ज्योतिष दृस्टि में क्या भूत - प्रेत होते है या नहीं ? जिस वस्तु का नाम धार्मिक ग्रंथो में मिलता है उस वस्तु के इस संसार में होने में कोई संशय नहीं होना चाहिए। इतिहास , कहावतों में ऊपरी कसर यां ऊपरी हवा के कई योग देखने और सुनने में आते है। भारतीय ऋषिओं ने भी प्रेत बाधा जिन्न भुत प्रेतात्मा बारे जिक्र किया हे। पाश्चात्य पवित्र धार्मिक ग्रन्थ कुरान और बाइबल में भी बुरी आत्मओं का जिक्र आया है।
भुत-प्रेत बाधा ग्रस्त मनुष्य आम तोर पर पागलों की तरह व्यवहार करते है। शरीर के किसी भी अंग पर बाधा का असर हो सकता हे जैसे हाथ पैर, कमर, छाती, मस्तिस्क, सिर और कई बार ऊपरी कसार के कारण लकवा भी हो सकता है। मस्तिस्क पर सब से बुरा प्रभाव देखा गया है जिस के कारण मनुष्य पागलों जैसी हरकते करता है।
ऊपरी कसर के लक्षण में व्यक्ति खोया - खोया सा रहता है एक ही वस्तु को लम्बे समय तक निहारता रहता है , बिना वजह मन में दर और घबराहट , मन उचाट , पीड़ित व्यक्ति को या तो नींद नहीं आती या ज्यादा समय सोया रहता है , हिचकियां यां उबासियां ज्यादातर सुबह शाम को ज्यादा आती है। चेहरे पर सूजन यां पीला पन देखने को मिलता है , आँखों के निचले हिसे में कालापन और बाल झड़ जाते हैं , मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है , वाणी और हरकतों पर नियंत्रण नहीं रहता , पीड़ित व्यक्ति जोर जोर से चिल्लाता है , कनपटी गर्म रहती है , सर के पिछले हिसे में भार बना रहता है, जोड़ों में दर्द रहता है , घर में हमेशा कलेश बना रहता है।
अगर ऐसे लक्षण हों तो किसी योग्य डाक्टर को दिखाया जाए और अगर लाभ नहीं होता तो किसी योग्य तांत्रिक,ओझा को दिखाना चाहिए। पीढ़ित व्यक्ति का मनोबल बढ़ाना चाहिए और उस के पास कोई चाकू, छुरी, कैंची रखें और लोबान, गूगल और हरमल की धूनी दें। यह सब किसी योग्य और अनुभवी तन्त्र जानने वाले व्यक्ति की सलाह से उसकी देखरेख में ही करें।