क्यों होता है ? यह सवाल कई लोगों के मन में उठता है।  एक समय जन्मे जुड़वाँ बच्चों का व्यवहार एक जैसा नहीं होता।  ऐसा क्यों ?
जन्म कुण्डली का अध्ययन करते हुऐ व्यक्ति का जन्म किस घराने , देश में हुआ देखना जरुरी होता है। मगर कई बार राजघराने में जन्म लेने पर भी मनुष्य कंगाल हो जाता है और भिखारी के घर जन्म लेने वाला भी राजा जैसे जीवन व्यतीत करता है। इस के पीछे कुछ कारण होते है। 
इस का कारण और निवारण ध्यान से पड़े;    एक राजा ने अपने दरबार में यही सवाल किया की मेरे जन्म के समय कई लोगो ने जन्म लिए तो सब मेरे जैसे राजा क्यों न बने ? दरबार में चुपी छा गई    ......  मगर एक विद्वान ने राजा से कहा यहाँ से कुछ दूर जंगल में एक साधु आप के प्रश्न का उत्तर दे सकते है। राजा बताए पते पर साधु से मिलते है मगर साधु राजा को आगे एक और महात्मा का पता बतातें हैं की वही आप के प्रश्न का जवाब देंगे।  राजा की जिज्ञासा और बढ़ गई।  जब राजा उस महात्मा तक पहुंचे तो महात्मा ने राजा को बताया की पिछले जन्म में हम तीन भाई थे में आप और वह साधु जिस ने आप को मेरे पास भेजा।पिछले जन्म में हम तीनो शिकार खेलने गए और जंगल में  रास्ता भटक  गए। तीन दिन तक भूखे प्यासे भटकते रहे।  अचानक हमें आटे की पोटली मिली।  उस आटे से तीन रोटी बनी। जैसे ही हम रोटी खाने बैठे तो अचानक वहाँ एक महात्मा पहुंचे और बोले की में पांच दिन से भूखा हूँ।  मुझे खाने को कुछ दो - मुझ पर दया करो। मगर हम दोनों ने रोटी देने से मना कर दिया मगर तुम ने अपने हिसे से आधी रोटी महात्मा को दे दी।  रोटी खाने के बाद जाने से पहले राजा बोले, " तुम्हारा भविष्य तुम्हारे कर्म और व्यवहार से फले।" महात्मा ने कहा की आप के कर्म और  व्यवहार से तुम्हे राज मिला और हमें अपने कर्मो को सुधारने के लिए भक्ति। राजा को यह बात समझ आ गई की मूलत : ज्योतिष शास्त्र कर्तव्य और  व्यवहार शास्त्र है। 

Friday 8 March 2019

ज्योतिष एक ईश्वरीय ज्ञान

ज्योतिष एक ईश्वरीय ज्ञान है। ज्योतिष में बच्चे के जन्म से लेकर अंतिम समय तक उपयोगिता होती है और जन्म के आधार पर बनी कुंडली से किसी भी समस्या का समाधान किया जा सकता है। आकाश में 9 ग्रह , 12 राशियां और 27 नक्षत्र अपनी- अपनी कक्षा में गतिशील हैं। इन्ही सब का व्यक्ति पर अलग अलग क्या प्रभाव, कब और कितना पड़ेगा इसी के अध्यन का नाम ज्योतिष है। मनुष्य ईश्वर की इस संसार को अदभुत देन है। मनुष्य के बारे में ज्ञान हासिल करना ईश्वर की किरपा द्वारा ही संभव है क्योकि  ईश्वर की मर्जी के बिना ना तो मनुष्ये जन्म ले सकता है ना ही म्रत्यु होती है। 
         वेद के छ अंगो में से ज्योतिष प्रमुख अंग है जिसे नेत्र कहा जाता है। नेत्र ज्योति है जिस द्वारा सब वस्तुएं स्पस्ट देखी जा सकती है जैसे प्रकाश में प्रत्येक वस्तु देखी जा सकती है।  वेद के नेत्ररूपी ज्योतिष से कुछ भी छिपा नहीं रह सकता और ज्योतिष के अनुसार कुण्डली मनुष्ये के पूरे जीवन, चरित्र, और घटनाक्रम का दर्पण है।  यह सब भारतीय ज्योतिष में 9 ग्रह सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु की कुण्डली में स्थिति , किस अंश में है , किस राशि में है देखने के बाद  ही इन ग्रहों को उपायों द्वारा ठीक किया जा सकता है। 
          ज्योतिष्शास्त्र का एक भाग है जन्मकुंडली जिस को अंग्रेजी में "होरोस्कोप" ( Horoscope) कहा जाता है जो की यूनानी भाषा के शब्द "होरोस्कोपका " का रूप है जिस से भाव -  में देखता हूँ , जन्मते हुए ग्रहों को। ज्योतिष के दो भाग हैं  गणित और फलित।  गणित द्वारा कुण्डली का निर्माण होता है और फलित द्वारा फलादेश किया जाता है। 
भारत ज्योतिष् की शुरुआत सुमेर की सभ्यता से मानी जाती है।  सुमेरवासिओं  से पहले पश्चिम जगत के लिए ज्योतिष का द्वार खोला और नक्षत्रों का ज्ञान हासिल करने की शुरुआत की थी। इस काल में सातसौ फुट ऊँची मीनारें बनाई जिसपर चढ़ कर पुरोहित आकाशमण्डल का अध्यन करते थे। कुण्डली के अध्यन के लिए संपर्क करें 919417355500 

Thursday 7 March 2019

दशमांश से करें व्यवसाय- व्यापार का चयन


फलकथन में नवमांश और दशमांश कुंडली को विचारने का विशेष महत्व है।  भुवनदीपक ग्रन्थ में कुंडली विचारने के बारे में लिखा है। 
                                             इन्दु: सवर्त्र बीजाभो लग्न तु कुसुम प्रभम। 
                                             फलेन सद्शोंशशच् भाव : सवादुसम: स्मत्: 
अर्थात चन्द्रमा बीज, लग्न पुष्प, नवांश फल तथा भाव स्वाद के समान होता है। नवमांश और दशमांश से व्यापार और आजाविका का चयन किया जाता है। 
अगर मंगल ग्रह लग्न , नवमांश और दशमांश तीनो ही कुंडलिओं में मेष या वृशिचक राशि में हो तो ऐसा जातक सेना, पुलिस या अर्धबल सुरक्षा क्षेत्र में आजीवका प्राप्त करता है। चन्द्रमा वृष में उच्च का कर्क में स्वग्रही और  राशि में लग्न कुंडली में हो उसी राशि में नवमांश में हो तो वर्गोत्तम होता है ऐसा मनुष्य चिकित्सा (medical line) में उच्च कोटि का डॉक्टर, फार्मेसिस्ट या मेडिकल प्रबन्धन में होता है। ऐसा जातक दवायें बनाने वाली फैक्टरी में कार्य कर के लाभ प्राप्त करता है।  जल और दूध से सम्बंदित काम करने से लाभ प्राप्त करता है।
चन्द्र लग्न, सूर्य लग्न और जन्म लग्न यानि सुदर्शन चक्र से दशमांश को देखने से पता करे की दशमांश का अदिपति बलवान है यां कमजोर, इस से आजाविका का चयन करने में आसानी होगी। सूर्य उच्च राशि में यां मूल त्रिकोण में हो तो राजनीति में  या  सरकारी उच्च पद प्राप्त करने में सहायता मिलती है। 
दशम भाव में कोई भी वक्री ग्रह बैठा हो या उस पर दृस्टि हो तो फल मिलने में दिक्कत आती है। लग्न का स्वामी 12 वे भाव में या 12 वे भाव का स्वामी लग्न में बैठा हो और कर्मस्थान के स्वामी से सम्बन्ध बनता हो तो विदेश में कार्य करने से सफलता मिलती है। 
  नवमांश और दशमांश कुंडली में दशमेश सूर्य और बुध की युति मनुष्य को उच्च अधिकारी बना देती है। नवमांश में दशम भाव का स्वामी अगर उच्च राशि का हो और उस के ऊपर सौम्ये ग्रहों की शुभ दृस्टि हो तो व्यापर में लाभ मिलता है। 
ऐसे बहुत से योगो का नवमांश और दशमांश कुंडली से विचार करने पर इस बात का पता लगाया जा सकता है की व्यापार में लाभ होगा या नौकरी से अच्छा फल प्राप्त होगा। सही विश्लेषण सही दिशा के लिए सम्पर्क करे 91 9417355500 

राहु-चंद्र इकठे बनाते है ग्रहण

किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में अगर राहु और चन्द्रमा इकठे किसी भी भाव में हों तो चन्द्रमा को ग्रहण लगा होता है। ऐसे मनुष्य पर भयंकर आरोप लगते हैं जिस कारन उसे कारावास, मुकदमेबाज़ी,  परिवार में बड़े की अकस्मात् मृत्यु,  शारीरक अधात आदि घोर विपदाओं जैसे फल भोगने पड़ते है। तीसरे घर में दोनों का इकठा होना बुध और केतु का फल ख़राब करता है। बारहवे घर में दोनों का इकठा होनामाता और मन की शांति के लिए मंदा असर करता है। इन का मन्दा असर यां भूचाल 45 साल उम्र तक टेवे वाले पर पड़ेगा। दिल के फ़र्ज़ी वहम से मानसिक रोग होंगे 
सोने की सलाख को गर्म करके दूध में बुझा कर दूध पिने से लाभ होगा।  इसके इलावा चन्द्र ग्रहण के समय नारियल और बादाम दरिया नदी नाले में बहाना मुबारिक होगा।  

Wednesday 6 March 2019

कैसे पता चले के वास्तु दोष है ?

जैसे डॉक्टर को लक्षण जानने के बाद पता चल जाता है की क्या रोग है और रोग जानने के बाद उस का निदान मेडिसिन दे कर किया जाता है ऐसे ही वास्तु दोष के भी लक्षण होते है और इन दोषों को दरुस्त  किया जा सकता है। 
वास्तु दोष के लक्षण :-   बार बार एक के बाद एक घर में बीमारी आना , जिस की समझ चिक्तिसक को न लगे। 
                                  बिना किसी वजहे मशीनरी खराब होना और बार बार ऐसा होना। 
                                  लड़की का सुन्दर और पढ़े लिखे होने के बाबजूद भी विवाह ना होना। 
                                   घर में बिना किसी कारन कलेश रहना। 
                                  बच्चो का पढाई में मन न लगना मंदबुद्धि और उनका बुरी संगती में पड़ना और नशों की तरफ झुकाव। 
                                   घर में ज्यादातर लोगों की जबान में थुथलाहट पैदा होना , सुनने की क्षमता कम होना। 
                                  बिना वजहे डर  और भय का माहौल लगना , रात को नींद न आना , बुरे स्वप्न देखना। 
अगर आप को यह लक्षण महसूस हों तो यह वास्तु दोष के कारन हो सकता है। घर, दुकान, फैक्टरी ,हॉस्पिटल  के वास्तु दोषों की जानकारी के लिए सम्पर्क करें। .. 91  9417355500 
                              

                                
                                  

Tuesday 5 March 2019

शाप (Curse) दूर कैसे हों?

                                                       ज्योतिष समाधान 

प्रत्येक मनुष्य अपनी इच्छा के अनुसार तुरन्त फल प्राप्त करना चाहता है और जब उसकी इच्छापूर्ति नहीं होती तो उसे मानसिक और शारीरिक संताप झेलने पड़ते है क्योंकि कुछ व्याधियाँ ( Troubles like mental and physical diseases)  पुनर्जन्म के शाप और इस जन्म में किए कर्मो के फलसवरूप भोगने पड़ते हैं। ऐसी व्याधिओं के उचित निदान नहीं मिल पाते और ना ही औषदियाँ(Medicine) कारगर होती है। अगर प्रबुद्ध वेदों को समझने वाला व्यक्ति जान ले की यह व्याधि शाप (Curse, अनिष्ट कामना से किया गया कार्य )  के कारण है,  तो शाप जन्य व्याधि अथर्वेद काण्ड २ सूक्त ७ से जलावसेचन  और हवन करने से तीन दिन में दूर की जा सकती है। इसके अतिरिक्त रक्षा करण्ड , मणिबंधन से भी आधि-व्याधि दूर करने के विधान अथर्ववेद में हैं। कुंडली में शाप योग जानने के लिए सम्पर्क करें 91 9417355500

Sunday 3 March 2019

अथवर्वेदीय प्राकर्तिक जल चिकित्सा: शिवरात्रि पर विशेष

किसी भी औषदि का बिना योग्य वैद के परामर्श किये प्रयोग करने से विपरीत परिणाम हो सकते हैं।  आज शिवरात्रि के विशेष पर्व पर एक ऐसी जल चिकित्सा बताई जा रही है जिस को प्रयोग में लाने से किसी प्रकार की हानि की संभवाना नहीं है।  लाभ ही लाभ होता है। 
किसी प्रवहशील नदी या कुआँ का जल 400 ग्राम लेकर आग पर रखें और उस में शुद्ध सोने का 5-6 ग्राम का टुकड़ा डाल कर तब तक उबालें जब तक पानी एक चौथाई यानि 100 ग्राम के करीब रह जाए और पानी ठण्डा होने पर सोने का टुकड़ा पानी से बाहर  निकाल लें। इसके बाद इस स्वर्णघटित जल पर अथर्वेदीय काण्ड 3 , सूक्त 13 से अभिमंत्रित करें और 43 दिन लगातार पीने से प्रभु कृपा बनी रहती है जिससे शरीर आरोग्ये रहता है। यदि रोज अभिमंत्रित करने में असुविधा हो तो इस जल पर 21 बार  ॐ अचुताये नमः , ॐ आनन्दये नमः , ॐ अनन्ताये नमः , ॐ ऋषिकेशाये नमः , ॐ गोबिंदाये नमः का जप कर के पिने से असाध्ये रोग शांत हो जाते हैं 

शिवरात्रि को करें कालसर्प योग के सटीक उपाए

महाशिवरात्रि का पर्व  देवों के देव महादेव भगवान शिव का प्रमुख पर्व है और फाल्गुन कृष्ण चुतर्दर्शी को शिवरात्रि पर्व 4 मार्च 2019 को मनाया जा रहा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सृस्टि का आरम्भ अग्निलिंग के उदय से हुआ। इस पर्व पर यह उपाय करके काल सर्प दोष से मुक्ति पायी जा सकती है। इसदिन सच्चे मन से जप करने क्षमा मांगने से इस दोष से मुक्ति मिलती है। 
  • ॐ नमः शिवाय  जप जितना सभव हो शिवरात्रि पर्व पर किया जाये।  जप की संख्या कम से कम 11000 बार की जाए। 
  • राहु-केतु के बीज मन्त्रों का जप 21000 बार किया जाए। 
  • नाग-नागिन का जोड़ा  शिवालये अर्पित करे। 
  • रुद्राक्ष माला से नाग गायत्री का लैप करना चाहिए। 
अनन्तकाल सर्पयोग में चांदी की गोली गले में धारण करे या पास रखें, दूध से स्नान करें , कुलिक काल में काला- सफेद कम्बल गरीब को देंभंगी को दान दें  , वासुकि कालसर्प योग में सोना धारण करें ,शंखपाल में मिट्टी कुंजी में शहद भर कर वीराने में दबाए गंगा स्नान करें ,पदम् में घर में चाँदी का सॉलिड हाथी रखें , महापदम में अपनी बहिन या किसी कन्या को सूट दें , तक्षक में लोहे की गोली लाल रंग कर के पास रखें नारियल जलप्रवाह करें  ,कर्कोटक में 8 खोटे सिके जलप्रवाह करें, चाँदी का चकोर टुकड़ा पास रखें , शंकचूड़ में घर के आगे सफाई करें और पानी की नाली की सफाई करें सोने की कोई भी वास्तु गहना पहने , घातक कालसर्प योग में दरिया या नदी का जल लाकर घर में रखें , जौ अनाज भार के निचे दबाए, विषधर में चार सूखे नारियल जलप्रवाह करें , शेषनाग कालसर्प योग में जहा खाना बने वहांपर बेथ कर खाय।चंडी का चकोर टुकड़ा गले में धारण करें।  

लालकिताब में सोने(गोल्ड) का इस्तेमाल

 
सोने का दवाई के रूप में प्रयोग करना वेदों में भी बताया गया है जिस से शरीर को रिष्ट पुष्ट और मजबूत बनाने में मदद मिलती है। औषदि प्रयोग में किसी भी औषदि का प्रयोग बिना अभिमंत्रित किए प्रयोग नहीं करना चाहिए। लालकिताब में सोने के प्रयोग बारे दो हालातों में वर्णन आता है। 
चन्द्र खाना नंबर 11: चन्द्र ग्यारहे के समय केतु कमजोर हुआ करता है। ईसलिए जब व्यक्ति में बच्चा पैदा करने की शक्ति में कमी हो तो उस वक़्त शुद्ध सोने यानि चौबीस कैरट गोल्ड की एक तार बनवा ली जाए और लगातार रात को इस तार को गर्म करके दूध में बुझा लें और उस दूध को रोजाना पिया जाए, इसके पिने से लड़का पैदा हो सकता है। यह अम्ल 11 बार करें यानि हर दफा सोने की सलाख को गर्म करें और जब यह सुर्ख लाल हो जाए तो दूध में डुबो दी जाए। इस से व्यक्ति की नर औलाद पैदा करने और उसमे मर्दाना ताकत पैदा होगी। अगर केतु निहयात ही मन्दा हो चुका हो यानि ऐसे प्राणी को जोड़ो का दर्द, गठिया वगेरा हो चुका हो तो सोने की सलाख को पानी में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे मर्दाना ताकत की बहाली होगी। चन्द्र के साथ गुरु ( सोना ) हो तो कभी मन्दा फल ना होगा और ना ही दुश्मन से मार खाते है। 
शुक्र खाना नंबर 11: शुक्र ग्यारहे वाला बच्चों जैसे भोले सवभाव का होता है। यहाँ पर शुक्र होने से पति पत्नी में कामवासना की कमी हो जाया करती है। ऐसे व्यक्ति पैसे के पीछे ज्यादा पड़े रहते हैं। जब केतु भी शुभ ना हो यानि खाना 6, 7 , 8 या 11 मेँ हो और यदि मर्दाना कमजोरी हो वीर्यपात जैसी बीमारयां हों  तो फौलाद यानि लोहे का कुश्ता, चांदी का कुश्ता, मछ्ली का तेल आदि दूसरी ताकत देने वाली जड़ीबूटी का 43 दिन लगातार इस्तेमाल करना फायदेमंद रहेगा। 
 

Saturday 2 March 2019

लड़की का घर से भाग जाने का योग

आमतोर प र देखने या सुनने में आता हे की फलां की लड़की फलाने के लड़के के साथ भर में बिना किसी को बताये घर से कहीं चली गई है जिससे परिवार वालों की समाज में बड़ी बदनामी होती है। बदनामी के साथ साथ शारीरक शोषण और पैसे का नुक्सान भी होता है। मैरे अनुभव में बहुत से ऐसे लोग कुंडली का विश्लेषण करवाने आये जिन के साथ यह दुःखद घटना हुई। कलयुग में बने इस वातावरण का प्रभाव और नासमझी इस का कारन बनते है। तो क्या कुंडली में ऐसे कुछ योग बनते है की लड़की की विवशता हो जाती हे और उसके वश में कुछ नहीं रहता। मैंने यहाँ पर तीन कुंडलिओं का विश्लेषण किया है, नाम गुप्त रखे गए है जिससे किसी की साख को धब्बा न लगे।
तीनो कुंडलिओं का गहन अध्यन करने पर यह योग साहमने आये की अगर :
  • सूर्य, मंगल और शनि का आपस में दृस्टि द्वारा या एक ही भाव में होना। सूर्य इज्जत का रखवाला, मंगल साहस को बढ़ाने वाला और शनि ें दोनों का दुश्मन, जो इन पर पाप प्रभाव डालता है। 
  • सातवें भाव जिस को गृहस्थ (marriage house) का भाव माना जाता है का मालिक(lord), नीच का हो या उस पर शनि की कुपित दृस्टि हो तो यह योग बनता है। 
  • शनि की गुरु ग्रह( जिस को देवताओं का गुरु माना जाता है) पर कुदृस्टि हो तो ऐसे योग की सभावना बनती है। 
  • सूर्य-शनि, गुरु-शनि, चन्द्र-शनि का कुंडली में इकठे होने से यह योग और जोर पकड़ता है खासतौर पर कब इनपर मंगल की पूर्ण दृस्टि हो। 
  • लालकिताब के वर्षफल में अगर शुक्र 8, 10, 12 या लग्न में आता है तो उस वर्ष लड़की या लड़के के घर से भागने के प्रभल योग बनते है।
कुंडली में गुरु ग्रह का वक्री होना इस योग में आग पर घी  डालने का कार्य  करता है। यह एक बड़ा ही नाजुक विषय है जिसका कुंडली का पूर्ण अध्यन करने के बाद ही कोई निष्कर्ष निकालना चाहिए। कुंडली का गहन अध्यन करवाने के लिए सम्पर्क करें 91 9417355500

ब्रह्महत्या दोष

एक पौराणिक कथा में महादेव शिवशंकर द्वारा ब्रह्मा का एक सिर काटने का वर्णन आया है इसकी दोष मुक्ति के लिए १०० तीर्थस्थानों पर स्न्नान करने बारे भी बताया गया है। हम में इतना समर्थ और शक्ति नहीं के हम महादेव की कुंडली का विश्लेषण कर सकें। चोरी, हत्या, पड़ोसी से दुश्मनी, परस्त्री से संबंध, शराब व् कोई भी नशा करना, जीवहत्या से भी यह दोष लगता है।    ब्रहमहत्या का मतलब महापाप और धार्मिक ग्रंथो में यह दोष मनुष्य को तब लगेगा जब कुंडली में यह योग हों: 
  • जब गुरु ग्रह पर शनि की पूर्ण दृस्टि हो या दोनों ग्रह इकठे बैठे हों।
  • गुरु ग्रह पर राहु का प्रभाव हो तो चांडाल योग बनता है। 
  • शुक्र, मंगल शनि और बुध ग्रह कुंडली में आठवें भाव में हों।
  • राहु पहले भाव में और सूर्य तीसरे भाव में हो। 
  उपाए:- कपाल मोचन धार्मिक स्थल बिलासपुर,  यमुनानगर जिला हरिआणा पर जा कर स्नान करना। चन्द्र की पूजा करना। 
लालकिताब में बृहस्पती- शनिश्चर को सन्यासी फ़क़ीर की माया जिस का भेद न खुल सके बताया है। इस ब्रहमहत्या के दोष का कोई खराब फल न होगा जब टेवे वाला सबके मालिक से सिर्फ अपनी किस्मत का हिसा मांगने वाला होगा यानि शुक्र करने वाला होगा तो शनि पहले घर में नीच और  बृहस्पती दसवें घर में नीच मन्दे का असर ना देगा। 
मन्दी हालत में शराब खोरी से शनिश्चर का नेक असर ना करें, औरत का माल ले कर खाने वाला या दूसरों के माल पर  रखने वाला बुड़ापे में तकलीफ पावे। इन बातों को ध्यान में रखें तो इस दोष से मुक्ति मिल सकती है। 

Friday 1 March 2019

THE TECHNIQUE OF PREDICTION IN ADVANCED ASTROLOGY

In this note my purpose to set forth a system of astrological prediction which I have experienced during the course of my practical work and which I have found to be thoroughly reliable and it does not entail a complicated calculations.This note is absolutely not for the beginners in the field of astrology.
It is significant to see the position of the planets degree at the time of birth and in which sign it is placed and aspects on it by other planet and the impact of the planets remain throughout of whole life on the native. If the planet is in its own sign, friends sign and the lord of the ascendent, fourth, fifth, seventh, ninth, tenth house then it will give good results in its period or sub periods.
When estimating effects likely to be produced by the sign and the house occupied by a planet in in the horoscope it will be sufficient for all practical purposes to consider the implications of signs and houses as being interchangeable.
It must be remembered that a detailed judgement can only be reached after carefully examined the sign and house position of both bodies involved, in addition of the house rulership of each, the aspect, between the planets in the nativity and the planets in yearly transit chart. Mahadasa, antar and most important to carefully consideration of partyanter dasa.
The judgement of conjunction of planets in a birth horoscope chart and on basis of aspects which receives from the other planets in the chart. When we examine the Sun-Moon, Sun-Mercury, Sun-Venus, Sun-Saturn, Sun Jupiter, Sun- Dragan-Head and Tail, Moon-Mercury , Moon Venus, Moon- Saturn conjoined or aspects each other the results may be predicted accurately.
After considering the position of planets or in which sign they are placed, their degree, periods, sub and sub-sub period in the horoscope, annual chart to be examined carefully.Red Book annual chart is very important for accurate remedies. Mainly the fifth and eighth aspect of each planet in annual chart to be analysed very carefully for prediction and remedies.
Besides other periods and dasa like Char dasa, Yogni dasa and Tribhagi dasa plays an important part for better prediction and remedies. The daily, weekly, monthly charts are very significant for better understanding of predictions.
It is absolutely necessary that the birth chart must be accurate or rectification can be made through the verifications of Lines in the Hand. Contact for verification of horoscope if you are not known of your accurate time of birth 91 9417355500